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मुख्यमंत्री के दामाद के लिये मुर्गा, मटन की व्यवस्था नहीं करने पर सरपंच और ग्रामीणों के खिलाफ एफआईआर तानाशाही - दीपक बैज

असल बात न्यूज  मुख्यमंत्री के दामाद के लिये मुर्गा, मटन की व्यवस्था नहीं करने पर सरपंच और ग्रामीणों के खिलाफ एफआईआर तानाशाही - दीपक बैज रायप...

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मुख्यमंत्री के दामाद के लिये मुर्गा, मटन की व्यवस्था नहीं करने पर सरपंच और ग्रामीणों के खिलाफ एफआईआर तानाशाही - दीपक बैज

रायपुर। मुख्यमंत्री के बेटी दामाद की खातिरदारी के लिये राशि नहीं देने पर बस्तर के ग्राम पंचायत चित्रकोट के सरपंच और 12 अन्य ग्रामीणों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किये जाने की प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कड़ी निंदा किया है। यह बेहद चिंता का विषय है कि अधिकारी सत्तारूढ़ दल के नेताओं और शासकीय अधिकारियों की खातिरदारी करने के लिये ग्रामीणों पर दबाव बनाते है और नहीं मानने पर उनके खिलाफ झूठा एफआईआर दर्ज करवाते है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि विगत दिनों को मुख्यमंत्री के बेटी दामाद (राज्य अथिति) के प्रवास के दौरान लोहंडीगुड़ा के एसडीएम द्वारा चित्रकोट के सरपंच को फोन कर चित्रकोट के सामने बने पार्किंग नाका के पैसे से मुख्यमंत्री के बेटी दामाद के लिए मुर्गा, मटन एवं अन्य चीजों की व्यवस्था करने के लिए कहा गया, जिसके बाद सरपंच द्वारा मना करने पर उसे नोटिस दे कर नाका को बंद करने का निर्देश लोहंडीगुड़ा एसडीएम द्वारा दिया गया, जबकि पार्किंग नाका चलाना ग्राम पंचायत का अधिकार है विगत 10 सालों से इसे ग्राम पंचायत एवं उनके समिति के द्वारा चलाया जा रहा है। नोटिस मिलने के बाद कल सरपंच एवं ग्रामीणों ने कड़ा विरोध प्रदर्शन किया तो उल्टे उनके खिलाफ जैसे धाराएं दर्ज की गई है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि मुख्यमंत्री को अपने बेटी दामाद की खातिरदारी करवानी ही थी राज्य सरकार के सत्कार मद से करवा लेते। चित्रकोट मेरा विधानसभा क्षेत्र, लोकसभा क्षेत्र है वे बताते तो मैं खुद अपनी तरफ से उनके दामाद की मेहमान नवाजी करवाता, लेकिन एक आदिवासी सरपंच को प्रताड़ित करवाना उचित नहीं है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि बस्तर के ग्रामीणो से जबरिया मुर्गा, मटन एवं अन्य व्यवस्थायें करवाने की परंपरा पर विराम लगना चाहिये। ऐसे शोषणो से ही समाज में आक्रोश पैदा होता है, जो व्यवस्था के खिलाफ जनांदोलन का रूप लेता है। चित्रकोट के ग्रामीणों ने इस अन्याय के खिलाफ आंदोलन छेड़ा है। सरकार में बैठे हुये लोग अपनी इन्हीं हरकतों से आदिवासियों के मन में सरकार के खिलाफ अविश्वास पैदा करते है।