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प्रदेश के एकमात्र मानसिक चिकित्सालय की हालत गंभीर, कोर्ट कमिश्नर ने गिनाई खामियां, अब स्वास्थ्य सचिव देंगे हाई कोर्ट को जवाब…

  बिलासपुर। सेंदरी स्थित प्रदेश के एकमात्र मानसिक चिकित्सालय की हालत गंभीर है. समाचार पत्रों में अव्यवस्था पर खबर प्रकाशित होने के बाद अस्प...

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 बिलासपुर। सेंदरी स्थित प्रदेश के एकमात्र मानसिक चिकित्सालय की हालत गंभीर है. समाचार पत्रों में अव्यवस्था पर खबर प्रकाशित होने के बाद अस्पताल के जिम्मेदार गलती स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं. ऐसे में हाई कोर्ट ने कोर्ट कमिश्नर की जांच में सामने आई खामियों पर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के सचिव से जवाब मांगा है. बता दें कि मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम के तहत निर्धारित प्रावधानों और सुविधाओं का अभाव होने पर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट लीगल सर्विस कमेटी और एक अन्य ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से जनहित याचिका दायर की थी. जिसपर सुनवाई लगातार चल रही है. पिछली सुनवाइयों में मुख्य सचिव ने व्यक्तिगत शपथ पत्र में यह बात लिखी थी कि उनके निर्देश पर आयुक्त सह निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं, छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य नोडल अधिकारी (एनएमएचपी) के साथ 1 अप्रैल 2025 को मानसिक अस्पताल सेंदरी का दौरा कर निरीक्षण किया और रिपोर्ट पेश किया. इसके अलावा सचिव स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, छत्तीसगढ़ शासन ने स्वयं 8 अप्रैल 2025 को मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सालय सेंदरी का भ्रमण कर निरीक्षण किया और कमियों को दूर करने एवं सुधारात्मक उपाय करने के निर्देश दिए गए.

अधीक्षक ने समाचार को बताया निराधार


राज्य मानसिक चिकित्सालय सेंदरी के अधीक्षक ने 17 अप्रैल 2025 को प्रकाशित समाचार के संदर्भ में बिन्दुवार जवाब पत्र जारी किया गया था, और कहा गया था कि प्रकाशित समाचार निराधार है, तथा उपलब्ध स्टाफ ड्यूटी रोस्टर एवं निर्धारित ड्यूटी के अनुसार कार्य कर रहा है. मरीजों को सुरक्षा स्टाफ द्वारा पर्याप्त सुरक्षा प्रदान की जा रही है. अस्पताल में फार्मासिस्ट की कोई कमी नहीं है.


कोर्ट कमिश्नर ने खोली व्यवस्था की पोल

लेकिन सोमवार को हुई जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट कमिश्नर ऋषि राहुल सोनी ने बताया है कि निरीक्षण के दौरान अस्पताल की स्थिति ठीक नहीं मिली. अस्पताल में डॉक्टर हैं, लेकिन सेटअप के हिसाब से कम हैं. इस पर महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि सेटअप को लेकर के शासन गंभीर है, और नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किए गए हैं.


महज डेढ़ घंटे रहते हैं डाक्टर-स्टाफ

कोर्ट कमिश्नर ने सुनाई के दौरान बताया कि डॉक्टर और स्टाफ एक से डेढ़ घंटे अस्पताल में रहते हैं, जबकि उन्हें सुबह 8 से 2 बजे तक रहना चाहिए. इस बात की तस्दीक उपस्थिति पंजी और CCTV फुटेज से होती है. उन्होंने बताया कि वाटर कूलर सही नहीं है साथ ही हाइजिन का भी ध्यान नहीं रखा जाता है.


अब स्वास्थ्य सचिव देंगे कोर्ट में जवाब

कोर्ट की निगरानी के बावजूद भी व्यवस्थाओं में सुधार नहीं होने पर चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा ने नाराजगी जताते हुए राज्य सरकार से जवाबदेही तय करने को कहा. वहीं अगली सुनवाई 16 जुलाई को तय करते हुए सचिव स्वास्थ्य से जवाब मांगा है.