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प्रतीक्षालय के निर्माण में संगठित भ्रष्टाचार, प्रशासन की जांच के बाद भी कार्रवाई से गुरेज…

  डोंगरगढ़।   डोंगरगढ़ में यात्रियों की सुविधा के नाम पर बनाए गए यात्री प्रतीक्षालय संगठित भ्रष्टाचार का प्रतीक बन चुके हैं. पिछली सरकार ने ...

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 डोंगरगढ़। डोंगरगढ़ में यात्रियों की सुविधा के नाम पर बनाए गए यात्री प्रतीक्षालय संगठित भ्रष्टाचार का प्रतीक बन चुके हैं. पिछली सरकार ने प्रत्येक प्रतीक्षालय के निर्माण के लिए 5 लाख से 6.10 लाख रुपये तक की राशि स्वीकृत की थी. निर्माण में नियमों को ताक पर रखकर ठेका पद्धति से काम कराया गया. नतीजतन, आज इन प्रतीक्षालयों की हालत जर्जर हो चुकी है, कुर्सियां टूट गईं हैं, टाइल्स उखड़ गए हैं.  यात्री प्रतीक्षालय के नाम पर किए गए गुणवत्ताविहीन कार्य और अन्य गड़बड़ियों के बावजूद ठेकेदारों को लाखों रुपए का भुगतान बड़े पैमाने पर किया गया संगठित भ्रष्टाचार था, जिसकी शिकायत कई बार संबंधित विभाग को दी गई, लेकिन आज तक कोई भी कार्रवाई नहीं हुई है.



शिकायतकर्ता विलास जाम्बूलकर के अनुसार, प्रतीक्षालयों के निर्माण में ठेकेदारों, इंजीनियरों, पंचायत सचिवों और जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत से लाखों रुपए की आर्थिक अनियमितताएं हुईं हैं, अब तक तीन जांच समितियां गठित की गईं, लेकिन सभी ने दोषियों को बचाने की कोशिश की. जांच रिपोर्ट में गड़बड़ियों का जिक्र तो किया गया, पर दोषियों पर कार्रवाई के अभाव में यह मामला केवल फाइलों तक सीमित होकर रह गया है.

अगर इन प्रतीक्षालयों की गहराई से जांच की जाए, तो पंचायत सचिव, सरपंच, इंजीनियर और बिना दुकान के बिल देने वाले दुकानदार समेत कई जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज होगा.वर्तमान जांच रिपोर्ट के अनुसार, 17 प्रतीक्षालयों के निर्माण में 3.30 लाख रुपए की अनियमितता पाई गई है. लेकिन यह जांच शिकायतकर्ता की अनुपस्थिति में की गई, जिससे रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो गए हैं.

पिछली सरकार के कार्यकाल में डोंगरगढ़ और डोंगरगांव विधानसभा क्षेत्र के तत्कालीन विधायक भुनेश्वर बघेल (डोंगरगढ़) और वर्तमान विधायक दलेश्वर साहू (डोंगरगांव) ने प्रतीक्षालय निर्माण के लिए लाखों रुपये की राशि स्वीकृत कराई थी. पंचायती राज अधिनियम के नियमों के खिलाफ जाकर ठेका पद्धति से निर्माण कार्य कराया गया. जांच रिपोर्ट में तो अनियमितताओं की पुष्टि हो चुकी है, लेकिन प्रशासन ने अभी तक दोषी अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है.

जांच अधिकारी ने अधूरी जांच रिपोर्ट एसडीएम कार्यालय में जमा की है. लेकिन अब तक यह फाइल एसडीएम कार्यालय से लेकर अन्य विभागों में केवल कार्रवाई के लिए भेजी जा रही है. शिकायतकर्ता का कहना है कि यह मामला केवल जांच के नाम पर खानापूर्ति बनकर रह गया है. अगर इस मामले में कार्रवाई होती है, तो 20 से अधिक सरपंच, इंजीनियर, पंचायत सचिव और दुकानदारों पर आर्थिक अनियमितता के प्रकरण दर्ज हो सकते हैं.

इस संबंध में एसडीएम डोंगरगढ़ मनोज मरकाम ने बताया कि शिकायत की विधिवत जांच कर कलेक्टर को रिपोर्ट भेजी जा चुकी है. इसके साथ शिकायतकर्ता ने पुन: जांच के साथ कोई कार्रवाई नहीं होने की बात कही है, जिस पर पुन: पत्र जारी कर चुके हैं.