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संबल और सम्मान के प्रतीक महतारी वंदन से अब दीवाली की खुशियां होंगी चमकीली, कबीरधाम जिले में माताओं बहनों को 20 किश्तों में मिले 468.69 करोड़ रुपए, दीवाली से पहले महिलाओं के खातों में पहुँची राशि, त्यौहार का उत्साह हुआ दुगुना

 कवर्धा,असल बात कवर्धा, । दीवाली सबसे बड़ा त्यौहार है। पूरे साल दीपपर्व के आने का इंतजार हर किसी को होता है। दीए की जगमग रोशनी जीवन में खुशिय...

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 कवर्धा,असल बात



कवर्धा, । दीवाली सबसे बड़ा त्यौहार है। पूरे साल दीपपर्व के आने का इंतजार हर किसी को होता है। दीए की जगमग रोशनी जीवन में खुशियां बिखेरती हैं। महतारी वंदन योजना माताओं बहनों की इस खुशी को और चमकीली बना रही है। हर महीने मिलने वाली 1 हजार की राशि महिलाओं को न सिर्फ अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति का आधार दे रही है बल्कि आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर भी बना रही है। अब महिलाओं को अपनी छोटी मोटी जरूरतों के लिए किसी पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है। दीवाली के पहले मासिक किश्त की राशि मिलने से महिलाएं अब त्यौहारी खरीदारी में इस पैसे का उपयोग कर रही हैं। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की दूरदर्शी सोच और महिलाओं के सम्मान के प्रति प्रतिबद्धता से शुरू की गई महतारी वंदन योजना ने उनके जीवन में आत्मनिर्भरता की नई रोशनी लेकर आई है।


20 किश्तों में मिली 468.69 करोड़ की राशि


कबीरधाम जिले में अब तक 2.5 लाख से अधिक महिलाओं को 20 किश्तों में 468.69 करोड़ रुपए की राशि प्रदान की जा रही हैं।  प्रत्येक माह 1 हजार रुपये की राशि सीधे उनके बैंक खातों में जमा की जा रही है, जिससे वे अपनी दैनिक जरूरतें स्वयं पूरी कर पा रही हैं। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण और सम्मान को राज्य सरकार की प्राथमिकता में रखा है।


पोते पोतियों के लिए खुद खरीदूंगी मिठाई और पटाखे


कबीरधाम जिले के ग्राम मझगांव की रहने वाली श्रीमती बजरहीन साहू गृहणी हैं। घर की छोटी-छोटी जरूरतों के लिए पति या बेटों पर निर्भर रहना पड़ता था।  लेकिन अब महतारी वंदन योजना से हर महीने 1000 रुपये की राशि सीधे मेरे खाते में आती है। वह बताती हैं कि इस योजना से अब तक उन्हें 20 किस्तों में कुल 20 हजार रुपये मिल चुके हैं। इस माह दिवाली के पहले 20वीं किस्त उनके खाते में आ चुकी है। वे कहती हैं कि इस बार दीवाली अपने नाती पोतों के लिए पटाखे और मिठाई मै अपने पैसों से खरीदूंगी। महतारी वंदन योजना केवल आर्थिक सहायता का माध्यम नहीं, बल्कि महिलाओं के सम्मान और आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन चुकी है। यह योजना कबीरधाम जिले की हजारों महिलाओं के जीवन में बदलाव लेकर आ रहा है।

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