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स्वरूपानंद महाविद्यालय में आयोजित एफडीपी में“खाद्य प्रौद्योगिकी में नवाचार, खाद्य प्रसंस्करण, गुणवत्ता आश्वासन एवं सुरक्षा पर वैश्विक परिप्रेक्ष्य” विषय पर प्रो. चंद्रकांता महेन्द्रनाथन ,श्रीलंका का व्यक्त्तव

  भिलाई . असल बात news. स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय, हुडको, भिलाई में चल रहे ए.आई.सी.टी.ई.–अटल फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम “ए...

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भिलाई .

असल बात news.

स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय, हुडको, भिलाई में चल रहे ए.आई.सी.टी.ई.–अटल फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम “एग्रो-टेक एवं फूड प्रोसेसिंग में तकनीकी नवाचार” के चौथे दिन के सातवें सत्र का आयोजन  हुआ। इस सत्र की विशेषज्ञ वक्ता थीं प्रो. (श्रीमती) एम.आर.जे.सी. चन्द्रकांथा महेंद्रनाथन, प्रोफेसर, विभाग–वनस्पति विज्ञान, ईस्टर्न यूनिवर्सिटी,श्रीलंका।

उन्होंने “खाद्य प्रसंस्करण में नवाचार, गुणवत्ता आश्वासन एवं सुरक्षा प्रौद्योगिकियाँ”  विषय पर विस्तारपूर्वक व्याख्यान प्रस्तुत किया। अपने उद्बोधन में उन्होंने बताया कि बदलते वैश्विक परिदृश्य में खाद्य प्रौद्योगिकी में तीव्र प्रगति हो रही है, जिससे खाद्य सुरक्षा और पोषण की गुणवत्ता को सुनिश्चित किया जा सकता है। उन्होंने विशेष रूप से हाई-प्रेशर प्रोसेसिंग, अल्ट्रासाउंड प्रोसेसिंग, यूवी रेडिएशन, कोल्ड प्लाज़्मा तकनीक, रेडियो फ्रीक्वेंसी हीटिंग, माइक्रोवेव एवं इन्फ्रा-रेड हीटिंग जैसी आधुनिक प्रसंस्करण तकनीकों की भूमिका स्पष्ट की।

उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा आज की सबसे बड़ी चुनौती है क्योंकि जलवायु परिवर्तन, संसाधनों की कमी और बढ़ती जनसंख्या के कारण 2050 तक खाद्य मांग में 60% तक वृद्धि संभावित है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए नैनोटेक्नोलॉजी आधारित पैकेजिंग, नैनो-एन्कैप्सुलेशन, नैनो-इमल्शन और नैनो-सेंसर तकनीकों को अपनाना आवश्यक है। इससे खाद्य की शेल्फ लाइफ बढ़ाने, गुणवत्ता बनाए रखने और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद मिलती है।

प्रो. महेंद्रनाथन ने यह भी बताया कि नई तकनीकों के उद्योग में सफल अपनाने के लिए उपभोक्ता स्वीकृति, लागत प्रभावशीलता, तथा नियामक मानकों की अहम भूमिका है। उन्होंने कहा कि ये तकनीकें न केवल खाद्य गुणवत्ता और सुरक्षा को बढ़ाती हैं बल्कि ऊर्जा एवं जल संरक्षण में योगदान कर कार्बन फुटप्रिंट कम करने में भी सहायक हैं।

आठवें सत्र में आमंत्रित विशेषज्ञ  डॉ. निकुंज सोनी ने “कृषि-खाद्य क्षेत्र में उद्यमिता और नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र”विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। अपने सारगर्भित उद्बोधन में उन्होंने उद्यमिता, नवाचार और स्टार्टअप इकोसिस्टम की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने समझाया कि स्वरोजगार, उद्यमिता और स्टार्टअप कल्चर न केवल युवाओं को आत्मनिर्भर बनाते हैं बल्कि ग्रामीण विकास, रोजगार सृजन और आर्थिक प्रगति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

उन्होंने प्रतिभागियों को बताया कि कृषि–खाद्य क्षेत्र में इनोवेशन हब, बिज़नेस इन्क्यूबेशन, वित्तीय सहयोग और वैश्विक मेंटरशिप नेटवर्क जैसे तत्व किस प्रकार कृषि–प्रसंस्करण उद्योग को नई दिशा प्रदान कर रहे हैं। 

सत्र के अंत में प्रतिभागियों द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उन्होंने धैर्यपूर्वक समाधान किया और व्यावहारिक उदाहरणों के साथ सभी जिज्ञासाओं का उत्तर दिया। 

