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राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु से राज्यपाल सुश्री उइके ने की सौजन्य भेंट, कई तरह के अटकलों को भी बल

  _प्रदेश की विभिन्न गतिविधियों से कराया अवगत, साइंस कॉलेज के हीरक जयंती समारोह के लिए किया आमंत्रित   नई दिल्ली,रायपुर । असल बात न्यूज़।।  ...

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_प्रदेश की विभिन्न गतिविधियों से कराया अवगत, साइंस कॉलेज के हीरक जयंती समारोह के लिए किया आमंत्रित 

नई दिल्ली,रायपुर ।

असल बात न्यूज़।।  

     00  विशेष संवाददाता  

छत्तीसगढ़ की राज्यपाल सुश्री अनसूया उइके ने अपने दिल्ली प्रवास के दौरान देश की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू से आज मुलाकात की है। राष्ट्रपति से उनकी यह मुलाकात छत्तीसगढ़ के संदर्भ में कई मामलों में महत्वपूर्ण मानी जा रही है। उल्लेखनीय है कि राज्यपाल सुश्री उईके के पास अभी छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा आरक्षण के संदर्भ में पारित विधेयक लंबित है। माना जा रहा है कि आरक्षण विधेयक पर वे दिल्ली से वापस लौटने के पश्चात बड़ा निर्णय ले सकती हैं। प्रदेश की सरकार के मंत्रियों ने उनसे पिछले दिनों मुलाकात कर आरक्षण विधेयक पर शीघ्र हस्ताक्षर करने का आग्रह किया है।

 प्राप्त जानकारी के अनुसार राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु से राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने आज राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में सौजन्य भेंट की। इस दौरान उन्होंने उनका कुशलक्षेम जाना। राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु को राज्यपाल सुश्री उइके ने प्रदेश की विभिन्न गतिविधियों के बारे में जानकारी दी तथा 12 जनवरी 2023 को प्रदेश के प्रतिष्ठित शासकीय नागार्जुन स्नातकोत्तर महाविद्यालय रायपुर के स्थापना के 75वें वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित ‘हीरक जयंती समारोह’, एमिटी विश्वविद्यालय रायपुर के दीक्षांत समारोह तथा आदिवासी शिव संस्कृति समिति, जिला-नर्मदापुरम द्वारा 12 से 18 फरवरी 2023 को आयोजित महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होने के लिए आमंत्रण दिया। राष्ट्रपति ने अपने निर्धारित कार्यक्रमों के अनुरूप यथासंभव आने की बात कही। 

इस दौरान राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु को राज्यपाल सुश्री उइके ने राजभवन की त्रैमासिक पत्रिका ‘एक आशा’ की प्रति भी भेंट की और राजभवन सचिवालय की नवाचार संबंधी गतिविधियों से अवगत कराया। साथ ही उन्होंने राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु का शाल व स्मृति चिन्ह भेंटकर अभिवादन किया। 



सबकी नजर इस ओर, आरक्षण विधेयक पर भी क्या हुई चर्चा

राज्यपाल सुश्री अनुसूया उईके ने राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को छत्तीसगढ़ राज्य में चल रहे विकास कार्यों के साथ प्रदेश में चल रही विभिन्न गतिविधियों बारे में जानकारी दी है। ऐसे में राजनीतिक विश्लेषकों के द्वारा अटकले लगाई जा रही है की क्या उनकी राष्ट्रपति जी से छत्तीसगढ़ के आरक्षण विधायक के संबंध में भी कोई बातचीत हुई है। उच्च न्यायालय के 19 सितम्बर को आये एक आदेश से छत्तीसगढ़ में SC-ST-OBC वर्ग का आरक्षण खत्म हो गया है। इसको फिर से लागू कराने के लिए सरकार ने 2 दिसम्बर को दो विधेयक पारित कर राज्यपाल की अनुमति मांगी थी। राज्यपाल ने  आरक्षण संशोधन विधेयकों  को फिर से विचार करने के लिए भी सरकार को लौटाया भी नहीं है। इसके उलट 14 दिसम्बर को राजभवन ने राज्य सरकार को 10 सवालों की एक फेहरिस्त भेजी। इसमें अनुसूचित जाति और जनजाति को सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़ा मानने का आधार पूछा गया है। इसके जरिये राजभवन ने कुछ कानूनी सवाल भी उठाये हैं। इसके बाद से विधेयकों के कानून बनने की संभावना टलती जा रही है।

