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युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया में गलती के चलते 38 सहायक शिक्षक हटाए गए, 600 छात्रों की पढ़ाई संकट में; विधायक ध्रुव ने जताई नाराजगी

  गरियाबंद . गरियाबंद जिले में युक्तिकरण प्रक्रिया में जिला स्तर पर त्रुटियां पाए जाने के बाद संभाग स्तरीय सुनवाई समिति ने फिंगेश्वर से देवभ...

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 गरियाबंद. गरियाबंद जिले में युक्तिकरण प्रक्रिया में जिला स्तर पर त्रुटियां पाए जाने के बाद संभाग स्तरीय सुनवाई समिति ने फिंगेश्वर से देवभोग आए 38 ई-संवर्ग शिक्षकों की वापसी कर दी है. इससे कई स्कूलों में शिक्षक संकट फिर से पैदा हो गया है. 600 से अधिक स्कूली छात्रों का अध्यापन प्रभावित होगा. वहीं विधायक जनक ध्रुव ने इस फैसल पर नाराजगी जताई है.


युक्तिकरण नीति के तहत फिंगेश्वर ब्लॉक के 38 सहायक शिक्षकों की पदस्थापना देवभोग के रिक्त पदों पर की गई थी. हालांकि, इन शिक्षकों ने वरिष्ठता क्रम, दूरी और स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर प्रक्रिया को गलत ठहराते हुए अभ्यावेदन दायर किया. इनमें 33 महिलाएं और शेष पुरुष शिक्षक शामिल थे. संभाग स्तरीय सुनवाई समिति ने जिला स्तर पर काउंसलिंग के क्रम निर्धारण में कई खामियां पाते हुए प्रक्रिया को गलत ठहराया. 11 सितंबर को संभाग आयुक्त संजीव श्रीवास्तव के हस्ताक्षर से जारी आदेश के बाद ज्यादातर शिक्षकों ने देवभोग से रिलीविंग ले ली है.


नए आदेश के बाद देवभोग ब्लॉक में शिक्षक कमी हो गई है. बीईओ देवनाथ बघेल ने बताया कि 38 में से 18 शिक्षकों ने पहले ही ज्वाइन नहीं किया था, जबकि 20 ने ज्वाइन किया था, जो अब रिलीव हो गए हैं. इससे 2 स्कूल शिक्षक विहीन और 8 स्कूल एकल शिक्षकीय हो गए हैं. इसकी जानकारी जिला कार्यालय को भेजी जा रही है.


विधायक जनक ध्रुव ने जताई नाराजगी जताई


बिंद्रानवागढ़ विधानसभा क्षेत्र के विधायक जनक ध्रुव ने इस पर नाराजगी जताई और कहा कि इससे 600 से अधिक छात्रों का भविष्य प्रभावित हुआ है. उन्होंने शीतकालीन सत्र में सरकार से सवाल करने की बात कही कि नीति का पालन करने में गलती किसकी हुई जिला स्तर पर लापरवाही हुई या संभाग स्तर पर मिलीभगत हुई. उन्होंने चेतावनी दी कि यदि समय रहते इस ‘खिलवाड़’ की भरपाई नहीं की गई, तो वे आंदोलन भी करेंगे.





नीति में विसंगतियां और सुनवाई समिति का फैसला


शिक्षकों ने दावा किया कि जिले में ई-सर्वाधिक में केवल 81 पद रिक्त थे, जबकि 171 शिक्षक अतिशेष थे, जिसमें 75 महिलाएं और 95 पुरुष शामिल थे. महिलाओं को काउंसिलिंग में प्राथमिकता नहीं दी गई और वरिष्ठ महिलाओं को 200 किमी दूर फिंगेश्वर से देवभोग भेजा गया. सुनवाई समिति ने इन बिंदुओं को जायज मानते हुए जिला स्तर की प्रक्रिया को गलत ठहराया. शिक्षकों का कहना है कि संयुक्त संचालक कार्यालय में सुनवाई के नाम पर व्यक्तिगत पेशी को ज्यादा तवज्जो दी गई और नीति से हटकर अर्थनीति को प्राथमिकता दी गई.


जिला शिक्षा अधिकारी जगजीत सिंह धीर ने कहा कि सुनवाई समिति का आदेश मान्य है, इसलिए उसका पालन किया गया. अतिशेष और प्रभावित स्कूलों के लिए शासन से मार्गदर्शन लिया जाएगा. उन्होंने दावा किया कि जिला स्तर पर सभी प्रक्रियाएं नियमानुसार की गईं, हालांकि नियमों की व्याख्या में विसंगति रही.