विकास के काम तो बहुत तेजी से हुए, परंतु रोजगार के अवसर जितने बढ़ने चाहिए उसकी कमी छत्तीसगढ़ . असल तेवर ब्यूरो. सड़क बनते हैं,पूल बनते हैं...
विकास के काम तो बहुत तेजी से हुए, परंतु रोजगार के अवसर जितने बढ़ने चाहिए उसकी कमी
छत्तीसगढ़ .
असल तेवर ब्यूरो.
सड़क बनते हैं,पूल बनते हैं,उद्योग खुलते हैं,विकास होता है.हो सकता है कि एक वर्ग विशेष में इस विकास की खुशहाली,समृद्धि की आवाज गूंजते हुए सुनाई भी देती है लेकिन शिक्षित बेरोजगारों का जो लक्ष्य, रोजगार पाने का,योग्यता के अनुरूप रोजगार के अवसर बढ़ने और मिलने का, वह लक्ष्य इस विकास के रास्ते से प्राप्त होता नजर नहीं आता है. छत्तीसगढ़ राज्य का सालाना बजट हर साल हजारों करोड़ों रुपए बढ़ता जा रहा है. इसे देखकर कहा जा सकता है कि यहां विकास की असीमित संभावनाये है. हालांकि यह बजट घाटे,का बजट होता है और इसकी भरपाई यहां के आम लोगों को ही करना है,उसके लिए भुगतना है. यहां सच्चाई है कि छत्तीसगढ़ को प्रकृति ने इतना सब कुछ दिया है कि कई राज्यों को उसकी परछाई तक नहीं मिल सकती है.
गरीब, किसान, युवा और नारी शक्ति के सशक्तिकरण से विकसित छत्तीसगढ़ के आगे बढ़ने का रास्ता खुलेगा। आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार होगा. छत्तीसगढ़ में शीघ्र ही शुरू होने जा रही विकास से जुड़ी लगभग 35 हजार करोड़ रुपए की परियोजनाओं से कोयले से जुड़े, सौर ऊर्जा से जुड़े और कनेक्टिविटी से जुड़े अनेक प्रोजेक्ट से युवाओं के लिए रोजगार के नये अवसर बनने की काफी संभावना है। एनटीपीसी का हाल ही में 1600 मेगावाट के सुपर थर्मल पावर स्टेशन जिससे देशवासियों को कम लागत पर बिजली उपलब्ध हो पाएगी।छत्तीसगढ़ को सौर ऊर्जा का बड़ा केंद्र बनाने की भी कोशिश की जा रही है. राजनांदगांव और भिलाई में बहुत बड़े सोलर प्लांट्स लगाए गए हैं इसमें ऐसी व्यवस्था है जिससे रात में आसपास के लोगों को बिजली मिल सकेगी। भारत सरकार का लक्ष्य सोलर पावर से देश के लोगों को बिजली देने के साथ ही साथ ही उनका बिजली बिल जीरो करने का भी है।
देश में पीएम सूर्योदय योजना शुरू की गई है।इसमें घर के छत पर सौर पैनल लगाने पर सीधे बैंक खाते में पैसे मिलेंगे। इससे 300 यूनिट तक बिजली मुफ्त मिलेगी और ज्यादा बिजली पैदा होगी तो सरकार बिजली खरीद लेगी। इससे परिवारों को हर वर्ष हजारों रुपए की कमाई होगी।
छत्तीसगढ़ के पास परिश्रमी किसान, प्रतिभाशाली नौजवान और प्रकृति का खजाना है। विकसित होने के लिए जो भी चाहिए, छत्तीसगढ़ के पास पहले भी मौजूद था। आज भी है।
जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक ताकत होगा तो छत्तीसगढ़ भी विकसित होगा। यह सबके लिए बहुत बड़ा अवसर है। उच्च शिक्षा युवाओं के समग्र विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास के लिए उन्नत ज्ञान, कौशल और अवसर प्रदान करता है। उच्च शिक्षा के माध्यम से युवा गंभीर सोच क्षमताओं, रचनात्मकता और नैतिक मूल्यों को प्राप्त करते हैं, जो उन्हें जटिल चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करते हैं। यह बेहतर करियर संभावनाओं के द्वार खोलता है, आर्थिक विकास में योगदान देता है और अपने समुदायों में सशक्त नेताओं और सक्रिय नागरिकों को तैयार करता है।
छत्तीसगढ़ में बस्तर जैसे क्षेत्रों में युवा से, शिक्षित बेरोजगारों से शांति, सद्भाव और प्रगति के मूल्यों को बनाए रखते हुए अपने समुदायों के सामाजिक-आर्थिक विकास में सक्रिय रूप से भाग लेने आगे आने की अपेक्षा की जा रही है। उन्हें रोजगार क्षमता बढ़ाने और क्षेत्रीय विकास में योगदान देने के लिए शिक्षा और कौशल विकास पहल में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में पिछले वर्षों के दौरान तेजी से औद्योगिक की कारण हुआ है और बड़ी संख्या में उद्योग लगे हैं. इस तरह से औद्योगिकरण बढ़ने से यह उम्मीद की जाती रही है कि यहां लोगों का काम धंधा बढ़ेगा, रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. शिक्षित बेरोजगारों को भी पलायन रुकने लगेगा.यहां के जांजगीर-चंपा रायगढ़ अंबिकापुर बेमेतरा इत्यादि जिलों में इतनी तेजी से औद्योगिककरण बड़ा है जिसकी बहुत ही कम लोग उम्मीद करते रहे होंगे. प्रकृति ने यहां के बस्तर को अप्रतिम सौंदर्य का उपहार दिया है। इसके हरे-भरे जंगल, बहती नदियाँ और खनिज युक्त मिट्टी इसकी पारिस्थितिक समृद्धि का प्रमाण हैं। बस्तर के आकर्षण के केंद्र में इसकी जीवंत सांस्कृतिक पच्चीकारी निहित है। गोंड, माड़िया और मुरिया जैसी जनजातियों ने अद्वितीय भाषाओं, रीति-रिवाजों और कला रूपों का पोषण किया है। बस्तर में आधुनिकता को अपनाते हुए सतत विकास, सांस्कृतिक संरक्षण और समावेशी विकास को बढ़ावा देने की पहल की जा रही है।आधुनिक उपकरणों, प्लेटफार्मों और संसाधनों तक पहुंच के साथ, आज के युवाओं के पास गरीबी, असमानता, जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य देखभाल जैसी गंभीर चुनौतियों से निपटने के लिए प्रौद्योगिकी और नवाचार का उपयोग करने की क्षमता है। सब मिलकर आगे बढ़ने का निश्चय कर लेंगे तो एक प्रगतिशील और समावेशी भारत के निर्माण तक पहुंचने का रास्ता सहज खुलता जाएगा.बस्तर अंचल में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने में शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय का महत्वपूर्ण योगदान है। राज्य सरकार, बस्तर और सरगुजा के विकास के लिए प्राथमिकतापूर्वक काम कर रही है. प्रदेश सरकार एवं केंद्र सरकार ने संयुक्त रूप से प्रधानमंत्री राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के मेरु योजना के अंतर्गत 100 करोड़ रुपए का अनुदान दिया है। इस अनुदान से बस्तर में उच्च शिक्षा के एक नये युग की शुरुआत होगी।
