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शराब त्रासदी के पीड़ितों के परिजनों को अनुग्रह राशि देने की भाजपा की मांग ‘गैर जिम्मेदाराना’

  पटना. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाईटेड (जदयू) के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने सारण जहरीली शराब...

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पटना. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाईटेड (जदयू) के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने सारण जहरीली शराब त्रासदी के पीड़ितों के परिजनों को अनुग्रह राशि देने की भाजपा की मांग को रविवार को ‘‘गैर जिम्मेदाराना’’ करार दिया.
पत्रकारों द्वारा पूछे जाने पर कुशवाहा ने कहा, ‘‘अगर कोई अवैध रूप से बम बना रहा है और इस प्रक्रिया में मारा जाता है तो क्या यह सरकारी मुआवजे का मामला बनता है.’’

सारण जहरीली शराब त्रासदी राज्य में अप्रैल 2016 में शराबबंदी लागू होने के बाद से सबसे बड़ी घटना है. इस त्रासदी में 30 लोगों की मौत हो गई है. हालांकि कई अपुष्ट रिपोर्टों में मरने वालों की संख्या 50 से अधिक बताई गई है. कुशवाहा ने कहा, ‘‘एक विपक्षी दल को बिना सोचे-समझे मांगों को नहीं उठाना चाहिए. जिस तरह से भाजपा व्यवहार कर रही है वह गैर-जिम्मेदाराना है.’’ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान इस मुद्दे को लेकर सदन की कार्यवाही बाधित किए जाने के साथ जहरीली शराब त्रासदी के पीड़ितों के लिए मुआवजे की मांग को लेकर सड़कों पर उतरी है.

हालांकि मुख्यमंत्री का कहना है कि मुआवजा शराबबंदी के उद्देश्य को विफल कर देगा जिसे राज्य की महिलाओं की मुखर मांग के बाद सभी दलों के बीच आम सहमति से किया गया था. इस बीच भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने एक संवाददाता सम्मेलन में नीतीश के बेवजह जिद्द पर अडेÞ होने का आरोप लगाते हुए कहा कि शराबबंदी कानून में शराब त्रासदी के पीड़ितों को मुआवजे के लिए प्रावधान किया गया था.

सुशील मोदी ने शराबबंदी से संबंधित 2016 के बिहार आबकारी कानून के एक खंड का हवाला देते हुए दावा किया कि संदिग्ध नकली शराब के सेवन से मरने वालों के परिवार के सदस्यों को चार लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने पर विचार किया जा सकता है जबकि बीमार होने वालों को 40,000 रुपये मिल सकते हैं.

बिहार में राजग शासनकाल के दौरान एक दशक से अधिक समय तक नीतीश मंत्रिमंडल में सुशील मोदी उपमुख्यमंत्री रहे थे और अब वह राज्यसभा सदस्य हैं. भाजपा अगस्त में से विपक्ष में है. पूर्व उपमुख्यमंत्री ने सारण में मरने वालों की संख्या सौ से अधिक होने का दावा करते हुए सरकार पर आंकड़े छिपाने की कोशिश में लगे होने का भी आरोप लगाया . उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन लोगों को डरा रहा है ताकि वे बिना पोस्टमार्टम के शवों का अंतिम संस्कार कर दें.