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दुर्ग जिले में विविध फसल लेने पर जोर, एक किसान, एक ही खेत में ले सकता हैं कई फसल

  फसल वैविध्य के लिए सबसे पहले उन किसानों को प्रोत्साहित किया जाएगा जो पहले लेते थे दीगर फसल अब लेने लगे धान -किसानों की आय बढ़ाने के लिए दस ...

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 फसल वैविध्य के लिए सबसे पहले उन किसानों को प्रोत्साहित किया जाएगा जो पहले लेते थे दीगर फसल अब लेने लगे धान

-किसानों की आय बढ़ाने के लिए दस सूत्री एजेंडा पर कार्य करने कलेक्टर डाॅ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने दिये निर्देश

-फसल वैविध्य को लेकर पहली बैठक धमधा के अधिकारियों के साथ ली कलेक्टर ने, कहा कि अभी 15 दिन बेहद महत्वपूर्ण समय, किसानों तक जाएं उन्हें दस हजार रुपए प्रोत्साहन राशि की दें जानकारी

रायपुर,दुर्ग । असल बात न्यूज़।

0  हमारे संवाददाता

 राज्य में अब फसल के बदलव की योजना पर फोकस किया जा रहा है। धान की जगह दूसरी फसल लेने के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है। योजना पर काम शुरू  कर दिया गया है।इस योजना में सबसे पहले उन किसानों को आगे लाने, जोड़ने की कोशिश की जा रही है जोकि पहले दूसरी फसल लेते थे बाद में उन किसानों ने धान की फसल लेना शुरू कर दिया। दुर्ग जिले में collector Dr sarveshwar bhure भी इस योजना को बढ़ावा देने में लगे हुए हैं। उनका मानना है कि अब आधुनिक खेती का दौर है। एक किसान हूं अपने खेत में अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग फसल में दे सकता है और इससे उसकी आमदनी कई गुना बढ़ जाएगी।

धान की जगह दूसरी फसलों के उत्पादन पर जोर देकर किसानों के आर्थिक लाभ में बढ़ोत्तरी की योजना पर दुर्ग जिले में युद्धस्तर पर कार्य आरंभ हो गया है। कलेक्टर डाॅ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने इसके लिए पहली बैठक धमधा ब्लाक में ली। यहाँ पर सभी कृषि विस्तार अधिकारियों, उद्यानिकी अधिकारियों एवं कोआपरेटिव के अधिकारियों की बैठक में उन्होंने कहा कि फसल वैविध्य अपनाकर किसान न केवल अधिक आर्थिक लाभ हासिल कर सकते हैं अपितु मिट्टी की ऊर्वरता भी बढ़ा सकते हंै। इसके लिए किसानों के बीच जाएं और गाँव में अधिकाधिक किसानों को इसके लिए तैयार करें। कलेक्टर ने कहा कि गाँव में फसल का ट्रैक रिकार्ड आपके पास होगा, कई ऐसे किसान हैं जो पूर्व के वर्षों में धान के अलावा दूसरी फसलें भी लेते रहे हैं इन्हें चिन्हांकित करें। सरकार द्वारा प्रति एकड़ दी जा रही दस हजार रुपए प्रोत्साहन राशि से उन्हें इस फसल के लिए पर्याप्त आर्थिक लाभ होगा। मक्का जैसी फसल में तो सरकार समर्थन मूल्य भी प्रदान करती है। कलेक्टर ने कहा कि बड़े किसान अपनी भूमि पर फसल वैविध्य कर सकते हैं। कुछ भूमि में धान, कुछ में दलहन-तिलहन और कुछ में बांस-सागौन आदि का प्लांटेशन कर सकते हैं। इस तरह का वैविध्य अपनाने से आर्थिक लाभ भी होगा। इस मौके पर योजना के क्रियान्वयन की नोडल अधिकारी अपर कलेक्टर सुश्री ऋचा प्रकाश चैधरी भी उपस्थित थीं। उन्होंने फसल वैविध्य के लिए किसानों को तैयार करने के साथ ही ऐसा करने के इच्छुक किसानों के लिए खाद-बीज की व्यवस्था उपलब्ध कराने की दिशा में होमवर्क कर लेने के निर्देश अधिकारियों को दिये। इस मौके पर सहायक कलेक्टर  हेमंत नंदनवार, एसडीएम  बृजेश क्षत्रिय सहित अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।

इन बिन्दुओं को लेकर किसानों को जागरूक करेंगे अधिकारी - अधिकारी बताएंगे कि किस प्रकार फसल वैविध्य अपनाना किसानों के लिए लाभ का सौदा है। लगातार धान लेने से जमीन की ऊर्वरा क्षमता घटने लगती है। दलहन फसलें जमीन में नाइट्रोजन को फिक्स करती हैं जिससे जमीन की ऊर्वरा शक्ति में खासा विस्तार होता है। धान के अलावा दीगर फसलों जैसे मक्का आदि में भी एमएसपी की सुविधा सरकार ने आरंभ कर दी है। आर्गेनिक राइस, जिंक राइस, फोर्टिफाइड राइस जैसी फसल पौष्टिक गुणों से भरपूर होती हैं। जब किसान फसल वैविध्य करते हैं तो एक ही तरह के अनाज के बजाय दूसरी तरह के पौष्टिक मूल्यों वाला भोजन उन्हें उपलब्ध होता है जिससे पोषण मजबूत होता है।

*इन दस सूत्रों पर करें काम*- कलेक्टर ने कहा कि शासन की मंशानुरूप किसानों की आर्थिक आय बढ़ाने की योजनाओं पर जुटना है। इसके लिए दस सूत्रों पर कार्य करना जरूरी है। इन सूत्रों में नरवा-गरुवा-घुरूवा-बाड़ी योजना का प्रभावी क्रियान्वयन, नियमित गोबर क्रय, वर्मी खाद का उत्पादन, किसानों को वर्मी खाद का प्राथमिकता से विक्रय, अन्य फसलों को प्रोत्साहित करना, सोसायटी में पुराने धान का अतिशीघ्र उठाव, खाद-बीज की व्यवस्था में समन्वय, फसल बीमा के लिए सभी किसानों का आवेदन, योजनाओं का लाभ सभी किसानों को मिले, किसान मित्र के रूप में कार्य शामिल है।

*जब कलेक्टर एवं नोडल अधिकारियों ने फसल वैविध्य की जरूरत पर एआरईओ से पूछा तो मिले ये जवाब*- धमधा में इस योजना के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी जिन अधिकारियों पर है उनमें से बहुत से अधिकारी समूचे परिदृश्य के प्रति बहुत जागरूक दिखे। फसल चक्र वैविध्य क्यों जरूरी है यह पूछने पर एक एआरईओ ने बताया कि अभी तिलहन के दाम आसमान पर हैं हम लोग पाम आइल मलेशिया से मंगवाते हैं। हम यहीं उत्पादन बढ़ाएं तो हमारा घरेलू बजट भी व्यवस्थित होगा और आयात भी घटेगा।