Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Pages

Classic Header

{fbt_classic_header}

Top Ad

ब्रेकिंग :

latest

Breaking News

Automatic Slideshow


जनजातियों के गांव तक सुरक्षा के साये में पहुंची सड़क, 15 साल में 24 बार हो चुका था टेंडर

  गरियाबंद। जिले में सबसे सुदूर कहे जाने वाले आमामोरा ओड इलाके में अब नेशनल हाइवे से महज 40 मिनट में पहुंचा जा सकता है. क्योंकि अब यहां प...

Also Read

 गरियाबंद। जिले में सबसे सुदूर कहे जाने वाले आमामोरा ओड इलाके में अब नेशनल हाइवे से महज 40 मिनट में पहुंचा जा सकता है. क्योंकि अब यहां पथरीला, टेढ़ी-मेढ़ी सड़क नहीं बल्कि पक्की सीसी और चमचमाती डामर वाली सड़क बनने जा रही है. धवलपुर नेशनल हाइवे से कुकुरार तक 31.65 किमी सड़क बनना शुरू हो गया है. प्रधान मंत्री ग्रामीण सड़क योजना विभाग ने 20 करोड़ लागत से बनने जा रही सड़क को पांच अलग-अलग टेंडर जारी कर काम शुरू कर दिया है. अब तक 10 किमी का निर्माण पुरा हो चुका है. जिसमें पहाड़ों की खड़ी चढ़ाई वाला हिस्सा कहे जाने वाले चिखली पठार से ओड़ तक बन रहे 6.5 किमी में से लगभग 5 किमी की सड़क सीमेंट कंक्रीट सड़क का निर्माण पुरा कर लिया गया है. शेष भाग में मुरम मिट्टी का काम हो चुका है जिससे पहले की अपेक्षा आवाजाही बड़ी आसानी से हो पा रही है.विभाग के ईई बीआर सोनी ने कहा कि अब तक 10 किमी मार्ग बन चुका है. काम तेज गति से जारी है. कुछ जगह वन विभाग की आपत्ति थी जिसके निराकरण के लिए पत्राचार हो गया. निर्माण कार्य जून जुलाई तक पुरा करा लिया जाएगा.


 

सीआरपीएफ सुरक्षा में बन रही सड़क

सड़क का पुरा निर्माण कार्य सीआरपीएफ बटालियन 65 के निगेहबानी में हो रहा है.साल भर पहले ही छिंदौला और ओड़ में सीआरपीएफ कैंप की स्थापना की गई,जिसके बाद बटालियन अपनी मौजूदगी में निर्माण कार्य करवा रही है. एसपी अमित तुकाराम कांबले के निर्देशन में डीआरजी भी सीआरपीएफ के साथ समन्वय कर ज्वाइंट ऑपरेशन चला कर उस इलाके से नक्सलियों को खदेड़ने में सफल हुई है.अपको बता दे में जनजाति के लिहाज से इस क्षेत्र महत्वपूर्ण माना जाता है.2007 में ही भाजपा सरकार ने निर्माण के लिए 9.6 करोड़ की मंजूरी दे दिया था.टेंडर की प्रक्रिया चल रहा था इसी बीच 2009 में नक्सल को धमक हुई.2011 में इसी इलाके में नक्सली एंबूस में एएसपी समेत 10 जवान शहीद हो गए थे.लगातार नक्सली अपनी उपस्थिति देते रहे 2015 में भी बम फटने से दो जवान शहीद हो गए थे.सड़क के लिए 2021 तक 24 बार टेंडर जारी किया जा चुका था.लेकिन हाई लेबल बैठक के बाद 2022 में सुरक्षा बल तैनात करने के निर्णय ने सड़क निर्माण की राह आसान कर दिया.अब सड़क मूर्त रूप ले रहा है,जिसे ग्रामीण विकास लाने वाली सड़क मान रहे हैं.

सड़क पूरी होते ही दिखेगी बदलाव की बयार

आमामोरा पंचायत के अधीन कूकरारा, नगरार व ओड़ में अमलोर,हथौड़ा डीह मिलाकर कूल 7 गांव में 350 परिवार में 1500 लोग रहते हैं,जिन्हे सड़क के अभाव में कई मूलभूत सुविधाओं से वंचित होना पड़ता था.सड़क बनते ही कैसे बदलाव आयेगा ऐसे समझें

स्वास्थ्य सेवा– क्षेत्र के लिए उपस्वास्थ्य केंद्र तो है पर पृथक भवन नही,इसके अलावा स्वास्थ्य कर्मियो के रहने के लिए आवास नहीं होने के कारण उन्हें 30 किमी नीचे धवलपुर में रहना पड़ता था.

हाई स्कूल से वंचित होना पड़ता है छात्रों को– 7 गांव के लिए दो आश्रम शाला है. जहां मिडिल स्कूल तक की पढ़ाई हो पाती है. प्रति वर्ष 9 वी पढ़ने लायक 12 से15 बच्चे पास होते हैं. वार्ड 9 के पंच लखन यादव,भगवान यादव समेत क्षेत्र के जागरूक लोग बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित थे. उन्होंने बताया कि मार्ग सुगम नहीं होने के कारण 3,4 बच्चे नीचे पढ़ने जा पाते हैं.ऊपर में हाई स्कूल की मांग पर भी विचार नहीं हो रहा था.सड़क बनते ही दोनों ओर सहूलियत होगी.

काम के अभाव में होने वाला पलायन रुकेगा- ओड़ के सरपंच रामसिंह कमार जनजाति से हैं. उन्होंने अपनी व्यथा बताया कि अन्य पंचायत की तरह यहां विकास कार्य बहुत कम है, वजह पहुंच विहीन होने के कारण. इलाका वन क्षेत्र होने के कारण मनरेगा से सीमित काम होता है. इसलिए हर साल हथौड़ाडीह और अन्य क्षेत्र से 100 से ज्यादा क़मार मजदूर ईट भट्ठे में काम करने आंध्र पलायन कर जाते हैं. उनके साथ पढ़ाई करने वाले आश्रम के बच्चे भी भाग जाते है.अब तस्वीर बदलने की उम्मीद है.

बिजली पहुंच जाएगी– सड़क जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे सड़क किनारे बिजली के खंभे लगाए जा रहे हैं. आवाजाही में दिक्कतों के कारण बिजली उपक्रम ऊपर के गांव में नही पहुंच पा रहा था. अब बिजली लगाने की भी तैयारी प्रशासन कर रही है.

पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा– यह इलाका ऊंचाई पर होने के कारण यहां का तापमान गर्मी के दिनों मे भी समान्य रहता है. शीत ऋतु में बर्फ के चादर यहां देखने को मिलता है. दो सुंदर झरने भी यहां मौजूद है जिसे उदंतीसीता नदी अभ्यारण्य बढ़ावा देती है. निर्मानाधीन सड़क से आवाजाही होना शुरू हुआ तब से इस इलाके में विदेशी पर्यटक आना शुरू कर दिया था. कार्य पूर्ण होने के बाद पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा,जिससे स्थानियय वन समितियों के आय में वृद्धि होगी.