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समन्वित कृषि प्रणाली पर कृषक प्रशिक्षण का आयोजन

कवर्धा,असल बात कवर्धा, कृषि विज्ञान केन्द्र, कवर्धा में आदिवासी कृषकों के लिए एक दिवसीय समन्वित कृषि प्रणाली प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया...

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कवर्धा,असल बात





कवर्धा, कृषि विज्ञान केन्द्र, कवर्धा में आदिवासी कृषकों के लिए एक दिवसीय समन्वित कृषि प्रणाली प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि श्री ईश्वरी साहु, अध्यक्ष, जिला पंचायत कबीरधाम उपस्थित रहे। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम राष्ट्रीय पशुरोग जानपदिक एवं सूचना विज्ञान संस्थान, बेंगलुरू द्वारा वित्त पोषित परियोजना का हिस्सा था, जिसका उद्देश्य कृषकों को कृषि के साथ-साथ पशुपालन, बकरी पालन, मुर्गी पालन, सब्जी उत्पादन, वर्मीखाद उत्पादन जैसी गतिविधियों को बढ़ावा देना है।


इस परियोजना का प्रमुख उद्देश्य कृषकों को वर्षभर निरंतर आय सुनिश्चित करने के लिए समन्वित कृषि प्रणाली अपनाने के लिए प्रेरित करना है। इसके अलावा, कृषि के संसाधनों का समुचित उपयोग भी इस प्रणाली के माध्यम से किया जा सकता है।


मुख्य अतिथि श्री ईश्वरी साहु ने अपने संबोधन में कृषकों को समन्वित कृषि प्रणाली अपनाने की आवश्यकता और छत्तीसगढ़ शासन द्वारा चलाई जा रही कृषक हितैसी योजनाओं के बारे में जानकारी दी। कृषि विज्ञान केन्द्र, कवर्धा के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. बी.पी. त्रिपाठी ने भी कृषकों को इस योजना और केन्द्र की गतिविधियों के बारे में विस्तार से बताया।


कार्यक्रम के दौरान, मुख्य अतिथि श्री ईश्वरी साहु के हाथों उन्नत नस्ल की बकरियां, सब्जी कीट, कड़कनाथ मुर्गे और बटेर के चूजे वितरित किए गए। डॉ. प्रशांत सागर शर्मा, पशुचिकित्सा सहायक शल्यज्ञ ने बकरी और मुर्गी पालन के तकनीकी पहलुओं के बारे में कृषकों को समझाया।


कार्यक्रम में निदेशक, अटारी, जोन - 9, जबलपुर, डॉ. एस. आर. के. सिंह और निदेशक प्रसार, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर, डॉ. एस. एस. टुटेजा ने ऑनलाइन माध्यम से जुड़कर कृषकों को संबोधित किया। कृषकों को कृषि विज्ञान केन्द्र, कवर्धा में समन्वित कृषि प्रणाली के तहत स्थापित पशुपालन इकाई, कड़कनाथ पालन इकाई, बटेर पालन इकाई, मछली और बत्तख पालन इकाई का भ्रमण भी कराया गया।


इस कार्यक्रम में 50 से अधिक आदिवासी कृषकों ने भाग लिया। कार्यक्रम में श्री गोपाल साहु, अध्यक्ष, सेवा सहकारी समिति, कवर्धा और कृषि विज्ञान केन्द्र, कवर्धा के अधिकारी/कर्मचारी भी उपस्थित थे।


यह कार्यक्रम आदिवासी कृषकों को समन्वित कृषि प्रणाली के माध्यम से उनके जीवन स्तर को सुधारने और कृषि से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत जानकारी प्राप्त करने का एक बेहतरीन अवसर साबित हुआ।

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