इस अवसर पर प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला ने कहा कि “प्रो. महेंद्रनाथन और श्री सोनी जैसे विशेषज्ञों का मार्गदर्शन हमारे शिक्षकों और शोधार्थियों को आत्मनिर्भरता, उद्यमिता और नवाचार की दिशा में नई सोच प्रदान करता है। इस प्रकार के व्याख्यान प्रतिभागियों को शोध और स्टार्टअप के क्षेत्र में सक्रिय योगदान हेतु प्रेरित करते हैं।” 

प्रबंधन की ओर से डा. मोनिषा शर्मा एवं डॉ. दीपक शर्मा, निदेशक, श्री शंकराचार्य एजुकेशनल कैंपस, हुडको, ने कहा कि प्रो. महेंद्रनाथन और श्री सोनी जैसे  विषय विशेषज्ञों के व्याख्यान न केवल शैक्षणिक गुणवत्ता को समृद्ध करते हैं, बल्कि शिक्षकों और शोधार्थियों को व्यावहारिक दृष्टिकोण और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए भी तैयार करते हैं।”

सह-समन्वयक श्रीमती रुपाली खर्चे ने सत्र का संचालन करते हुए प्रतिभागियों को सत्र की दिशा और उद्देश्यों से अवगत कराया। उन्होंने विशेषज्ञों का स्वागत करते हुए उनके योगदान की सराहना की और कहा कि इस व्याख्यान से प्रतिभागियों को निश्चित ही नए विचारों, स्टार्टअप अवसरों और अनुसंधान की संभावनाओं की दिशा में लाभ हुआ है।

कार्यक्रम समन्वयक डॉ. शमा अफ़रोज़ बेग ने विशेषज्ञ का हार्दिक स्वागत करते हुए कहा कि प्रो. महेंद्रनाथन का यह व्याख्यान प्रतिभागियों को खाद्य प्रसंस्करण और गुणवत्ता आश्वासन की नवीनतम तकनीकों से परिचित कराता है और भविष्य की चुनौतियों से निपटने का मार्ग दिखाता है। उन्होंने कहा कि डॉ. सोनी का व्याख्यान प्रतिभागियों को आत्मनिर्भरता, नवाचार और उद्यमिता की दिशा में प्रेरित करता है और भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए उन्हें तैयार करता है। अंत में उन्होंने आभार व्यक्त करते हुए कहा – “ज्ञान साझा करना, नवाचार के बीज बोना है, जो आने वाली पीढ़ियों को नई राह दिखाते हैं।”

सुश्री योगिता लोखंडे, सहायक प्राध्यापक, सूक्ष्मजीवविज्ञान विभाग ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत करते हुए कहा कि –

“हम अपने आमंत्रित दोनों विशिष्ट वक्ताओं के प्रति हृदय से आभार व्यक्त करते हैं। प्रो. (श्रीमती) एम.आर.जे.सी. चन्द्रकांथा महेंद्रनाथन (श्रीलंका) ने अपने व्याख्यान में प्रतिभागियों को खाद्य प्रसंस्करण, गुणवत्ता आश्वासन और सुरक्षा तकनीकों के अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य से अवगत कराया, जो सभी के लिए अत्यंत प्रेरणादायी और ज्ञानवर्धक रहा। वहीं, डॉ. निकुंज सोनी ने उद्यमिता, नवाचार और स्टार्टअप इकोसिस्टम पर प्रकाश डालते हुए प्रतिभागियों को आत्मनिर्भरता और नवाचार की दिशा में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।

आप दोनों के अनुभव और मार्गदर्शन ने प्रतिभागियों के ज्ञान को समृद्ध किया है तथा उन्हें भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए नए दृष्टिकोण और व्यावहारिक विचार प्रदान किए हैं।

अंत में, उन्होंने प्रबंधन – डा. मोनिषा शर्मा एवं डॉ. दीपक शर्मा, प्राचार्य डा. हंसा शुक्ला, कार्यक्रम समन्वयक डा. शमा अफ़रोज़ बेग, सह-समन्वयक श्रीमती रुपाली खर्चे तथा पूरी एफ.डी.पी. टीम के सहयोग एवं सक्रिय सहभागिता के लिए सभी प्रतिभागियों का भी आभार व्यक्त किया।

कार्यक्रम को सफल बनाने में एफ.डी.पी. टीम – श्री शांतुनु बनर्जी, श्री जमुना प्रसाद, श्रीमती श्रीलता नायर, सुश्री संतोषी चक्रवर्ती, श्रीमती मोनिका मेश्राम, सुश्री सीमा राठौड़, सुश्री निकिता देवांगन और सुश्री सुरभि श्रीवास्तव – का सराहनीय सहयोग रहा।