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किसे वेंटिलेटर की आवश्यकता है, बताएगा नया सॉफ्टवेयर

  वेंटिलेटर की आवश्यकता वाले रोगियों की पहचान में सहायता करने वाले नए सॉफ्टवेयर का विकास नई दिल्ली, छत्तीसगढ़। असल बात न्यूज़। अब यह आसानी स...

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वेंटिलेटर की आवश्यकता वाले रोगियों की पहचान में सहायता करने वाले नए सॉफ्टवेयर का विकास

नई दिल्ली, छत्तीसगढ़। असल बात न्यूज़।
अब यह आसानी से पता कर लिया जाएगा कि किस मरीज को वेंटिलेटर की आवश्यकता है। एक नया सॉफ्टवेयर विकसित किया गया है जो यह बताने में सक्षम है कि किन रोगियों को आईसीयू में वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत है। इससे आपात स्थिति में मरीज को आवश्यक व्यवस्था के लिए रिफर करने में मदद मिलेगी। कोरोना के मरीजों को वेंटिलेटर के सपोर्ट की आवश्यकता है कि नहीं इसको यह सॉफ्टवेयर बेहतर तरीके से बताने में सक्षम है।इस software का सफलतापूर्वक उपयोग शुरू हो चुका है।

एक सॉफ्टवेयर अब उन रोगियों की पहचान कर सकता है जिन्हें आईसीयू में वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत है। समय रहते मरीज को रेफर करने से आपात स्थिति से पहले आवश्यक व्यवस्था करने में मदद मिलेगी। कोविड सेविरिटी स्कोर (सीएसएस) सॉफ्टवेयर नामक सॉफ्टवेयर में एक एल्गोरिथ्म है जो कारोना मरीजों को मापदंडों के एक सेट से मापता है। यह प्रत्येक रोगी के लिए एक पूर्व-निर्धारित डायनेमिक एल्गोरिथ्म के सहारे कई बार स्कोर करता है और एक ग्राफिकल ट्रेंड में इसे मैप करने के लिए एक कोविड सेविरिटी स्कोर (सीएसएस) देता है।

इस सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी का उपयोग कोलकाता और उपनगरों में तीन सामुदायिक कोविड देखभाल केंद्रों में किया जा रहा है, जिसमें कोलकाता के बैरकपुर में एक 100-बेड का सरकारी कोविड देखभाल केंद्र भी शामिल है।

कोरोना महामारी के दौरान अचानक आईसीयू और अन्य आपातकालीन आवश्यकताओं को पूरा करना अस्पतालों के लिए एक चुनौती रही है। ऐसी स्थितियों के बारे में समय पर जानकारी स्वास्थ्य संकट को बेहतर ढंग से प्रबंधन करने में मदद करेगी।

फाउंडेशन फॉर इनोवेशन इन हेल्थ, कोलकाता, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के साइंस फॉर इक्विटी, एम्पावरमेंट एंड डेवलपमेंट (सीड) के समर्थन और आईआईटी गुवाहाटी के साथ सहभागिता कर डॉ. केविन धालीवाल, एडिनबर्ग विश्वविद्यालय और डॉ. सायंतन बंदोपाध्याय, पूर्व में डब्ल्यूएचओ (दक्षिण एशिया क्षेत्रीय कार्यालय) के सहयोग से एक एल्गोरिथम विकसित किया है जो लक्षणों, संकेतों, महत्वपूर्ण मापदंडों, परीक्षण रिपोर्ट और कोविड संक्रमित रोगी के संक्रमण को मापता है और प्रत्येक को एक पूर्व-निर्धारित डायनेमिक एल्गोरिथ्म के सहारे स्कोर करता है। इस प्रकार एक कोविद सेविरिटी स्कोर ( सीएसएस) देता है ।

राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क (एनएसक्यूएफ) मॉडल में प्रशिक्षित और राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी), भारत सरकार द्वारा प्रमाणित फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को इन सभी मापदंडों को एक टैबलेट कंप्यूटर में रिकॉर्ड करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है, जिसमें सॉफ्टवेयर लोड होता है।

'सीएसएस' को नियमित रूप से रिमोट बैठे स्पेशलिस्ट डॉक्टरों द्वारा कई बार निगरानी की जाती है, जिससे प्रत्येक मरीज के लिए डॉक्टर के परामर्श का समय कम हो जाता है और डॉक्टरों को मरीज को देखने के लिए आने की आवश्यकता कम हो जाती है। यह एक आईसीयू और रेफरल में वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत वाले रोगियों की शीघ्र पहचान में मदद कर सकता है, उन लोगों के लिए अस्पताल रेफरल को कम कर सकता है जिन्हें गंभीर देखभाल सहायता की आवश्यकता नहीं है, इस प्रकार अस्पताल में अधिक बेड की उपलब्धता हो पाएगी। यह उन रोगियों को चिकित्सा निगरानी में सहायता प्रदान करने में भी मदद करेगा जो इलाज का खर्च नहीं उठा सकते हैं या घर की खराब स्थिति के कारण घर पर अलग-थलग ( आइसोलेट) नहीं हो सकते हैं।

यह सुविधा केवल बेड और ऑक्सीजन सपोर्ट वाले 'कोविड केयर सेंटर्स' के लिए बहुत बड़ी सहायता हो सकती है। हालांकि, इनवेसिव वेंटिलेशन के लिए इसमें कोई सुविधा नहीं है।

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