भिलाई. असल बात news. स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय, हुडको, भिलाई में आयोजित एआईसीटीई द्वारा प्रायोजित अटल फैकल्टी डेवलपमेंट प...
भिलाई.
असल बात news.
स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय, हुडको, भिलाई में आयोजित एआईसीटीई द्वारा प्रायोजित अटल फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम “एग्रो-टेक एवं फूड प्रोसेसिंग में तकनीकी नवाचार” के तृतीय दिवस में डॉ. भावेशकुमार एच. जोशी, प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, फूड सेफ्टी एवं क्वालिटी एश्योरेंस, आनंद कृषि विश्वविद्यालय, गुजरात ने “स्मार्ट पैकेजिंग” विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया।
डॉ. जोशी ने अपने उद्बोधन में कहा कि आधुनिक खाद्य प्रसंस्करण में स्मार्ट पैकेजिंग केवल संरक्षण का साधन नहीं रह गया है, बल्कि यह उपभोक्ता को सुरक्षित, ताज़ा और गुणवत्तापूर्ण खाद्य उपलब्ध कराने की एक अभिनव तकनीक बन चुका है।
उन्होंने बताया कि स्मार्ट पैकेजिंग को दो श्रेणियों में बाँटा जा सकता है – सक्रिय पैकेजिंग और बौद्धिक पैकेजिंग
सक्रिय पैकेजिंग में ऑक्सीजन स्कैवेंजर, एंटीमाइक्रोबियल फिल्म्स, मॉइस्चर एब्जॉर्बर, एंटीऑक्सीडेंट और एथिलीन स्कैवेंजर जैसी तकनीकें शामिल हैं, जो खाद्य की शेल्फ-लाइफ बढ़ाने में मदद करती हैं। वहीं बौद्धिक पैकेजिंग में फ्रेशनेस और रिपनेस इंडिकेटर्स, टाइम-टेम्परेचर इंडिकेटर्स, गैस सेंसर, बायोसेंसर आधारित ट्रेसबिलिटी सिस्टम महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
उन्होंने स्पष्ट किया कि इन तकनीकों से न केवल खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता सुनिश्चित होती है, बल्कि यह भंडारण, परिवहन और ई-कॉमर्स में भी उपयोगी है। साथ ही, इन नवाचारों से फूड वेस्टेज कम करने और सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने में भी मदद मिलती है।
उन्होंने बताया कि एंटीमाइक्रोबियल पैकेजिंग, इंडिकेटर लेबल्स, नैनो-टेक्नोलॉजी आधारित पैकेजिंग और सक्रिय पैकेजिंग सिस्टम जैसे नवाचार खाद्य की गुणवत्ता बनाए रखने और उसकी शेल्फ-लाइफ बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
विशेष रूप से उन्होंने बायोपॉलिमर पैकेजिंग और पर्यावरण अनुकूल पैकेजिंग सामग्री के उपयोग पर प्रकाश डाला, जो न केवल उपभोक्ता सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं बल्कि सतत विकास लक्ष्यों के अनुरूप भी हैं।
डॉ. सतीश रेड्डी अम्बाती, सीईओ, एग्रीप्रोविज़न तथा निदेशक, ने परिशुद्ध कृषि में इंटरनेट ऑफ थिंग्स अनुप्रयोग विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया।
डॉ. अंबाटी ने अपने व्याख्यान में बताया कि प्रिसीजन एग्रीकल्चर आधुनिक तकनीक आधारित कृषि की ऐसी पद्धति है जिसमें इंटरनेट ऑफ थिंग्स का उपयोग कर फसल उत्पादन, संसाधन उपयोग और कृषि संबंधी निर्णयों को अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जिस प्रकार स्मार्ट वॉच हमारे स्वास्थ्य संकेतकों—जैसे हृदय गति, रक्तचाप और नींद की गुणवत्ता—की निगरानी करती है, उसी प्रकार स्मार्ट सेंसर, ड्रोन, जीआईएस और रिमोट सेंसिंग तकनीकें फसलों और मिट्टी की वास्तविक समय जानकारी उपलब्ध कराती हैं।
