भिलाई . असल बात न्यूज़. कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए संयोजिका डॉ सावित्री शर्मा, प्रोफेसर ,शिक्षा विभाग एवं प्रभारी कला विभ...
भिलाई .
असल बात न्यूज़.
कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए संयोजिका डॉ सावित्री शर्मा, प्रोफेसर ,शिक्षा विभाग एवं प्रभारी कला विभाग ने कहा कि हर साल एक मई को विश्व श्रमिक दिवस मनाया जाता है। यह दिवस श्रमिकों के अधिकारों को मान्यता एवं सम्मान देने का अवसर होता है। जिससे समाज में जागरूकता फैलाई जा सके। डॉ शमा बैग विभागाध्यक्ष माइक्रोबायोलॉजी ने कहा कि बोरे बासीदिवस स्थानीय संस्कृति की जड़ों को मजबूत करने और स्वास्थ्यवर्धक पारंपरिक भोजन को बढ़ावा देने के लिए अति महत्वपूर्ण है।
श्री शंकराचार्य शिक्षण परिसर हुडको के निदेशक डॉ. दीपक शर्मा व डॉ. मोनिशा शर्मा ने आयोजन की सराहना करते हुए कहा, “इस तरह के कार्यक्रम छात्रों को न केवल हमारी लोकसंस्कृति से जोड़ते हैं बल्कि स्थानीय जीवनशैली की वैज्ञानिकता को भी समझने का अवसर प्रदान करते हैं।” श्रमिक दिवस उद्बोधन की शुरुआत श्रममेव जयते से करते हुए उन्होंने कहा कि संविधान में उल्लेखित श्रमिक अधिकारों और कर्तव्यों का निर्वहन करना हम सब की जिम्मेदारी है जिससे श्रमिकों की बेहतर कामकाजी परिस्थितियों को बढ़ावा मिल सके। श्रमिकों की कठिनाइयों और अंतहीन प्रयासों का स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि हम उनके निर्माण और कड़ी मेहनत का सम्मान करते हैं। इस अवसर पर महाविद्यालय में श्रमिक सम्मान कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ हंसा शुक्ला ने श्रमिकों को शॉल एवं श्रीफल देकर सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि विश्व में अर्थव्यवस्थाओं और सभ्यताओं को आकार देने में इनकी विशेष भूमिका रही है। इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राध्यापको एवं विद्यार्थियों ने यह शपथ ली कि श्रमिकों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। बोरे बासी दिवस के महत्त्व को बताते हुए उन्होंने कहा कि “हमारी संस्कृति और परंपराओं को सम्मान देना हमारी अस्मिता को सहेजने जैसा है। बोरे बासी दिवस हमें अपनी जड़ों की याद दिलाता है और स्वास्थ्य की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।”
अपने विचार प्रस्तुत करते हुए प्राध्यापिकाओं ने कहा कि समाज के विकास में श्रमिकों की भूमिका अत्यंत अहम है और उनके योगदान को अनदेखा नहीं किया जा सकता। यह दिवस हमें याद दिलाता है कि ऊंची इमारतें हो या उपजाऊ खेत या अन्य कोई स्थान हर कोने में किसी न किसी रूप में श्रमिकों की तपस्या छिपी हुई है। अतः हम उनके प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करते हैं तथा राष्ट्र की श्रम शक्ति का अभिवादन करते हैं।
इस अवसर पर सहायक प्राध्यापक श्री गोल्डी राजपूत द्वारा विद्यार्थियों को संविधान में उल्लेखित श्रमिकों के अधिकारों से परिचित कराया गया तथा उन्हें सामाजिक आर्थिक मुद्दों पर चर्चा के साथ यह बताया गया कि उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए हम सब की महत्वपूर्ण भूमिका है।
श्रमिक सम्मान कार्यक्रम के पश्चात उनके साथ सहभोज कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर सभी विभागों के प्राध्यापकों ने सहभागिता निभाई और पारंपरिक बासी, दही, आचार चना, प्याज, मिर्च, टमाटर, चटनी आदि का स्वाद लिया। सभी ने एक स्वर में बोरे बासी को भोजन में अपनाने और इसे स्वास्थ्यवर्धक जीवनशैली का हिस्सा बनाने का संदेश दिया। यह आयोजन न केवल छत्तीसगढ़ी संस्कृति का गौरवपूर्ण उत्सव था, बल्कि स्वास्थ्य और परंपरा के सुंदर मेल का प्रतीक भी रहा। महाविद्यालय परिवार ने इसे हर वर्ष आयोजित करने की प्रतिबद्धता भी जताई। कार्यक्रम को सफल बनाने में महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापकों एवं विद्यार्थियों का विशेष योगदान रहा।