बड़गांव. कोयलीबेड़ा विकासखंड के अंतर्गत आने वाले इरपानर से बड़गांव पर आवागमन किसी खतरे से कम नहीं है. स्टेट हाईवे-25 भी जर्जर हालत में पह...
बड़गांव. कोयलीबेड़ा विकासखंड के अंतर्गत आने वाले इरपानर से बड़गांव पर आवागमन किसी खतरे से कम नहीं है. स्टेट हाईवे-25 भी जर्जर हालत में पहुंच चुका है. यहां हालत यह है कि दो फीट से भी गहरे गड्ढे हो गए हैं. इसके कारण मार्ग पर अक्सर वाहन चालक दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं. कई बार क्षेत्रवासी सड़क का पेंचवर्क करने की मांग कर चुके हैं. इसके बाद भी क्षेत्र के जनप्रतिनिधि और जिमेदार अधिकारी मौन हैं.
बड़गांव से इरपानार होते हुए कोंडे तक जाने वाला यह मार्ग पखांजूर के मुय संपर्क मार्गों में शामिल है. इसी मार्ग से रोजाना हजारों की संया में ग्रामीणों की आवाजाही होती है. इनमें स्कूल जाने वाले बच्चे, किसान, मजदूर, व्यापारी और सहित बड़ी संया में क्षेत्रवासी आवागमन करते हैं. एक साल से सड़क की हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है. गड्ढे पहले छोटे थे, अब इतने गहरे हो चुके हैं कि दोपहिया वाहन सवार आए दिन गिरकर घायल हो रहे हैं. चारपहिया वाहनों के लिए भी इन रास्तों पर चलना जोखिम भरा हो गया है. खासकर बरसात में ये गड्ढे तालाब का रूप ले लेते हैं, जिनमें न गहराई का अंदाज़ा लगता है, न ही किनारा नजर आता है.
प्रशासन–जनप्रतिनिधियों की उदासीनता से लोगों में आक्रोश
सड़क की समस्याओं पर प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के उदासीन रवैए से ग्रामीणों में आक्रोश है. क्षेत्रवासियों का कहना है कि मार्ग का उपयोग केवल ग्रामीण ही नहीं बल्कि अफसर और जनप्रतिनिधि भी करते हैं. इसके बावजूद भी किसी ने सड़क की मरमत करने की पहल नहीं की. क्षेत्रवासियों का कहना है कि यदि उनकी समस्या का निराकरण नहीं किया गया तो उन्हें इसके लिए आंदोलन करना होगा.
हर साल स्वीकृति, हर साल मरमत
जानकारी के अनुसार इस सड़क की मरमत के लिए शासन द्वारा हर वर्ष लाखों रुपए स्वीकृत किए जाते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि मरमत कार्य इतने घटिया स्तर का होता है कि चंद महीनों में ही डामर उखड़ने लगता है. इससे ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. क्षेत्रवासियों ने बताया कि जिमेदार अधिकारी कभी कभार ही इसका निरीक्षण करते हैं. ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि मरमत के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति होती है. डामर की परत इतनी पतली होती है कि पहली बारिश में ही सड़कों से डामर उखड़ने लगता है.