वित्तीय वर्ष 2024-25 के बजट में छत्तीसगढ़ को विकसित और समृ़द्ध राज्य बनाने के लिए रोड मैप की स्पष्ट रूप रेखा दिखती है। आईटी सेक्टर, हेल्थ डेस्टिनेशन, ईको-टूरिज्म सर्किट, वेडिंग डेस्टिनेशन, बिजनेस टूरिज्म, कान्फ्रेंस डेस्टिनेशन जैसे नये उभरते हुए संभावनाओं वाले क्षेत्रों का लाभ प्रदेश के युवाओं और उद्यमियों को मिलेगा।
बजट में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए खुले मन से राज्य में निवेशकों का स्वागत करने की बात कही गई है, इसके लिए राज्य में रेड टेपिज्म के स्थान पर रेड कारपेट की नीति होगी। उद्योगों की स्थापना के लिए ‘मिनिमम गर्वमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस’ की नीति पर काम होगा। इज ऑफ डूइंग बिजनेस, सिंगल विण्डो प्रणाली, ऑनलाईन परमिशन, मिनिमम परमिशन जैसी नीति लागू होंगी। पब्लिक-प्राइवेट-पॉर्टनरशिप के लिए नीति आयोग और भारतीय प्रबंध संस्थानों के विशेषज्ञों का सहयोग लिया जाएगा।
छत्तीसगढ़ की भौगोलिक विशेषताओं के अनुरूप आर्थिक विकास के लिए विकेन्द्रीकृत नीति पर काम होगा, इसके लिए विकेन्द्रीकृत विकास पॉकेट की स्थापना की जाएगी। रायपुर, भिलाई सहित आसपास के क्षेत्रों को स्टेट कैपिटल के रूप में विकसित करने की योजना भी तैयार की जाएगी। इन क्षेत्रों में विश्व स्तरीय आईटी सेक्टर, वेडिंग डेस्टिनेशन, हेल्थ डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किया जाएगा। नवा रायपुर, अटल नगर में ‘लाईवलीहुड सेंटर ऑल एक्सीलेंस’ एवं दुर्ग जिले में ‘सेंटर ऑॅफ एंटरप्रेन्योरशिप’ स्थापित किया जाएगा। स्टार्ट-अप को प्रोत्साहित करने के लिए इन्यूबेशन सेंटर की स्थापना तथा बी.पी.ओ. एवं के.पी.ओ. को आकर्षित करने के लिए आई.टी. पार्क की स्थापना की जाएगी।
छत्तीसगढ़ राज्य के बजट में रायपुर, नवा रायपुर अटल नगर, बिलासपुर, दुर्ग, भिलाई, अंबिकापुर, जगदलपुर, कोरबा एवं रायगढ़ जैसे प्रमुख नगरों को ग्रोथ इंजन के रूप में विकसित करने की बात कही गई है। कोरबा, जांजगीर, रायगढ़, उरला, सिलतरा जैसे क्षेत्रों में वहां की आवश्यकता के अनुरूप औद्योगिकरण की नीति बनायी जाएगी। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने के लिए विशेष फोकस किया जाएगा।
बस्तर-सरगुजा क्षेत्र में आर्थिक विकास की दृष्टि सें एयर कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए सार्थक पहल की जाएगी। इन क्षेत्रों को इको-टूरिज्म एवं नैचरोपैथी डेस्टिनेशन के रूप में विकसित करने का प्रयास किया जाएगा। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राज्य के पांच शक्तिपीठों को धार्मिक, पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाएगा। बस्तर क्षेत्र में लघु वनोपज प्रसंस्करण हेतु उद्योगों की स्थापना करने की तैयारी की गई है। सरगुजा क्षेत्र में उद्यानिकी एवं मछली पालन की संभावनाओं को प्रोत्साहित करने की सोच पर भी काम किया जा रहा है.