भाजपा पर हमलावर है कांग्रेस-सरकार

राजभवन में हो रही इस देरी के लिए भाजपा कांग्रेस सरकार को जिम्मेदार ठहरा रही है। वहीं सरकार और कांग्रेस संगठन इस देरी के लिए भाजपा को जिम्मेदार बता रहे हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने साफ शब्दों में कह दिया है कि इन विधेयकों का इस तरह रोका जाना उचित नहीं है। अब समय आ गया है कि राज्यपाल के अधिकारों की समीक्षा होनी चाहिए। संसदीय कार्यमंत्री रविंद्र चौबे ने भाजपा के सवालों को राजभवन की मार्फत सरकार तक आने पर सवाल उठाये हैं। आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने एक दिन पहले कहा कि या तो राज्यपाल दस्तखत करे या फिर विधेयकों को वापस भेजे।

आरक्षण विधेयक पर हस्ताक्षर को लेकर चारों तरफ चर्चा

  • 19 सितम्बर को गुरु घासीदास साहित्य एवं संस्कृति अकादमी मामले में उच्च न्यायालय का फैसला आया। इसमें छत्तीसगढ़ में आरक्षण पूरी तरह खत्म हो चुका है।
  • शुरुआत में कहा गया कि इसका असर यह हुआ कि प्रदेश में 2012 से पहले का आरक्षण रोस्टर लागू हो गया है। यानी एससी को 16%, एसटी को 20% और अन्य पिछड़ा वर्ग को 14% आरक्षण मिलेगा।
  • सामान्य प्रशासन विभाग ने विधि विभाग और एडवोकेट जनरल के कार्यालय से इसपर राय मांगी। लेकिन दोनों कार्यालयों ने स्थिति स्पष्ट नहीं की।
  • सामान्य प्रशासन विभाग ने सूचना के अधिकार के तहत बताया कि हाईकोर्ट के फैसले के बाद 29 सितम्बर की स्थिति में प्रदेश में कोई आरक्षण रोस्टर क्रियाशील नहीं है।
  • आदिवासी समाज ने प्रदेश भर में आंदोलन शुरू किए। राज्यपाल और मुख्यमंत्री को मांगपत्र सौंपा गया। सर्व आदिवासी समाज की बैठकों में सरकार के चार-चार मंत्री और आदिवासी विधायक शामिल हुए।
  • लोक सेवा आयोग और व्यापमं ने आरक्षण नहीं होने की वजह से भर्ती परीक्षाएं टाल दीं। जिन पदों के लिए परीक्षा हो चुकी थीं, उनका परिणाम रोक दिया गया। बाद में नये विज्ञापन निकले तो उनमें आरक्षण रोस्टर नहीं दिया गया।
  • सरकार ने 21 अक्टूबर को उच्चतम न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दायर कर उच्च न्यायालय का फैसला लागू होने से रोकने की मांग की। शपथपत्र पर लिखकर दिया गया है कि उच्च न्यायालय के फैसले के बाद प्रदेश में भर्तियां रुक गई हैं।
  • राज्यपाल अनुसूईया उइके ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर हालात पर चिंता जताई। सुझाव दिया कि सरकार आरक्षण बढ़ाने के लिए अध्यादेश लाए अथवा विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए।
  • सरकार ने विधेयक लाने का फैसला किया। एक-दो दिसम्बर को विधानसभा सत्र बुलाने का प्रस्ताव राजभवन भेजा गया, उसी दिन राज्यपाल ने उसकी अनुमति दे दी और अगले दिन अधिसूचना जारी हो गई।
  • 24 नवम्बर को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में आरक्षण संशोधन विधेयकों के प्रस्ताव के हरी झंडी मिल गई।
  • 2 दिसम्बर को तीखी बहस के बाद विधानसभा ने सर्वसम्मति से आरक्षण संशोधन विधेयकों को पारित कर दिया। इसमें एससी को 13%, एसटी को 32%, ओबीसी को 27% और सामान्य वर्ग के गरीबों को 4% का आरक्षण दिया गया। जिला कॉडर की भर्तियों में जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण तय हुआ। ओबीसी के लिए 27% और सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए 4% की अधिकतम सीमा तय हुई।
  • 2 दिसम्बर की रात को ही पांच मंत्री विधेयकों को लेकर राज्यपाल से मिलने पहुंचे। यहां राज्यपाल ने जल्दी ही विधेयकों पर हस्ताक्षर का आश्वासन दिया। अगले दिन उन्होंने सोमवार तक हस्ताक्षर कर देने की बात कही। उसके बाद से विधेयकों पर हस्ताक्षर की बात टलती रही।
  • 14 दिसम्बर को राजभवन ने सरकार को पत्र लिखकर 10 सवाल पूछे।

 बताया जा रहा है उनकी राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू से भी मुलाकात के  छत्तीसगढ़ के आरक्षण विधेयकों पर भी चर्चा होने की उम्मीद रही है। दिल्ली से लौटने के बाद राज्यपाल हस्ताक्षर करती हैं या उसे टाल जाती हैं सभी की इसी पर नजर है।

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