नई दिल्ली . असल बात news. देश में मेड इन इंडिया को बढ़ावा दिया जा रहा है. और इस कड़ी में यहां कई सारे उपकरण कलपुर्जे बनाए जाने लगे है...
देश में मेड इन इंडिया को बढ़ावा दिया जा रहा है. और इस कड़ी में यहां कई सारे उपकरण कलपुर्जे बनाए जाने लगे हैं जो कि पहले सिर्फ विदेशों से ही मांगे जाते थे. इस कड़ी में विमानो तथा रक्षा उपकरणों से संबंधित सामान्य यहां बनाए जाने लगे हैं, अब इसमें रेलवे ने ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम कवच 4.0 विकसित किया है जोकि अब ट्रेनों में लगने लगा है.कवच के विस्तार की कड़ी में, अब गुजरात के पहले बाजवा (वडोदरा)-अहमदाबाद सेक्शन (96 किमी) में कवच 4.0 को सफलतापूर्वक शुरू कर दिया गया है। इस परियोजना के दायरे में 17 स्टेशन आते हैं और इसमें सुरक्षा का एक मजबूत ढांचा तैयार किया गया है, जिसमें 23 टावर, 20 कवच भवन/हट, 192 किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर केबल और 2,872 आरएफआईडी टैग्स शामिल है।
इस मार्ग पर कवच प्रणाली से लैस पहली ट्रेन संकल्प फास्ट पैसेंजर (59549/59550) थी। इसका संचालन डब्ल्यूएपी-7 लोकोमोटिव (इंजन) और 11 एलएचबी कोचों के साथ किया गया।

इस रेल खंड सेक्शन पर अब कवच 4.0 पूरी तरह कार्यात्मक है। इसे सुरक्षा जोखिमों को स्वतः कम करने के लिए डिजाइन किया गया है, जो सिग्नल पास्ड एट डेंजर (एसपीएडी) जैसी स्थितियों के परिणामों को रोकता है। यह सिस्टम सेक्शनल स्पीड, लूप लाइन और स्थायी गति प्रतिबंधों (पीएसआर) की निगरानी करते हुए स्वचालित गति नियंत्रण सुनिश्चित करता है। साथ ही, यह ट्रेनों की आमने-सामने और पीछे से होने वाली टक्करों से सुरक्षा प्रदान करता है। इसकी अतिरिक्त सुरक्षा सुविधाओं में आपातकालीन एसओएस सुविधा और लेवल क्रॉसिंग गेटों पर स्वचालित व्हिसलिंग शामिल है।

अब तक, 2,200 मार्ग किलोमीटर से अधिक के रेल नेटवर्क पर कवच प्रणाली को लागू किया जा चुका है।
कवच भारतीय रेलवे द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित एक स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन) प्रणाली है, जिसे ऑपरेशनल सेफ्टी का उच्चतम स्तर प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह एक अत्यधिक टेक्नोलॉजी-इंटेंसिव सिस्टम है जिसे सेफ्टी इंटीग्रिटी लेवल-4 (एसआईएल-4) प्रमाणित किया गया है। यह सिग्नलिंग प्रणालियों में उच्चतम सुरक्षा मानकों में से एक है, जो विश्व स्तरीय सुरक्षा और विश्वसनीयता के प्रति भारतीय रेलवे की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
कवच, निर्धारित गति सीमा से अधिक होने या सुरक्षा खतरा होने की स्थिति में स्वचालित रूप से ब्रेक लगाकर लोको पायलटों की सहायता करता है। इस प्रकार, यह दुर्घटनाओं को रोकने और खराब मौसम की स्थिति में भी सुरक्षित ट्रेन परिचालन को बढ़ावा देने में मदद करता है। ऑपरेशनल अनुभव और स्वतंत्र सुरक्षा आकलनों के आधार पर किए गए निरंतर सुधारों के फलस्वरूप आरडीएसओ द्वारा कवच वर्जन 4.0 को मंजूरी दी गई। कवच 4.0 रेलवे सुरक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है और इसे भारत के विविध और हाई-डेंसिटी वाले रेल नेटवर्क की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए डिजाइन किया गया है।
कवच 4.0 एक महत्वपूर्ण तकनीकी उपलब्धि है। इन मुख्य सुधारों में शामिल हैं:
- बेहतर लोकेशन सटीकता, जिससे ट्रेन की सटीक स्थिति का पता लगाना संभव हो पाता है।
- बड़े और जटिल स्टेशन यार्डों में सिग्नल की स्थिति की अधिक स्पष्ट और सटीक जानकारी प्रदान करना।
- ऑप्टिकल फाइबर केबल के माध्यम से स्टेशन-टू-स्टेशन कवच इंटरफेस, जो अधिक तेज और विश्वसनीय संचार सुनिश्चित करता है।
- मौजूदा इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम के साथ सीधा इंटीग्रेशन, जिससे वर्तमान सिग्नलिंग बुनियादी ढांचे के साथ निर्बाध समन्वय सुनिश्चित होता है।
ये अपग्रेड कवच 4.0 को और अधिक मजबूत, रिस्पॉन्सिव और भारत के विविध एवं हाई-डेंसिटी वाले रेल नेटवर्क पर बड़े पैमाने पर लागू करने के लिए उपयुक्त बनाते हैं। साथ ही, इस प्रणाली को इंडिपेंडेंट सेफ्टी असेसर (आईएसए) द्वारा वैश्विक सुरक्षा मानकों को पूरा करने के लिए प्रमाणित भी किया गया है।
गुजरात के बाजवा (वडोदरा)–अहमदाबाद सेक्शन पर कवच 4.0 की शुरुआत, स्वदेशी सुरक्षा तकनीकों को लागू करने के प्रति भारतीय रेलवे के निरंतर संकल्प को सुदृढ़ करता है। यह कदम यात्री सुरक्षा को मजबूत करने, परिचालन विश्वसनीयता में सुधार लाने और देश के लिए एक सुरक्षित तथा स्मार्ट रेल नेटवर्क के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।


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