विकसित छत्तीसगढ़ के संकल्प को पूरा करने के लिए बजट में तैयार किए गए रोडमैप के अनुरूप कार्य शुरू किया गया है। राज्य की अर्थव्यवस्था को तेजी से विकसित करने और उच्च विकास दर हासिल करने के लिए बजट में अनेक प्रावधान किये गये हैं, इसे सकारात्मक रूप में लिया जा सकता है कि इस वर्ष राज्य के बजट में पूंजीगत व्यय में वृद्धि की गयी है।
Box में
राज्य नीति आयोग द्वारा सृजित "मोर सपना, मोर विकसित छत्तीसगढ़" पोर्टल के द्वारा छत्तीसगढ़ के नागरिक दे सकते है सुझाव
रायपुर,
वर्ष 2047 तक राष्ट्र को विकसित राष्ट्र बनाने हेतु की गई परिकल्पना को साकार करने में छत्तीसगढ़ राज्य की भी महत्वपूर्ण भूमिका होगी। छत्तीसगढ़ राज्य में 2047 तक सभी सेक्टर्स के त्वरित विकास सुनिश्चित करने हेतु राज्य नीति आयोग द्वारा "अमृतकाल : छत्तीसगढ विजन @2047" संबंधित विजन डॉक्यूमेंट तैयार किये जाने का कार्य किया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री श्री ओपी चौधरी द्वारा विधानसभा बजट सत्र में की गई घोषणा अनुसार राज्य शाासन द्वारा आगामी राज्य स्थापना दिवस दिनांक 01 नवम्बर 2024 को राज्य का विजन डॉक्यूमेंट "अमृतकाल छत्तीसगढ विजन @ 2047" जारी किया जाना है।
सर्व समावेशी विजन डॉक्यूमेंट तैयार करने के उद्देश्य से राज्य नीति आयोग द्वारा राज्य के नागरिकों से ऑनलाईन सुझाव आमंत्रित करने के लिये पोर्टल का सृजन किया गया है। जिसका यूआरएल https://sdgspc.cg.gov.in/viksitcg/#/home है।राज्य नीति आयोग द्वारा सृजित "मोर सपना, मोर विकसित छत्तीसगढ़" पोर्टल के द्वारा छत्तीसगढ़ के नागरिक अपने सुझाव प्रेषित कर सकते हैं तथा राज्य के चौमुखी विकास हेतु अपना सक्रिय योगदान दे सकते है।
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छत्तीसगढ़ में हर साल दस हजार से अधिक नए इंजीनियर निकलते हैं. लेकिन पिछले वर्षों के दौरान रोजगार के अवसरों में जिस तरह से कमी देखी गई है. इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर लेने के बाद सिर्फ 10- 12हजार की नौकरी मिलती है तो लोगों का इंजीनियरिंग करने से भी मन उचट गया है. पेरेंट्स अपने बच्चों को इंजीनियरिंग की पढ़ाई नहीं करना चाहते हैं. मेडिकल लाइन में सीटे सीमित है. हर किसी को एमबीबीएस में प्रवेश नहीं मिल सकता. आईटीआई करने के बाद भी रोजगार का अवसर ना के बराबर रह गया है और रोजगार मिलता भी है तो मामूली पारिश्रमिक पर. और पढ़ने लिखने के बाद युवा ऐसी नौकरी नहीं करना चाहते. छत्तीसगढ़ में विकास तो भारी हुआ है. परंतु यह विकास,शिक्षित बेरोजगारों के लिए रोजगार का अवसर उपलब्ध कराने का कोई रास्ता नहीं खोल पाया है. तो यहां से निराशा का वातावरण बनता है. और ऐसे वातावरण में निराशा नाराजगी बढ़ना स्वाभाविक है
बहुत बार तमाम विशेषज्ञ विचारगत करते रहे हैं कि औद्योगीकरण से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. छत्तीसगढ़ में पिछले 20 वर्षों के दौरान हर जगह इतना अधिक औद्योगिककरण बड़ा है यह कल्पना से भी अधिक है. दूसरे देशों के भी उद्योग यहां का लगे हैं. लेकिन इनमें भी युवाओं को ना के बराबर अवसर मिल रहा है. आसपास के युवा इंजीनियर तकनीकी विशेषज्ञ यहां रोजगार के बाद जो होते रहते हैं. लेकिन कई उद्योग लगता जाते हैं और शिक्षित बेरोजगारों की आशाएं जस की तस बनी रहती हैं उन्हें कोई रोजगार नहीं मिल पाता.
