भिलाई . असल बात news. स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय, भिलाई में राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के तत्वावधान में “स्वदेशी उत्सव –...
भिलाई .
असल बात news.
स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय, भिलाई में राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के तत्वावधान में “स्वदेशी उत्सव – आत्मनिर्भर भारत” का आयोजन उत्साहपूर्वक किया गया। महाविद्यालय के प्राध्यापक एवं विद्यार्थियों ने अपने–अपने तरीकों से इस दिन को विशेष बनाया। कार्यक्रम के अंतर्गत सभी ने अपने-अपने राज्य की पारंपरिक वेशभूषा धारण की तथा घर पर बने पारंपरिक खाद्य पदार्थ लाकर एक-दूसरे के साथ साझा कर आनंद लिया।
श्रीमती संयुक्ता पाढ़ी, कार्यक्रम अधिकारी, एन.एस.एस ने स्वदेशी उत्सव के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि “आत्मनिर्भर भारत का मार्ग हमारी अपनी संस्कृति और परंपराओं की शक्ति में छिपा है। यह उत्सव हमें यह सिखाता है कि विदेशी वस्तुएँ हमें सुविधा दे सकती हैं, पर स्वदेशी वस्तुएँ हमें आत्मगौरव, स्वास्थ्य और आर्थिक सशक्तिकरण प्रदान करती हैं। आज के इस आयोजन में विद्यार्थियों और प्राध्यापकों की रचनात्मकता देखकर गर्व होता है कि हमारी युवा पीढ़ी न केवल परंपरा को संजो रही है, बल्कि स्थानीय हस्तशिल्प, स्वदेशी व्यंजन और पारंपरिक परिधान के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को साकार करने का मार्ग भी प्रशस्त कर रही है।”
इस अवसर पर प्राध्यापकों और विद्यार्थियों द्वारा हस्तनिर्मित वस्तुओं की आकर्षक प्रदर्शनी लगाई गई, जिसमें वॉल आर्ट, कुशन कवर, जूट बैग, पर्स, कॉटन पर कशीदाकारी किए हुए रूमाल और सोफा कवर जैसे सुंदर हस्तशिल्प प्रदर्शित किए गए। संदेश बिल्कुल साफ़ था—स्वदेशी अपनाना ही सच्ची आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने का सबसे सुंदर मार्ग है। विभिन्न राज्यों की पारंपरिक वेशभूषा में रैंप वॉक की आकर्षक प्रस्तुति दी गई l किसी ने पंजाब की फुलकारी की झलक दिखाई, तो किसी ने बंगाल का तांत, किसी ने छत्तीसगढ़ के रंगीन लुगरा का आकर्षण बढ़ाया, तो किसी ने ओडिशा की प्रसिद्ध सम्बलपुरी साड़ी का मनमोहक प्रदर्शन किया। आपसी सहयोग और उत्साह से सराबोर यह आयोजन केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि स्वदेशी भाव को जीवन में उतारने का प्रेरक संकल्प बन गया।
सूक्ष्म विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. शमा बैग ने अपने हाथों से बनाए गए कुशन कवर और वॉल हैंगिंग का प्रदर्शन करते हुए कहा कि “स्वदेशी कला हमारी सृजनात्मकता और परंपरा का संगम है, जिसे हमें संजोकर रखना चाहिए।”
उल्लेखनीय है कि स्वरूपानंद महाविद्यालय में नियमित रूप से मिलेट्स कैफ़े का आयोजन किया जाता है। इस अभिनव पहल के अंतर्गत विद्यार्थी स्वयं मिलेट्स से बने विविध व्यंजन तैयार कर लाते हैं और उन्हें बिक्री के लिए प्रस्तुत करते हैं। इससे न केवल उन्हें स्वदेशी और पौष्टिक खाद्यान्नों के महत्व की जानकारी मिलती है, बल्कि आत्मनिर्भरता की दिशा में छोटे–छोटे आर्थिक अनुभव भी प्राप्त होते हैं। इस कैफ़े के माध्यम से विद्यार्थियों में उद्यमिता की भावना का विकास होता है और स्थानीय अन्न–संस्कृति को बढ़ावा देने का सार्थक संदेश समाज तक पहुँचता है।
स्वदेशी व्यंजनों का स्वाद भी उत्सव की खासियत रहा। विद्यार्थियों और प्राध्यापकों ने मुठिया, थेठरी, खुर्मी, धुस्का, बेगुन भाजा और चीला जैसे पारंपरिक व्यंजनों का भरपूर आनंद लिया। वाणिज्य विभाग के सहायक प्राध्यापक श्री अमरजीत ने कहा कि “विदेशी फ्रेंच फ्राइज से कई गुना पौष्टिक हमारा आलू भुजिया है।” वहीं श्री विजय मिश्रा ने छत्तीसगढ़ी व्यंजन “चौसेला” की खासियत बताते हुए कहा कि इसकी पारंपरिक सुगंध और स्वाद का कोई मुकाबला नहीं।
इस अवसर पर महाविद्यालय के निदेशक डॉ. दीपक शर्मा ने कहा कि “स्वदेशी को अपनाना केवल परंपरा नहीं, बल्कि आर्थिक सशक्तिकरण का माध्यम भी है।
महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. हंसा शुक्ला ने अपने उद्बोधन में कहा कि “युवा पीढ़ी जब स्वदेशी को आत्मसात करेगी, तभी आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार होगा। हमें गर्व है कि हमारे विद्यार्थी न केवल पारंपरिक संस्कृति को सहेज रहे हैं, बल्कि आधुनिक समय में उसे नई दिशा भी दे रहे हैं। यह आयोजन यह दर्शाता है कि स्वदेशी अपनाने का अर्थ केवल अतीत को संजोना नहीं, बल्कि भविष्य को मजबूत करना भी है, जिसमें शिक्षा और आत्मविश्वास की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।”
कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों ने एक-दूसरे के हस्तनिर्मित सामानों और पारंपरिक व्यंजनों की सराहना करते हुए अपनी संस्कृति और परंपरा पर गर्व व्यक्त किया।