सामुदायिक भवन अधूरा, ग्रामीणों ने की कार्रवाई की मांग
दुर्गूकोंदल. ग्राम पंचायत मेड़ो के आश्रित गांव चाहचाड़ में विधायक निधि से स्वीकृत सामुदायिक भवन निर्माण कार्य और ग्राम पंचायत सिवनी के आश्रित ग्राम छिंदगांव के पक्का निकासी निर्माण कार्य शुरू कराने जनपद पंचायत दुर्गूकोंदल के सीईओ, इंजीनियर कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं.मेड़ो के ग्राम चाहचाड़ में सामुदायिक निर्माण 2023 में स्वीकृत हुआ था, सरपंच और सचिव ने नींव खुदाई कर दो साल से अधूरा छोड़ दिया. ग्रामीणों ने सरपंच और सचिव से संपर्क कर निर्माण कार्य प्रारंभ कराने के लिए निवेदन किया. इसके बाद भी सरपंच सचिव ने बात नहीं सुनी. सामुदायिक भवन के लिए खोदी गई नींव में मवेशी, सुअर, बकरी गिर रहे. इस पर ग्रामीणों ने नींव को पाट दिया. वहीं, सिवनी के छिंदगांव में पक्की निकासी, नाली निर्माण के लिए नींव खुदाई करने के बाद भी पूर्व जनपद पंचायत अध्यक्ष ने निर्माण कार्य शुरू नहीं किया. गांव के गली के किनारे नींव खुदाई करने से गांव के ग्रामीण, बच्चे, मवेशियों को आने जाने के लिए परेशानी होती देख ग्रामीणों ने नींव को पाट दिया. दुर्गूकोंदल के इंजीनियर के मूल्यांकन के आधार पर सीईओ और बाबू ने 40 प्रतिशत राशि भुगतान कर दिया है, लेकिन निर्माण शुरू नहीं हुआ. यह सरपंच, सचिव के अलावा जनपद पंचायत दुर्गूकोंदल के इंजीनियर, सीईओ की भी बड़ी लापरवाही है. शिवसेना नेता चंद्रमौली मिश्रा ने कहा कि दुर्गूकोंदल में निर्माण कार्य में भी भारी अनियमितता है. अधिकारी, इंजीनियर, बाबू कमीशनखोरी के चलते निर्माण कार्य शुरू कराने भी ध्यान नहीं दे रहे हैं.
डायवर्सन बहा: आधा दर्जन गांवों का तहसील मुख्यालय से संपर्क टूटा
आमाबेडा. तहसील के कई गांवों को जोड़ने और सुविधाएं देने के लिए बनाए जा रहे पुल का डायवर्सन बहने से आधा दर्जन गांवों का संपर्क तहसील मुयालय से टूट गया है. इस पुल का निर्माण तहसील मुयालय से लगभग दस किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत निलझर के आश्रित ग्राम बोडागांव मे किया जा रहा था.यह पुल आमाबेडा तहसील क्षेत्र को भानुप्रतापपुर, कोरर, चारामा कांकेर से जोड़ेगा. अब ग्रामीणों ने काम में लापरवाही का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि जहां डायवर्सन बनाया गया है वहां मुरम कम मिट्टी ज्यादा डाली गई है. जिसके चलते पूरा डायवर्सन दल दल हो गया है पैदल चलना मुश्किल हो गया है. इसका कुछ हिस्सा बह गया है. ग्रामीणों का कहना है कि राशन लाने पीडीएस गोदाम तक नहीं जा पा रहे हैं क्षेत्र के लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं के लिए भी भटकना पड रहा है. ज्ञात हो की उक्त पुल निर्माण कार्य मे डायवर्सन से लेकर साईड सोल्डर मे मुरूम डाली जाती है, उसमे मिट्टी डालकर छोड़ दिया गया है. इससे संबंधित खबर को पत्रिका ने प्रमुखता से छापा था, परंतु विभाग के द्वारा इस ओर कभी भी ध्यान नहीं दिया गया. सुपरवाइजर को शिकायत किए लेकिन थाना में बंद कराने का धमकी मिली: ग्रामीण पुना राम कोरेटी, सगदु कोरेटी, बिनेश मण्डावी, मंशा गावडे,अर्जुन नेताम ने बताया कि जब पुल निर्माण शुरू हुआ तभी डायवर्सन को अलग से बनाने का निवेदन किए थे हम ने कहा था अगर इसी पुराने सडक पर डायवर्सन बना रहे हैं तो मुरूम को ही डाले मिटटी मिला मुरुम को नहीं. तब ठेकेदार के सुपरवाइजर ने हमारी एक भी नहीं सुनी अभी जब परेशानी हो रही है हमने ठेकेदार को फोन लगाया वे नहीं उठाए सुपरवाइजर ने फोन उठाया लेकिन हमें थाने मे बिठाने एवं मरवाने की धमकी दे रहे हैं.


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