संवाद, समय और सम्मान परिवार की सबसे बड़ी ताकत भिलाई. असल बात news. स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय ,हुडको ,भिलाई में कला विभाग ...
संवाद, समय और सम्मान परिवार की सबसे बड़ी ताकत
भिलाई.
असल बात news.
स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय ,हुडको ,भिलाई में कला विभाग द्वारा विश्व परिवार दिवस के अवसर पर विचारों की अभिव्यक्ति, वंशावली वृक्ष निर्माण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए संयोजिका डॉ सावित्री शर्मा, प्रोफेसर ,शिक्षा विभाग एवं प्रभारी कला विभाग ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 15 मई को विश्व परिवार दिवस घोषित किया गया है l इसका उद्देश्य परिवारों के मूल्य और वैश्विक सामाजिक विकास में उनके योगदान के प्रति जागरूकता बढ़ाना है l यह दिवस परिवारों के महत्व को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है।
इस वर्ष की थीम है-- " सतत विकास के लिए परिवार उन्मुख नीतियां " यह थीम यह सुनिश्चित करती है कि हमें परिवारों का समर्थन करने वाली नीतियों के प्रति सभी को जागरूक करना है l
श्री शंकराचार्य शिक्षण परिसर ,हुडको के निर्देशक डॉ दीपक शर्मा एवं डॉ मोनिशा शर्मा ने कहा कि संवाद ,समय और सम्मान ही परिवार की सबसे बड़ी ताकत है। रिश्ते संवाद से बनते हैं, समय से संवरते हैं और सम्मान से मजबूत होते हैं। महाविद्यालय द्वारा ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन निसंदेह प्रशंसनीय है, जो समाज में जागरूकता बढ़ाने का कार्य करते हैं।
महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ हंसा शुक्ला ने अपने उद्बोधन में कहा कि यह दिवस एक विशेष अवसर है जिसे दुनिया भर में परिवारों की समाज में केंद्रीय भूमिका को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है। परिवार को समाज की आधारशिला के रूप में सम्मानित करना और बदलती दुनिया में परिवारों को चुनौतियों से सामना करने में सक्षम बनाना है। सामाजिक स्थिरता में परिवार की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।
विचारों कीअभिव्यक्ति कार्यक्रम के अंतर्गत अपने विचार व्यक्त करते हुए डॉ मीना मिश्रा एवं डॉ सुनीता वर्मा ने कहा कि परिवार वह पहला स्थान है, जहां व्यक्ति मूल्यों को सीखता है ,भावनात्मक समर्थन प्राप्त करता है और अपनी पहचान विकसित करता है ।जब परिवार सशक्त होते हैं ,तो समाज अधिक स्थिर और समृद्ध बनता है।
डॉ नीना बागची एवं श्रीमती जया तिवारी ने कहा कि वैश्विक, सामाजिक ,आर्थिक परिवर्तन परिवारों को प्रभावित कर रहे हैं और उन्हें निरंतर समर्थन की आवश्यकता है। चाहे उनका रूप या सांस्कृतिक पृष्ठभूमि कुछ भी हो। संस्कारों की पाठशाला परिवार ही है।
श्री हितेश सोनवानी एवं श्रीमती कामिनी वर्मा ने कहा कि परिवार की यादों और अटूट रिश्तों को नमन है। परिवार किसी भी समुदाय की नींव होती है क्योंकि हमें सच्चा समर्थन, सुरक्षा और सशक्तिकरण परिवार से ही प्राप्त होता है।
श्रीमती खुशबू पाठक एवं श्रीमती रुपाली खर्च ने बताया कि परिवार पेड़ की शाखाओं के तरह होते हैं ,हम सभी अलग-अलग दिशाओं में बढ़ते हैं फिर भी हमारी जड़े एक ही रहती है। परिवार वह दिशा सूचक है जो हमारा मार्गदर्शन करता है।
डॉ रजनी मुदलियार एवं सुश्री योगिता लोखंडे ने कहा की इस दिवस पर हमें उनका सम्मान करना चाहिए जिससे हमारा अस्तित्व और पहचान जुड़ी है। परिवार ही है जो मुश्किल घड़ी एवं संघर्ष में हमारी शक्ति बनता है।
सहायक प्राध्यापक अमरजीत एवं श्री गोल्डी राजपूत ने कहा कि इस वर्ष की थीम के अनुसार परिवार कल्याण को बढ़ावा देना ,परिवार के समर्थन में योजनाएं बनाने के लिए प्रोत्साहित करना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि परिवार में ही समर्पण और सहयोग की भावना निहित है।
उल्लेखनीय है कि इस अवसर पर विद्यार्थियों को वंश वृक्षावली बनाना सिखाया गया। जो अत्यंत रोचक कार्यक्रम रहा जिसकी सभी ने भरपूर सराहना की एवं विद्यार्थियों ने अपनी विशेष रुचि दिखाई। वंश वृक्ष बनाकर पारिवारिक इतिहास का पता लगाना हमारी संस्कृति में लंबे समय से चली आ रही परंपरा है। वंशावली किसी परिवार के इतिहास को जानने का एक तरीका है ।यह पारिवारिक वृक्ष हमें अपने पूर्वजों वंशजों को एक साथ देखने में सहायता करता है।
बी ए द्वितीय सेमेस्टर की छात्रा मेघा ठाकुर ने अपनी स्वरचित कविता के माध्यम से विश्व परिवार दिवस पर पर संदेश प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम को सफल बनाने में महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापकों एवं विद्यार्थियों का विशेष योगदान रहा।