छत्तीसगढ़ . असल बात न्यूज़ . छत्तीसगढ़ संस्कृत शिक्षा सेवा संस्थान द्वारा स्वामी श्रीश्रीनिवासाचार्यस्मृति व्याख्यान माला का आरम्भ हुआ...
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छत्तीसगढ़ संस्कृत शिक्षा सेवा संस्थान द्वारा स्वामी श्रीश्रीनिवासाचार्यस्मृति व्याख्यान माला का आरम्भ हुआ. स्वामी श्री श्री निवासाचार्य गुरुजी श्री लक्ष्मी वेंकटेश मंदिर के महन्त थे जो सदर बाजार बिलासपुर में स्थित है ।वहां संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य श्री निवास देव उपस्थित थे.
स्वामी जी ने व्याकरण शास्त्र को इतने सरलता से अध्यापन कराते थे कि काशी के विद्वान् भी उनकी शैली से प्रभावित थे।
आचार्य श्री कहते थे कि संस्कृत शिक्षा संस्कार का जनक है। हमारी वैदिक संस्कृति ही जीवन का आधार स्तंभ है जो संस्कृत शिक्षण द्वारा ही हमें प्राप्त हुई हैं।
कठिन विषयों को सरलतम भाव से संस्कृत व्याकरण को कैसे अध्यापन कराते थे यह उनकी विशेष शैली थी ।
स्वामी जी कहते थे कि संस्कृत व्याकरण की विशेषता है कि बिना रटे हो पूरा ज्ञान थोड़े समय में प्राप्त हो जाता है. इनकी विशेष स्मृति छत्तीसगढ़ संस्कृत शिक्षा सेवा संस्थान द्वारा स्वामी श्री श्री निवासाचार्यस्मृति व्याख्यान माला का आरम्भ किया गया जिसमें
कर्म मीमांसा पर विशेष व्याख्यान श्री मंदीप सिंह शास्त्री जी ने ऑनलाइन कर्नाटक से प्रस्तुत किया ।
इन्होंने कर्म को विविध दर्शनों सिद्धान्त द्वारा प्रतिपादन किया और कर्म एक ऐसी किया है जिसको हमें करना ही है और उत्तम कार्य को संपादित करना है। श्रेष्ठ मनुष्य कि पहचान उसके उत्तम कर्म से होता है।
संस्कृत हमारी वैदिक संस्कृति है हमें इसे पढ़ना है पढ़ाना है और लोगो को प्रेरित करना चाहिये ।
इस कार्यक्रम में संस्थान के उपाध्यक्ष श्री सुरेश चंद्र तिवारी जी , श्री महावीर शर्मा जी , डा रूपेंद्र तिवारी जी श्री यशवन्त उपाध्याय जी प्रो.विद्याकांत त्रिपाठी जी श्री हेमन्त शर्मा जी श्री विनोद दुबे जी श्री रामबाबू मिश्र तथा श्री रोशन जी और भी गणमान्य लोग उपस्थित रहें ।
पूरे कार्यक्रम के संयोजक डॉ मनीष शर्मा सचिव छग संस्कृत शिक्षा सेवा संस्थान ने किया*.