मुनाफाखोरी का खेल फिर शुरू हो गया है। वैश्विक महामारी के कठिन समय में भी ये मुनाफा खोर,जमाखोर अवसर का दुरुपयोग करने से नहीं चूक रहे हैं। सब...
मुनाफाखोरी का खेल फिर शुरू हो गया है। वैश्विक महामारी के कठिन समय में भी ये मुनाफा खोर,जमाखोर अवसर का दुरुपयोग करने से नहीं चूक रहे हैं। सब ने देखा है कि पिछले lockdown के समय प्रतिदिन, प्याज की हजारों ट्रक, कोल्ड स्टोरेज पहुंचाई गई और प्याज को जाम किया गया। अब इसकी कृत्रिम कमी पैदा की जा रही है तथा इसके रेट में मनमानी बढ़ोतरी की जा रही है। सबसे बड़ी विडंबना है कि जमाखोरों के इस कृत्य से प्याज उगाने वाले किसानों को कोई फायदा नहीं मिलता।
रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर।
विशेष रिपोर्ट, असल बात न्यूज़।
आम जनता फिर महंगाई का दर्द, दंश झेल रही है। मुनाफाखोरो जमाखोरों को जब मौका मिलता है, आम जनता के दैनिक जरूरत की चीज प्याज पर खेल शुरू कर दिया जाता है। प्याज की जमाखोरी कर लाखों करोड़ों का वारा न्यारा किया जाता है। कभी-कभी, ऐसा महसूस होता है कि इन सब को नियंत्रित करने वाला कोई नहीं है। जनता लूट रही है तो लूटने दो । महंगाई बढ़ रही है तो बढ़ जाने दो। आम जनताा त्रस्त है तो कोई फिक्र नहीं। लगता है कि सब कुछ इसी तर्ज पर चल रहा है। वास्तविकता सब जानते हैं लेकिन पता नहीं क्यों सब की आंख मूद सी जाती है। जमाखोरी , मुनाफाखोरी पर कहीं कोई कार्रवाई होती कहीं नजर नहीं आती। प्याज, आम लोगों केेे घर की इतनी जरूरत की चीज है कि एक बार तो इसकी कीमत में बढ़ोतरी के चलते ही सरकार को पलट दिए जाने का दावा किया जाता है। दैनिक जरूरत की चीजों के दाम में लगातार मनमानी बढ़ोतरी होती जा रही है लेकिन इसके बारे में आम जनता के हित में आवाज उठानेे वाला कोई नजर नहीं आता।
देश में सिर्फ सात- 8 महीने पहले प्याज उत्पादक इलाकों में बाढ़ आ जाने का बहाना बना कर प्याज के दाम में मनमाने बढ़ोतरी की गई थी। इन मुनाफाखोर, जमाखोरों के जान में उस समय आफत आ गई जब देश में lockdown लगा दिया गया। गाड़ियों की आवाजाही बंद हो गई । उस समय जो वस्तुएं कोल्ड स्टोरेज में ग्जाम की गई थी वहां से निकल नहीं पा रही थी। और इस बीच प्याज की नई फसल भी बाजार में आने लगी। तब जमाखोरों की हालात दुबले को दो आषाढ़ जैसी हो गई। फिर लाकडाउन खुला और मौका मिला तो प्रतिदिन हजारों गाड़ियों में प्याज को कोल्ड स्टोरेज पहुंचाया गया। उस समय सबको मालूम है कि प्याज 8 से ₹10 रुपए किलो तक विकी थी। जिस प्याज की कीमत सिर्फ 2 महीने पहले 8 से ₹10 प्रति किलो थी आज उसकी कीमत 40 से ₹50 तक पहुंच जा रही है तो इसके पीछे कोई यह कहने से इनकार नहीं कर सकता कि यह सब पूरा खेल मुनाफाखोरी और जमाखोरों का ही है। और प्याज कृत्रिम कमी पैदा कर भारी मुनाफाखोरी वसूल की जा रही है।
सबसे बड़ी विडंबना है कि मुनाफाखोरी, जमाखोरों के इस खेल की तरफ गंभीरता के साथ किसी ध्यान नहीं जाता। और जो जिम्मेदार लोग यह सब जानते भी हैं आंख मूंदे बैठे रहते हैं जैसे कि उन्हें कुछ मालूम ही ना हो। इसी के चलते आम जनता पिस रही है। किसी चीज की कीमतों में अचानक तेज गति से बढ़ोतरी होने, महंगाई बढ़ने की ओर शासन- प्रशासन का ध्यान तो शायद ही कभी गया हो और कोई कार्रवाई की गई हो। ऐसे में जब लोगों को यह आशंका होती है कि इसमें शासन प्रशासन के लोग भी कहीं ना कहीं मिले हुए हैं शामिल है या जानबूझकर चुप्पी बनाय बैठे हैं तो यह महंगाई की पीड़ा झेलने वाली जनता के दर्द से निकली हुई आवाज होती है। जिम्मेदार लोग, खामोश बनकर तमाशबीन बने रहते हैं तो वक्त मिलते ही जनता उन्हें सबक सिखा भी देती है।
अभी शायद ही किसी के पास सही जानकारी होगी कि प्याज के दामों में इतनी बढ़ोतरी क्यों हो रही है? क हैहा जाता कि प्याज तथा शक्कर के दामों में बढ़ोतरी का पूरा खेल, महाराष्ट्र राज्य से चलता है। महाराष्ट्र, इन चीजों का बड़ा उत्पादक राज्य है। प्याज की आपूर्ति भी देश के दूसरे ज्यादातर हिस्सों मैं यही से होती है। अभी तो देश संकट के दौर से गुजर रहा है। ढेर सारे लोगों के काम धंधे छिन गए हैं। लाखों लोग बे रोजगारी के दौर से जूझ रहा है। लाखों लोगों के घरों का चूल्हा जलना बंद हो गया है। ढेर सारे परिवारों को दो वक्त का भोजन नहीं मिल रहा है। जो लोग इस गंभीर संकट के दौर से जूझ रहे हैं उन्हें ही वास्तविकता का पता चल रहा है। एसी में बैठ कर ऐसो आराम की जिंदगी गुजारने जाने वाले लोगों को महंगाई का दर्द असल में पता ही नहीं चलता। यह बड़ी विडंबना और चिंता की बात है कि जमाखोरों , मुनाफाखोरी की काली करतूत इस संकट के समय में भी जिम्मेदार लोगों को नजर नहीं आ रही है। पिछले लॉकडाउन के दौरान कोल्ड स्टोरेज पहुंचाई जा रही कई ट्रकों में से कुछ टके तो दुर्ग रायपुर मार्ग पर पलट भी गई थी। शराब के कारोबारी अलग आम जनता को परेशान किए हुए हैं दूसरी तरफ ये मुनाफाखोर,जमाखोर लोगों का जीना मुश्किल कर रहे हैं। ऐसे कठिन समय में भी सामानों की कृत्रिम कमी कर महंगाई बढ़ाकर लोगों को रुला कर मुनाफाखोरी करने का जूस कृत्य किया जा रहा है। जिम्मेदार लोगी मौन धारण कर इस वर्ग का साथ देखें देख रहे हैं। यह तो वक्त बताएगा कि आगे इस ओर कोई ध्यान देता है कि नहीं।