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पारंपरिक हुनर का सम्मान, कारीगरों का सशक्तिकरण और विश्वकर्मा बंधुओं के जीवन में समृद्धि हमारा लक्ष्य : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

 कवर्धा,असल बात प्रधानमंत्री  मोदी ने विडियों क्रांन्फेसिंग से वर्धा में आयोजित पीएम  विश्वकर्मा योजना के तहत एक लाख लाभार्थियों को वितरण कि...

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 कवर्धा,असल बात



प्रधानमंत्री  मोदी ने विडियों क्रांन्फेसिंग से वर्धा में आयोजित पीएम  विश्वकर्मा योजना के तहत एक लाख लाभार्थियों को वितरण किया ई-स्किल प्रमाण पत्र

जिला परियोजना लाईवलीवुड कॉलेज महराजपुर कवर्धा के प्रशिक्षित 111 शिल्पकारों को भी पीएम विश्वकर्मा योजनांतर्गत मिला प्रमाण-पत्र

कवर्धा,  प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वर्धा में आयोजित प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत विडियो क्रांन्फेसिंग के माध्यम से एक लाख लाभार्थियों को डिजिटल आईडी कार्ड एवं सर्टिफिकेट का वितरण किया। इसके साथ ही उन्होंने एक लाख लाभार्थियों को ई-स्किल प्रमाण पत्र का वितरण और 75 हजार लाभार्थियों को ऋण का भी वितरण किया। जिला परियोजना लाईवलीवुड कॉलेज परिसर महराजपुर कवर्धा में आयोजित पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत यहां प्रशिक्षण प्राप्त 111 लाभार्थियों को भी ई-स्किल प्रमाण पत्र प्राप्त हुआ। इसमें अस्टिंट बारबर के 11, टेलर व्यवसाय के 15, मेशन व्यवसाय के 85 हितग्राही शामिल है।

   प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कार्यक्रम को संबोंधित करते हुए कहा कि “विश्वकर्मा योजना की मूल भावना सम्मान, सामर्थ्य और समृद्धि है। यानी पारंपरिक हुनर का सम्मान, कारीगरों का सशक्तिकरण और विश्वकर्मा बंधुओं के जीवन में समृद्धि ये हमारा लक्ष्य है। विश्वकर्मा योजना की एक और विशेषता है। जिस स्केल पर, जिस बड़े पैमाने पर इस योजना के लिए अलग अलग विभाग एकजुट हुए हैं, ये भी अभूतपूर्व है। पीएम विश्वकर्मा योजना केवल सरकारी कार्यक्रम ही नहीं बल्कि यह योजना भारत के हजारों वर्ष पुराने कौशल को विकसित भारत के लिए इस्तेमाल करने का एक रोड मैप है। इतिहास में भारत की समृद्धि के कितने ही गौरवशाली अध्याय देखने को मिलते हैं। इस समृद्धि का बड़ा आधार हमारा पारंपरिक कौशल, उस समय का हमारा शिल्प, हमारी इंजीनियरिंग, हमारा विज्ञान था। हम दुनिया के सबसे बड़े वस्त्र निर्माता थे। हमारा धातु-विज्ञान, हमारी मेटलर्जी भी विश्व में बेजोड़ थी। उस समय के बने मिट्टी के बर्तनों से लेकर भवनों की डिजाइन का कोई मुकाबला नहीं था। इस ज्ञान-विज्ञान को कौन घर-घर पहुंचाता था-सुतार, लोहार, सोनार, कुम्हार, मूर्तिकार, चर्मकार, बढ़ई-मिस्त्री ऐसे अनेक पेशे, ये भारत की समृद्धि की बुनियाद हुआ करते थे।

    प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि विश्वकर्मा योजना की एक और विशेषता है। जिस स्केल पर, जिस बड़े पैमाने पर इस योजना के लिए अलग-अलग विभाग एकजुट हुए हैं, ये भी अभूतपूर्व है। देश के 700 से ज्यादा जिले, देश की ढाई लाख से ज्यादा ग्राम पंचायतें, देश के 5 हजार शहरी स्थानीय निकाय, ये सब मिलकर इस अभियान को गति दे रहे हैं। इस एक वर्ष में ही 18 अलग-अलग पेशों के 20 लाख से ज्यादा लोगों को इससे जोड़ा गया। सिर्फ साल भर में ही 8 लाख से ज्यादा शिल्पकारों और कारीगरों को स्किल ट्रेनिंग मिल चुकी है। अब तक साढ़े 6 लाख से ज्यादा विश्वकर्मा बंधुओं को आधुनिक उपकरण भी उपलब्ध कराए गए हैं। इससे उनके उत्पादों की क्वालिटी बेहतर हुई है, उनकी उत्पादकता बढ़ी है। इतना ही नहीं, हर लाभार्थी को 15 हजार रुपए का ई-वाउचर दिया जा रहा है। अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए बिना गारंटी के 3 लाख रुपए तक लोन भी मिल रहा है। मुझे खुशी है कि एक साल के भीतर-भीतर विश्वकर्मा भाइयों-बहनों को 1400 करोड़ रुपए का लोन दिया गया है

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