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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार की जीवनी पर आधारित नाटक की सहज और प्रभावशाली प्रस्तुति, प्रेक्षागृह, भारत माता की जय, वंदे मातरम के जयघोष से गूंजा, अंतिम दृश्य में दर्शकों की आंखों से अश्रुधारा बह निकली

भिलाई,दुर्ग . असल बात news.   मुगलों की साजिश व बार-बार का आक्रमण, अंग्रेजों के अत्याचार, स्वतंत्रता की लड़ाई जैसे विषयों पर आधारित नाट्य प्...

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भिलाई,दुर्ग .

असल बात news.  

मुगलों की साजिश व बार-बार का आक्रमण,अंग्रेजों के अत्याचार, स्वतंत्रता की लड़ाई जैसे विषयों पर आधारित नाट्य प्रस्तुतियां दर्शकों को अपनी ओर सहज ही आकर्षित और प्रभावित करती है.यहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आद्य सर संघचालक डॉ केशव राव बलिराम हेडगेवार के जीवन पर प्रस्तुत नाट्य प्रस्तुति 'संघ सृजन का भव्य नाद'ने भी हजारों दशकों पर अपनी गहरी छाप छोड़ी और प्रभावित किया.इस नाट्य प्रस्तुति में आरएसएस के गठन की कल्पना किस तरह से हुई और इसका कैसे विस्तार हुआ,हिंदू समाज को जागृत करने के प्रयास की मीमांसा भी देखने को मिली तो वही इसमें डॉ.हेडगेवार- महात्मा गांधी संवाद और नेताजी सुभाष चंद्र बोस संवाद भी था. जो तात्कालिक परिस्थितियों की मानसिकता,कतिपय असमर्थता,और हिंदू समाज की दिशाहीन अकर्मण्यता  को सशक्त रूप से उजागर करता प्रतीत हुआ.नाटक में सहजता और जीवंतता से प्रस्तुत होता दिखा कि कई सारे सपने संजोए डॉ हेडगेवार जी, गंभीर बीमारी से पीड़ित होने के चलते कैसे अपने स्वयंसेवकों से मिल नहीं पाते हैं तथा उनका अकस्मात निधन हो जाता है और वे अपनी जिम्मेदारियों को नई पीढ़ी को सौंप जाते हैं तो इसके दृश्य और संवादों से दर्शकों के आंखों में आंसू आ जाते हैं.स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलन में क्या सही था और क्या गलत...? इसकी कल्पनाओं के झंझावतों में विचरते अपनी आंखों में आंसू लिए दर्शक प्रेक्षागृह से बाहर आता है.



हिंदू समाज को जागृत करने की कोशिश और स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई के कई सारे नए तथ्यों को सामने लाने वाली यह नाटय प्रस्तुति कई मायनों में काफी प्रभावशाली और सशक्त नजर आई.डॉ हेडगेवार जी और महात्मा गांधी जी का संवाद और इस दौरान महात्मा गांधी जी कई सारे सवालों का जवाब देने में जो तटस्थ नजर आए वह विषय दर्शकों का काफ़ी प्रभावित करता नजर आया.यहां डॉ हेडगेवार और सुभाष चंद्र बोस जी का संवाद भी काफी सशक्त था. नाट्य प्रस्तुति में लगभग सभी पात्रों की भूमिका महाराष्ट्र के कलाकारों ने निभाई है. इसके निर्माता पद्माकर धनोरकार हैं. इसके लेखक डॉ अजय प्रधान है. यह यहां इसकी 25वीं प्रस्तुति थी.

नाटक का बैकग्राउंड शानदार व जीवंत बन पड़ा था.इसमें डॉ.हेडगेवार जी के निवास स्थल तथा कार्यस्थल के बनाए गए चित्र,वास्तविक नजर आए.नाटक में बताने का प्रयास किया गया कि हिंदू समाज कैसे जातियों में बंटा हुआ है, आपस में फूट है,और अकर्मण्य तथा निष्क्रिय है जिसके चलते उसे बार-बार गुलाम बना लिया जाता रहा है.उस समय,कांग्रेस के विभिन्न अधिवेशनों में अंग्रेजों से तत्काल पूर्ण स्वराज की मांग नहीं करने तथा हिंदू- मुसलमानो की समस्याओं के विषय पर भी इस नाटक में सवाल खड़ा किया गया.युवा पीढ़ी को महान भारतीय संस्कृति के पुण्य प्रताप का पाठ पढ़ाते हुए आरएसएस से जुड़ने,सक्रिय रहने,शक्तिहीन बने समाज को जागृत करने तथा देश की आजादी को अक्षुण्य रखने के लिए काम करने का आह्वान किया गया. इसमें डॉ.हेडगेवार के निधन के पहले के अंतिम संवाद को काफी प्रभावशाली सशक्त तरीके से प्रस्तुत किया गया








इस नाट्य प्रस्तुति को राज्य के स्कूल शिक्षा मंत्री गजेंद्र यादव, दुर्ग लोकसभा क्षेत्र के सांसद विजय बघेल,अहिवारा विधायक डोमन लाल कोरसेवाडा, प्रांत संघसह कार्यवाह घनश्याम सोनी, जिला भाजपा दुर्ग के अध्यक्ष सुरेंद्र कौशिक,भिलाई अध्यक्ष पुरुषोत्तम देवांगन,पारस जंघेल इत्यादि ने भी देखा. उत्साहित होकर दर्शकों के द्वारा प्रस्तुति के दौरान हाल में 'भारत माता की जय','वंदे मातरम'का बार-बार जय घोष किया जाता रहा.इससे कलाकारों का उत्साहवर्धन हो रहा था.

इस अवसर पर बोलते हुए मंत्री गजेंद्र यादव ने कहा कि हम सबके लिए सभी धर्म,पंथ,संप्रदाय से ऊपर उठकर, सबसे पहले सिर्फ भारत माता है. भारत माता सुरक्षित रहेंगी,समृद्ध बनेंगी तभी हम भी खुशहाल रह सकेंगे. भारत देश आज विश्व गुरु बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है तब हम सबकी एकजुटता बहुत अधिक जरूरी है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लोग इन्हें उद्देश्यों को लेकर अलग-अलग क्षेत्र में काम कर रहे हैं. उन्होंने सभी से संघ की शाखा में जरूर जाने की अपील की.

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सांसद विजय बघेल ने अपने उद्बोधन में कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ हेडगेवार जी की जीवनी आज के समय में बहुत प्रासंगिक है. उन्होंने आरएसएस का एक बीज बोया है जो आज एक वट वृक्ष बनकर पूरी दुनिया में फैल गया है.स्वयंसेवकों में देश के प्रति जो समर्पणभावना, सद्भावना और सहिष्णुता तथा सामाजिक एकता नजर आती है वह बहुत कम ही संगठनों में देखने मिलती है.सनातन धर्म पूरी दुनिया में शांति और अहिंसा का संदेश दे रहा है. इन्हीं संदेशों को लेकर भारत देश आज दुनिया में विकसित राष्ट्र बनने की ओर बढ़ रहा है.

 

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