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जिले में पत्रकारों के वाहन में गांजा रखने के आरोप में कोंटा थाना प्रभारी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई

सुकमा।  असल बात news.   वर्दी का प्रभाव कभी-कभी लोगों को न्याय दिलाने सुरक्षा दिलाने के बजाय फंसाने का काम भी कराने लग जाता है. नक्सल प्रभाव...

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सुकमा। 

असल बात news.  

वर्दी का प्रभाव कभी-कभी लोगों को न्याय दिलाने सुरक्षा दिलाने के बजाय फंसाने का काम भी कराने लग जाता है. नक्सल प्रभावित् क्षेत्र सुकमा में ऐसी ही घटना सामने आई है. यहां अवैध रेत उत्खनन की रिपोर्टिंग करने गए पत्रकारों की गाड़ी में गांजा रखकर उन्हें फसाने की कोशिश की गई और fir दर्ज करवा दिया गया. पत्रकारों की ओर से शिकायत की गई तब मामले का खुलासा हुआ. अब आरोपी थाना प्रभारी के खिलाफ कार्रवाई शुरू की गई है. इस मामले में सबसे गंभीर बात है जोकि जांच का विषय है कि आखिर उस थाना प्रभारी के पास इतनी बड़ी मात्रा में गांजा कहां से आया? कहीं वह गांजे के अवैध कारोबार में तो संलग्न नहीं है?

छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में पत्रकारों के वाहन में गांजा रखने के आरोप में कोंटा थाना प्रभारी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की गई है। कोंटा टीआई अजय सोनकर को निलंबित कर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, जिसमें धारा 324 (जानलेवा हमला) और धारा 331 (अत्याचार) के तहत मामला दर्ज किया गया है।



कोंटा थाना प्रभारी अजय सोनकर पर आरोप है कि उन्होंने आंध्र प्रदेश पुलिस के साथ मिलकर पत्रकार बप्पी राय, शिवेंदु त्रिवेदी, धर्मेंद्र सिंह, मनीष सिंह की गाड़ी में गांजा रख दिया और उन्हें गिरफ्तार करवा दिया। यह घटना तब हुई जब पत्रकार अवैध रेत की रिपोर्टिंग के लिए कोंटा सीमा पर आंध्र प्रदेश के चट्टी इलाके में पहुंचे थे। पत्रकारों की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की गई और अब अजय सोनकर को न्यायालय में पेश कर जेल भेजा जा रहा है।

पत्रकारों की रिहाई के लिए छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में विरोध प्रदर्शन हुए, और गृह मंत्री से भी शिकायत की गई। प्रदर्शन के बढ़ते दबाव को देखते हुए, सुकमा पुलिस ने तुरंत प्रभाव से अजय सोनकर को थाने से हटा दिया और निलंबित कर दिया। मामले की जांच अभी जारी है और पुलिस इस प्रकरण की पूरी सच्चाई सामने लाने की कोशिश कर रही है।

देखें आदेश-

थाना प्रभारी की भूमिका संदिग्ध – एसपी

मामले में सुकमा एसपी किरण चव्हाण ने बताया कि छत्तीसगढ़ एवं आन्ध्रप्रदेश सीमा से लगे थाना चिंतूर (आन्ध्रप्रदेश) में पत्रकार बप्पी राय, शिवेंदु त्रिवेदी, धर्मेंद्र सिंह, मनीष सिंह समेत 6 लोगो के खिलाफ एनडीपीएस (नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्स्टेंस) से संबंधित अपराध दर्ज किया गया था। इस संदर्भ में तत्कालीन थाना प्रभारी अजय सोनकर पर सोशल मीडिया के माध्यम से आरोप लगाए गए थे कि उनकी भूमिका इस प्रकरण में संदिग्ध है।

पत्रकार संघ की ओर से की गई शिकायत के आधार पर परमेश्वर तिलक की अध्यक्षता में एक जांच कमेटी गठित की गई। जांच कमेटी की रिपोर्ट मुझे कल प्राप्त हुई, जिसके आधार पर यह पुष्टि हुई कि थाना प्रभारी अजय सोनकर ने 10 अगस्त की रात को डीवीआर (डिजिटल वीडियो रिकॉर्डर) सीसीटीवी को अपने कब्जे में लिया, जो एक अनैतिक और अपराधिक कृत्य था। इस पूरे मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है और उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई है।