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हाथों में तख्तियां लिए ये बच्चियां लगातार नारे लगाती रहीं और प्रशासन से सीधी मांग की – “हमें सिर्फ शिक्षक नहीं, भरोसा चाहिए.”

  दंतेवाड़ा। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में ‘छू लो आसमान स्कूल’ की करीब 350 छात्राओं ने गुरुवार को भारी बारिश के बीच नेशनल हाईवे पर बैठकर ढाई घ...

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 दंतेवाड़ा। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में ‘छू लो आसमान स्कूल’ की करीब 350 छात्राओं ने गुरुवार को भारी बारिश के बीच नेशनल हाईवे पर बैठकर ढाई घंटे तक सड़क जाम कर दिया. हाथों में तख्तियां लिए ये बच्चियां लगातार नारे लगाती रहीं और प्रशासन से सीधी मांग की – “हमें सिर्फ शिक्षक नहीं, भरोसा चाहिए.” छात्राओं ने कहा कि शिक्षा विभाग के वादों पर अब उन्हें यकीन नहीं रहा, इसलिए कलेक्टर खुद आकर यह गारंटी दें कि जिन शिक्षकों ने उन्हें पढ़ने और आगे बढ़ने का सपना दिखाया था, वे वापस आएंगे.



स्वतंत्र विरोध, नहीं किसी संगठन की भूमिका


छात्राओं का यह प्रदर्शन न किसी संगठन का था और न ही किसी राजनीतिक पार्टी का. यह उन बच्चियों का अपना फैसला था जो शिक्षा को लेकर गंभीर हैं और अब चुप नहीं रहना चाहतीं. प्रदर्शन के दौरान बारिश तेज थी, लेकिन छात्राएं डटी रहीं. प्रशासन ने हालांकि इस विरोध के पीछे किसी के उकसावे की संभावना की जांच शुरू कर दी है और कहा है कि यदि किसी शिक्षक या अन्य व्यक्ति ने छात्राओं को उकसाया है, तो उस पर कार्रवाई की जाएगी.


सवाल बना भरोसे की वापसी का


यह प्रदर्शन सिर्फ शिक्षकों की वापसी की मांग नहीं था, बल्कि उस भरोसे की वापसी की गुहार थी जो इन बच्चियों को कभी दिखाया गया था. अब प्रशासन जांच और समाधान की बात कर रहा है, पर बच्चियों के मन में असमंजस बना हुआ है. सवाल यह है कि जब भविष्य की ये बेटियां अपने अधिकारों के लिए बारिश में भीगती सड़क पर बैठने को मजबूर हो जाएं, तो क्या इसे सिर्फ विरोध मानना चाहिए या सिस्टम के लिए एक आईना और चेतावनी के रूप में देखना चाहिए?