प्रदेश में बनेगी नई औद्योगिक नीति
रायपुर,.
प्रदेश में नई औद्योगिक नीति बनाई जाएगी। जिससे प्रेदश में नवीन उद्योग धंधा स्थापित हो और यहां के निवासियों को आजीविका के लिए काम मिल सके।
उद्योग मंत्री श्री देवांगन ने कनफेडरेशन ऑफ इंडियन इण्डस्ट्री (सी.आई.आई.) छत्तीसगढ़ की वार्षिक बैठक में कहा कि प्रदेश में उद्योग स्थापित होने से यहां के लोगों का नियोजन होगा। राज्य सरकार आगामी 5 वर्ष के लिए ऐसी औद्योगिक नीति (वर्ष 2024-2029) बनाएगी जिससे प्रदेश में उद्योग स्थापित करने वाले उद्यमियों का भी ध्यान रखा जाएगा। देश के प्रधानमंत्री भी चाहते है कि युवाओं को अधिक से अधिक काम मिले जिससे उनके जीवन स्तर में बदलाव आ सके। सी.आई.आई के प्रदेश अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ अग्रवाल एवं उपाध्यक्ष श्री आशिष श्राफ ने उद्योग मंत्री का इस सम्मेलन में पधारने पर उनके प्रति आभार प्रकट किया।
खनिज संसाधनों की उपलब्धता और खनन गतिविधियों में देश का अग्रणी राज्य
छत्तीसगढ़ खनिज संसाधनों की उपलब्धता और खनन गतिविधियों में देश का अग्रणी राज्य है। खनन गतिविधियों में प्रदेश को और आगे लेकर जाना है, जो आर्थिक दृष्टि से भी देश और प्रदेश के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण साबित होगा।
स्वीकृत खदानों को जल्द से जल्द ऑपरेशनल बनाने के लिए बिडर्स और संबंधित विभागों के बीच अधिक समन्वय से काम किया जाना चाहिए। इसके लिए खनिज साधन विभाग के सचिव की अध्यक्षता में ऐसे समस्त विभागों के सचिवों, जिनसे स्टेकहोल्डर्स को सहमतियां लेनी होती है, की माईनिंग रिव्यू कमिटी गठित की जाने जरूरत महसूस की जा रही है। साथ ही समय-समय पर बैठक आयोजित कर स्वीकृत ब्लाकों में खनन संबंधी गतिविधियों की प्रगति की समीक्षा करने को कहा।
केन्द्रीय सचिव ने खनिज साधन विभाग के अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि ऐसी खदाने जो बंद हो चुकी हैं उनमें अवैध उत्खनन न हो, बंद खदानों में यदि खनिज है तो उनमें खनन के लिए जरूरी प्रक्रिया प्रारंभ की जाए। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ उन चुनिंदा राज्यों में शामिल है, जहां डीएमएफ का ऑनलाईन पोर्टल संचालित है। केन्द्रीय सचिव ने डीएमएफ से हितग्राहीमूलक नवीन गतिविधियों को बढ़ाने, खनन प्रभावित क्षेत्रों में लोगों की मांग पर अधोसंरचना विकास के काम किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि माईनिंग क्लोजर और बंद खदानों को हैण्ड ओवर करने की समीक्षा राज्य स्तर पर नियमित रूप से की जाए।
उन्होंने खनिज ब्लाक्स के ऑपरेशनल स्टेटस की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। केन्द्रीय सचिव श्री राव ने जानकारी देते हुए बताया कि खनन के क्षेत्र में रिसर्च और डेव्लपमेंट का कार्य गंभीरता के साथ किया जा रहा है। इसके लिए संस्थाओं को आवश्यक आर्थिक सहयोग भी मुहैया कराया जाता है। उन्होंने खनन क्षेत्र की नीलामी के बाद ऑपरेशनल बनाने के लिए आगे की कार्रवाई की सुगमता और मॉनिटरिंग के लिए सेल गठन के संबंध में जानकारी दी।