Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Pages

Classic Header

{fbt_classic_header}

Top Ad

ब्रेकिंग :

latest

Breaking News

Automatic Slideshow


सतत देखभाल से सुपोषित हुई कृषा

असल बात न्यूज  सतत देखभाल से सुपोषित हुई कृषा गृहभेंट, पोषण परामर्श और समर्पित प्रयासों से कुपोषित बालिका सामान्य श्रेणी में पहुंची दुर्ग। म...

Also Read

असल बात न्यूज 

सतत देखभाल से सुपोषित हुई कृषा

गृहभेंट, पोषण परामर्श और समर्पित प्रयासों से कुपोषित बालिका सामान्य श्रेणी में पहुंची

दुर्ग। महिला एवं बाल विकास विभाग जिला दुर्ग द्वारा चलाए जा रहे कुपोषण मुक्ति अभियान के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। समुदाय में पोषण के प्रति लगातार बढ़ती जागरूकता के चलते अब कई कुपोषित बच्चों का वजन सामान्य स्तर की ओर बढ़ रहा है। ऐसा ही एक प्रेरणादायक उदाहरण ग्राम गनियारी की 2 वर्ष 6 माह की बालिका कृषा ठाकुर का है, जो अब कुपोषण से मुक्त होकर सुपोषण की ओर बढ़ चली है।

कृषा पूर्व में मध्यम कुपोषित श्रेणी में थी। जब आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मिथिलेश देवदास ने गृहभेंट की, तो पता चला कि कृषा को बाजार के पैकेट वाले चिप्स, कुरकुरे आदि खाने की आदत थी, जिससे उसका वजन नहीं बढ़ रहा था। सामान्य वजन की श्रेणी में आने के लिए कृषा को 800 ग्राम वजन बढ़ाना था। इस स्थिति को गंभीरता से लेते हुए कार्यकर्ता ने परिवार को पोषण संबंधी उचित सलाह दी। उन्हें बताया गया कि पैकेट वाले खाद्य पदार्थ बच्चों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डालते हैं। इसके स्थान पर घर में बना पौष्टिक भोजन, अंकुरित अनाज, मौसमी फल, चना, मूंगफली और रेडी-टू-ईट खाद्य का उपयोग करने को कहा गया। पर्यवेक्षक शशि रैदास द्वारा भी परिवार को डाइट चार्ट पढ़ाकर समझाया गया और उसका नियमित पालन करने की सलाह दी गई। साथ ही, कृषा को बाल संदर्भ योजना का लाभ दिलाया गया और आवश्यक दवाइयां भी समय पर दी गईं। लगातार चार माह के सतत प्रयासों और गृहभेंट के माध्यम से की गई निगरानी से कृषा का वजन 9.2 किलोग्राम से बढ़कर 10.2 किलोग्राम हो गया। कृषा अब सामान्य श्रेणी में आ गई है। उसकी मां ने बाल विकास विभाग और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के प्रति आभार जताया और अपने अनुभव को गाँव की अन्य माताओं के साथ साझा किया।

कृषा की कहानी से प्रेरित होकर एक अन्य कुपोषित बालक मितांशु साहू की मां ने भी यही उपाय अपनाने शुरू कर दिया। अब मितांशु को सामान्य स्थिति में आने के लिए केवल 200 ग्राम वजन बढ़ाने की आवश्यकता है। जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी अजय कुमार साहू ने बताया कि कुपोषण से निपटने के लिए विभाग द्वारा कुपोषण मुक्त ग्राम पंचायतों में नियमित गृहभेंट, पोषण शिक्षा और जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। लोगों में अब यह समझ विकसित हो रही है कि स्वस्थ खान-पान ही बच्चों को कुपोषण से बचा सकता है।