उन्होंने विस्तार से समझाया कि आईओटी का उपयोग मृदा तैयारी और परीक्षण में जीपीएस गाइडेड लेवलर, स्मार्ट सॉइल सेंसर और कॉम्पैक्शन मॉनिटर के माध्यम से किया जा सकता है, वहीं बीज बोवाई और अंकुरण के लिए सीडिंग एप्लिकेशन और उपयुक्त बोवाई घनत्व की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। फसल वृद्धि और सिंचाई प्रबंधन हेतु स्मार्ट फर्टिगेशन कंट्रोलर और स्वचालित स्प्रेयर्स “प्रति बूंद अधिक फसल" की अवधारणा को साकार करते हैं। इसी प्रकार पोषक तत्व और कीट प्रबंधन में आईओटी आधारित इनपुट डोज़, एकीकृत कीट प्रबंधन समाधान तथा कीट–रोग की प्रारंभिक पहचान के साधन उपयोगी हैं।
उन्होंने बताया कि फसल स्वास्थ्य निगरानी में मल्टीस्पेक्ट्रल ड्रोन, प्लांट कैनोपी सेंसर और रियल-टाइम इमेजिंग महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वहीं, बाज़ार और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन में फार्म-टू-फोर्क ट्रेसेबिलिटी , मोबाइल मार्केटप्लेस, पेमेंट गेटवे और डेटा-ड्रिवन पारदर्शिता जैसी सुविधाएँ किसानों को सीधे उपभोक्ताओं से जोड़ने और अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करने में मदद करती हैं।
अंत में उन्होंने कहा कि आईओटी के अपनाने से किसान न केवल समय, संसाधन और लागत की बचत कर सकते हैं, बल्कि इससे फसल की पैदावार और गुणवत्ता में भी वृद्धि संभव है।
दोनों विशेषज्ञों ने प्रतिभागियों के प्रश्नों का धैर्यपूर्वक समाधान किया और व्यावहारिक उदाहरणों से सभी की जिज्ञासाओं का संतोषजनक उत्तर दिया। प्रतिभागियों ने “भारतीय परिप्रेक्ष्य में आईओटी तकनीकों की लागत, विस्तार और व्यवहारिक उपयोगिता” से संबंधित प्रश्न पूछे, जिनका डॉ. अम्बाती ने धैर्यपूर्वक और शोधपरक दृष्टिकोण से उत्तर दिया।
सत्रों का संचालन सह-समन्वयक श्रीमती रुपाली खर्चे ने किया।
कार्यक्रम समन्वयक डॉ. शमा अफ़रोज़ बेग ने विशेषज्ञों का स्वागत एवं परिचय कराते हुए कहा कि “ये व्याख्यान प्रतिभागियों को आधुनिक तकनीकों की समझ प्रदान करते हैं और अनुसंधान तथा उद्योग जगत के बीच एक मजबूत सेतु का निर्माण करते हैं।” उन्होंने कहा कि “डॉ. जोशी का व्याख्यान प्रतिभागियों को खाद्य प्रसंस्करण और पैकेजिंग के क्षेत्र में नवीनतम प्रगति से अवगत कराने वाला रहा, जिसने शोध और उद्योग जगत को जोड़ने का एक सशक्त माध्यम प्रदान किया।” उन्होंने कहा कि “डॉ. अंबाटी ने व्याख्यान में कृषि में आईओटी की संभावनाओं पर प्रकाश डाला और प्रतिभागियों को तकनीक आधारित समाधान अपनाने के लिए प्रेरित करता है।”
अंत में सुश्री योगिता लोखंडे, सहायक प्राध्यापक, सूक्ष्मजीवविज्ञान विभाग ने विषय विशेषज्ञों के प्रति आभार व्यक्त किया और कहा कि “आपके मार्गदर्शन ने प्रतिभागियों के ज्ञान को समृद्ध किया है और उन्हें भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार किया है।”
कार्यक्रम को सफल बनाने में श्री शांतुनु बनर्जी, श्री जमुना प्रसाद, श्रीमती श्रीलता नायर, सुश्री संतोषी चक्रवर्ती, श्रीमती मोनिका मेश्राम, सुश्री सीमा राठौड़, सुश्री निकिता देवांगन और सुश्री सुरभि श्रीवास्तव – का सराहनीय सहयोग रहा।


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