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किसानों हेतु समसामयिक सलाह,टमाटर की खड़ी फसल की पत्तियों या तनों पर भूरे या काले रंग के धब्बे या झुलसन दिखने पर फफूंदनाशक का छिड़काव करें

                               0 कृषि संवाददाता   छत्तीसगढ़ . असल बात news.  15 जुलाई, 2025. छत्तीसगढ़ के ज्यादातर क्षेत्र में अब मानसून की ...

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                         0 कृषि संवाददाता

 छत्तीसगढ़ .

असल बात news. 

15 जुलाई, 2025.

छत्तीसगढ़ के ज्यादातर क्षेत्र में अब मानसून की अच्छी बारिश हो गई है. यह वातावरण धान की फसल के लिए काफी उपयुक्त माना जाता है. राज्य के कई क्षेत्र में अभी भी टमाटर की फसल ली जा रही है. वही बैगन, भिंडी, करेला की भी अच्छी पैदावार हो रही है. बारिश से वातावरण में नमी बढ़ने के चलते पौधों में फफूंद लगने का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में फफूंद नाशक दवाइयां को छिड़काव कर इन बीमारियों से पौधों को बचाया जा सकता है.

प्रदेश भर  में हो रही वर्षा को ध्यान में रखते हुए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर द्वारा किसानों को विभिन्न फसलों के प्रबंधन हेतु समसामयिक सलाह जारी की गई है। कृषि विश्वविद्यालय के संचालक अनुसंधान सेवाएं द्वारा जारी समसामयिक सलाह के अनुसार टमाटर की खड़ी फसल की पत्तियों या तनों पर भूरे या काले रंग के धब्बे या झुलसन दिखने पर रिडोमिल एम जेड 72% डब्ल्यू पी (मेटालेक्सिल+मेन्कोजेब) या अन्य समान फफूंदनाशक का 2 ग्राम/लीटर पानी की दर से खुले मौसम में छिड़काव करें सब्जियों की पौधशाला में जमीन की सतह से 6 इंच ऊची क्यारीयां बनायें।

क्यारियों के दोनों ओर नाली बनाकर जल-निकासी का प्रबन्ध करें। सब्जियों की पौधशाला में क्यारियों का भूमि उपचार केप्टान 50% डब्ल्यू पी या एलियेट 80% डब्ल्यू पी या रिडोमिल या अन्य समान फफूंदनाशक द्वारा 2.5 ग्राम/लीटर पानी की दर से फ्लेट फेन (कट नोजल) नोजल का उपयोग कर छिड़काव करें। जिससे पूरी क्यारी घोल से तर हो जावे। भूमि उपचार के 3-5 दिन बाद सब्जियों के बीजों को रिडोमिल (1 ग्रा./प्रति किलो बीज) या अन्य समान फफूंदनाशक से उपचारित कर बोयें।

सब्जियों की पौधशाला में छोटी-छोटी पौध (Seedlings) को आर्द्रगलन (Damping off) रोग से बचाने हेतु क्यारियों से पानी निकास का प्रबन्ध करें तथा एलियेट 80 डब्ल्यू पी/रिडोमिल अन्य समान फफूंदनाशक का 2.0 ग्राम/लीटर पानी की दर के से पौध के भूमि से लगे तनों पर छिड़काव करें। कद्दूवर्गीय सब्जियों की पत्तियों पर धब्बे या अंगमारी रोग लक्षण दिखने पर सॉफ सुपर (मेन्कोजेब 63%+ कार्बेन्डाजिम 12% डब्ल्यू पी) अथवा कवच (क्लोरोथेलोनिल 75% डब्ल्यू पी) या अन्य समान फफूंदनाशक का 2.0 ग्राम/लीटर पानी की दर से छिड़काव करें। अरहर के पौधों को तना अंगमारी (Stem Blight) से बचाने हेतु एंट्राकोल (प्रोपीनेब 70%डब्ल्यू पी) या एलियेट (फोसेटाइल एल 80% डब्ल्यू पी) या अन्य समान फफूंदनाशक का 2.5 ग्राम/लीटर पानी की दर से पौधों के भूमि से लगे तनों पर छिड़काव करें। फलदार वृक्षो की सूखी, रोगग्रसित तथा अन्य अतिरिक्त टहनियां को काटने के पश्चात् कटे हुए स्थान पर आवश्यक रुप से कापर आक्सीक्लोराइट फफूंदनाशक का पेस्ट बनाकर खुले मौसम में लगा देवें। हल्दी तथा अदरक में मल्चिंग करें तथा पानी निकासी का प्रबंधन करें। पपीता तथा केला रोपण खेतां मे पानी निकासी का प्रबंध करे।

वर्तमान जुलाई माह में जिसमें दलहनी फसल की बुआई हो चुकी है और फसलें वानस्पतिक वृद्वि के अवस्था में है इस अवस्था के कारण चूषक कीट जैसे एफीड़ आदि के आक्रमण की संभावना होती है। इसके नियंत्रण के लिये फिप्रोनिल 80 डब्ल्यू जी की 0.125  ग्राम/लीटर अथवा प्रोफेनाफाँस 50 ई.सी. की 2ण्0 एम.एल./लीटर को 10 दिनो के अन्तराल में दो बार छिड़काव करें। मौसम साफ होने पर ही खाद, उर्वरक या कीटनाशकों का छिड़काव करें। बैंगन एवं भिंड़ी की फसल में फलबेधक कीटों से बचाने हेतु प्रति एकड़ 10 फेरोमेंन टै्रप (ल्यूसी ल्योर 10) लगायें। सब्जी फसलों में मौसम साफ होने पर रस चूषक कीट जैसे-सफेद मक्खी, माहुँ इत्यादि लगने की संभावना है, अतः इन कीटों के नियंत्रण हेतु इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल. 100 मि.ली. प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।