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वेतनवृद्धि की मांग को लेकर सहकारी बैंक कर्मचारियों ने किया विरोध प्रदर्शन

  राजिम। जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के अधिकारी और कर्मचारी अपनी लंबित वेतनवृद्धि की मांग को लेकर आंदोलनरत हो उठे हैं। 29 अक्टूबर से चरणबद्ध त...

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 राजिम। जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के अधिकारी और कर्मचारी अपनी लंबित वेतनवृद्धि की मांग को लेकर आंदोलनरत हो उठे हैं। 29 अक्टूबर से चरणबद्ध तरीके से चल रहा यह विरोध अब उग्र रूप लेता जा रहा है। कर्मचारियों ने मंगलवार को एक दिन का सामूहिक अवकाश लेकर बैंक मुख्यालय और सभी शाखा कार्यालयों के बाहर जोरदार नारेबाजी की और शासन-प्रबंधन के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया।



बता दें कि बैंक कर्मचारियों की प्रमुख मांग है कि वर्ष 2021 से लंबित वार्षिक वेतनवृद्धि को शीघ्र प्रभाव से लागू किया जाए। उनका कहना है कि बार-बार निवेदन और ज्ञापन देने के बावजूद अब तक उनकी मांगों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि यदि शासन और बैंक प्रबंधन ने जल्द सकारात्मक निर्णय नहीं लिया, तो 12 नवंबर से पूरे जिले में अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी जाएगी। इस दौरान जिले की सभी शाखाएं और एटीएम सेवाएं पूरी तरह बंद रहेंगी।


धरना-प्रदर्शन का चरणबद्ध कार्यक्रम

29 अक्टूबर से कर्मचारियों ने विरोध की शुरुआत की थी।

29 अक्टूबर से 2 नवंबर तक कर्मचारियों ने काली पट्टी बांधकर कार्य किया।

3 से 5 नवंबर तक कलमबंद आंदोलन और नारेबाजी की गई।

अब कल यानी 6 नवंबर को सभी कर्मचारी सामूहिक अवकाश लेकर विरोध जताएंगे।

7 से 11 नवंबर तक नोडल कार्यालय जिला मुख्यालय में धरना-प्रदर्शन जारी रहेगा।

अगर मांग पूरी नहीं हुई तो 12 नवंबर से पूरे जिले में अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी जाएगी।


न्यायालय आदेश की अवमानना का आरोप

कर्मचारियों ने बताया कि उच्च न्यायालय ने 19 फरवरी 2025 को जारी आदेश में बैंक प्रबंधन को 90 दिनों के भीतर लंबित वेतनवृद्धि भुगतान के निर्देश दिए थे। लेकिन आदेश के बावजूद अब तक भुगतान नहीं किया गया। कर्मचारियों ने इसे अदालत के आदेश की अवमानना करार देते हुए आंदोलन को और तेज करने की चेतावनी दी है।


किसानों को हो सकती है परेशानी

बैंक कर्मचारियों की यह हड़ताल जिले के ग्रामीण अर्थतंत्र को भी प्रभावित कर सकती है। यदि आंदोलन लंबा चला, तो इसका सीधा असर खरीफ सीजन की धान खरीदी पर पड़ेगा। सहकारी बैंक के माध्यम से किसानों को भुगतान और अन्य वित्तीय लेनदेन किए जाते हैं। आंदोलन की स्थिति में यह सेवाएं बाधित होंगी, जिससे किसानों को भुगतान में देरी और अन्य बैंकिंग कार्यों में दिक्कतें हो सकती हैं।


कर्मचारियों का रुख सख्त, समाधान की राह अब तक अस्पष्ट

कर्मचारियों का कहना है कि जब तक शासन स्तर पर उनकी जायज मांग पूरी नहीं की जाती, वे आंदोलन वापस नहीं लेंगे। उनका कहना है कि यह केवल वेतन का नहीं, बल्कि सम्मान और न्याय का सवाल है। वहीं, जिला प्रशासन और बैंक प्रबंधन ने स्थिति पर करीबी नजर रखी है, लेकिन अभी तक किसी ठोस समाधान की दिशा में पहल होती नहीं दिख रही है। बैंक कर्मचारियों का संदेश स्पष्ट है “जब तक मांग पूरी नहीं होगी तब तक संघर्ष जारी रहेगा।