रायपुर, राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में ओडिशा के दालखाई नृत्य के कलाकार अपनी खास वेशभूषा में आये। सुंदर गोदने से सुसज्जित ल...
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राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में ओडिशा के दालखाई नृत्य के कलाकार
अपनी खास वेशभूषा में आये। सुंदर गोदने से सुसज्जित लोक कलाकारों के नृत्य
प्रदर्शन को देखकर लोग चकित रह गये। संबलपुरी परिधान में इन कलाकारों ने
अपना पारंपरिक लोकनृत्य प्रस्तुत किया। यह अनोखा लोक नृत्य भाई के दीर्घायु
कामना के लिए बहनों द्वारा किया जाता है। बहनें मानती हैं कि वन देवी उनके
भाई को आरोग्य और दीर्घायु होने का वर दे सकती हैं। उनकी प्रार्थना के लिए
परंपरागत तरीके से श्रृंगार करती हैं और वन देवी से वर मांगती है। वनदेवी
की पूजा के साथ ही वे पेड़ और पत्तियों की पूजा भी करती है। एक तरह से यह
नृत्य प्रकृति से जनजातीय समाज के सुंदर संबंध का प्रतीक भी है।
नृत्य की सबसे बड़ी खासियत इसका दुनदुनी वाद्य यंत्र है जिसकी सुमधुर धुन से
नृत्य खास तौर पर आकर्षित हो जाता है। संबलपुरी साड़ियां और वस्त्रों के
चटख रंग नृत्य की सुंदरता में चार चांद लगा देते हैं।
दालखाई नृत्य के कलाकारों के गोदना भी खास रोचक रहे। जैसे जनजातीय कला में
सुंदर चित्रों को सजाने में प्रतीकों का उपयोग होता है वैसे ही प्रतीक
गोदना में दिखे। महोत्सव के दर्शकों के लिए दालखाई नृत्य देखना अद्भुत
अनुभव था।