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मनमाना मुनाफा वसूली, दोगुने से अधिक दर पर बेची गई सब्जियां,

Field report.   भिलाई, दुर्ग। असल बात न्यूज़। लॉकडाउन के 1 दिन पहले बाजार में भारी भीड़ तथा लोगों की जरूरतों को देखते हुए सब्जी विक्रेताओं न...

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Field report.

 भिलाई, दुर्ग। असल बात न्यूज़।


लॉकडाउन के 1 दिन पहले बाजार में भारी भीड़ तथा लोगों की जरूरतों को देखते हुए सब्जी विक्रेताओं ने मनमाने तरीके से जमकर मुनाफावसूली की। लगभग सभी तरह की सब्जियां दोगुने से अधिक रेट पर बेची गई। ऐसे समय पर महंगाई, भीड़ तथा लोगों की जरूरतों को देखने वाला कोई नहीं रह जाता जिसका विक्रेताओं ने जमकर फायदा उठाया। प्याज की कालाबाजारी और मुनाफाखोरी तो लगभग महीने भर पहले से शुरू हो गई है और यह आज 50 से ₹60 प्रति किलो तक बेची गई। बाजार में भीड़ की एसी स्थिति  थी कि आम दिनों में 16 से ₹20 प्रति किलो पर बिकने वाली लौकी 50 से ₹60 तक विकी।

व्यापारियों को पहले से अनुमान था कि लॉकडाउन के पहले भारी खरीददारी होगी। इसे देखते हुए लगभग प्रत्येक सब्जी मार्केट में सब्जियों की बड़े पैमाने पर आपूर्ति भी हुई थी। दुकानों की संख्या भी अपेक्षाकृत अधिक थी। सब्जी दुकाने सुबह 6:00 बजे से लग गई थी और लोग सुबह से ही खरीदारी करने भी पहुंचने लगे थे। लोगों की जरूरत और भीड़ को देखते हुए सब्जी विक्रेताओं ने भारी मुनाफा वसूली की। महंगे दाम के बावजूद कई तरह की सब्जियां सुबह 10:00 बजे तक बिक गई। लोगों की भी है सामान लेने की भी लोगों की मजबूरी थी और जिस रेट पर बिक रहा था सब्जी वैसे ही खरीदी की गई। भीड़ इतनी अधिक थी कि लोगों को मोलभाव करने का वक्त नहीं मिला ।

इशानी सब्जी मार्केट में गोभी , लौकी, टमाटर, धनिया मिर्च, बैगन, बरबट्टी भिंडी, तुरई लाल भाजी, अदरक, लहसुन, सुरती तैयारी के बड़े पैमाने पर आवक हुई थी। आलू और प्याज मैं भारी मुनाफा वसूली हुई। आम दिनों में 30 से ₹35₹35 प्रति किलो की दर से बिकने वाली आलू 50 से ₹60 प्रति किलो की दर से बेची गई। जब महंगाई की बात होती है तो यही देखा जाता है कि कठिन परिस्थितियों में स्थानीय प्रशासन, महंगाई पर नियंत्रण रख पाता है कि नहीं। आज तो ऐसा नजर आया कि सब कुछ अनियंत्रित है। कहा जा रहा है कि जब एक दिन बाद सारी चीजें बंद की जाने वाली है तो 2 दिन पहले से सब्जियों की अलग-अलग स्थानों पर अधिक से अधिक दुकानें लगाने की व्यवस्था की जाती तथा सब्जियां उपलब्ध करवाई जाती। इस तरह की कोई रणनीति कहीं नहीं बन सकी। इतनी अधिक कीमत बढ़ा देने से लोगों की परेशानी बढ़ गई लेकिन लॉक डाउन होने की वजह से खरीददारी करना तो जरूरी हो गया था।