नई दिल्ली . असल बात news. भारत राष्ट्र के 15वे उपराष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए मतदान शुरू हो गया है. सुबह 10:00 से मतदान शुरू है तब से य...
नई दिल्ली .
असल बात news.
भारत राष्ट्र के 15वे उपराष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए मतदान शुरू हो गया है. सुबह 10:00 से मतदान शुरू है तब से यहां मतदान करने के लिए सदस्यों की अच्छी खासी भीड़ दिखी है. मतदान शाम 5:00 बजे तक होगा और इसके बाद मतगणना होगा और परिणाम घोषित कर दिया जायेंगे.सत्तारूढ़ एनडीए के द्वारा इस चुनाव में अपने प्रत्याशी को भारी जीत मिलने ने का बढ़ -चढ़कर दावा किया जा रहा है. प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां सबसे पहले मिलान किया है.
लोकसभा और राज्यसभा के सांसद देश के नए उपराष्ट्रपति को चुनने के लिए वोटिंग कर रहे है। उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए सत्ताधारी एनडीए गठबंधन की ओर से सीपी राधाकृष्णन और विपक्ष के इंडिया अलायंस की ओर से बी सुदर्शन रेड्डी उम्मीदवार हैं। चुनाव के बाद इसका रिजल्ट मंगलवार शाम तक ही घोषित किए जाने की उम्मीद की जा रही है।
यह मतदान यहां संसद भवन के प्रथम तल पर स्थित नंबर एफ 101 वसुधा में प्रातः 10:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक हो रहा है.उपराष्ट्रपति का चुनाव कभी बहुत अधिक चर्चाओं में नहीं रहा है लेकिन इस बार यह चुनाव चर्चाओ में बना हुआ है.उपराष्ट्रपति के चुनाव को लेकर देश में शायद ही पहले कभी इतनी चर्चा हुई रही होगी जितनी इस बार हो रही है.इसे राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक दलों के एक बड़े शक्ति परीक्षण के रूप में भी देखा जा रहा है.संभवत:इस चुनाव से पता चलने वाला है कि सत्ता रूढ़ राजनीतिक दलों में कितनी एकजुटता है और कितनी स्थिरता है दूसरी तरफ इससे यह भी पता चलने वाला है कि विपक्ष की नई नीतियां उसे कितना फेवर कर रही हैं और वह अपने साथ कितने अधिक लोगों को जोड़ने में सफल हो रहा है. महत्वपूर्ण बात है कि यह चुनाव राजनीतिक दलों के चुनाव चिन्ह से नहीं होता है. इसलिए राजनीतिक दलों के द्वारा ऐसे चुनाव के लिए अपनी- अपनी पार्टी के सदस्यों के लिए व्हीप नहीं जारी किया जाता है.और इस वजह से सदन का सदस्य अपने अंतर्मन से किसी को भी मतदान कर सकता है.पार्टी से व्हीप जारी होने पर उसके सदस्यों के लिए मजबूरी हो जाती है कि वे सब अपनी पार्टी के उम्मीदवार के पक्ष में ही मतदान करे अथवा बाद में पार्टी के विरोध में जाने के मामले में उस पर कार्रवाई हो सकती है.व्हीप के प्रभाव के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि वर्ष 1969 में देश में उपराष्ट्रपति का चुनाव हुआ था,तब कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी यह चुनाव हार गए थे.तब उस चुनाव में तत्कालीन इंदिरा गांधी के समर्थन से वीवी गिरी ने उपराष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल की थी.यह चुनाव पार्टी सिंबल पर नहीं लड़ा जाता है इस वजह से पार्टी ने व्हीप जारी नहीं की थी. यह संदर्भ आज होने जा रहे उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए मायने रखता है क्योंकि सत्ता में वापसी के लिए की जान से जुटी विपक्षी पार्टियों इस चुनाव में हर हालत में बढ़त हासिल करना चाहती हैं.
कहा जा रहा है कि इस चुनाव में विपक्षी पार्टियों सभी को अपने-अपने साथ जोड़ने पर लगी है. दोनों उम्मीदवार सभी पार्टियों के लोगों से संपर्क करने में जुटे हुए हैं.व्हीप जारी नहीं होने की वजह से उपराष्ट्रपति के कई चुनाव में कई स्वतंत्र उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में देखे गए हैं.लेकिन इस बार ऐसी कोई स्थिति नहीं है सिर्फ दो उम्मीदवार ही चुनाव मैदान में हैं.
वैसे सत्तारूढ़ पार्टी और विपक्ष गठबंधन ने जिस तरह से इस चुनाव में अपने-अपने प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतारा है उससे यह चुनाव दक्षिण वर्सेस दक्षिण बन गया है. यह चुनाव दक्षिण वर्सेस दक्षिण तो जरूर है लेकिन कहा जा रहा है कि आंध्र प्रदेश में पक्ष और विपक्ष दोनों ही एनडीए उम्मीदवार के समर्थन में है.
देश के संविधान में जो व्यवस्था है उसके अनुसार भारत का उपराष्ट्रपति अपने कार्यकाल के दौरान दोहरी भूमिका का निर्वहन करता है. वह कार्यपालिका के दूसरे मुखिया होते हैं तो वहीं उच्च सदन यानी राज्यसभा के सभापति भी होते हैं.
उपराष्ट्रपति के चुनाव में संसद के दोनों सदनों राज्यसभा और लोकसभा के सदस्य निर्वाचन मंडल के रूप में मतदान करते हैं. राष्ट्रपति के चुनाव में सांसद के साथ विधायक भी मतदान करते हैं लेकिन उपराष्ट्रपति के चुनाव में विधायक मतदान नहीं करते हैं. एक बात याद भी देखनी है कि दोनों सदनों के लिए मनोनीत सांसद राष्ट्रपति के चुनाव के लिए मतदान नहीं कर सकते हैं लेकिन उपराष्ट्रपति के चुनाव में मतदान कर सकते हैं.