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पिछली सरकार पर आरोप लगाते थे, अब नई सरकार के सामने है इसे रोकने की चुनौती, बाहर से हर दूसरे- तीसरे महीने कहीं न कहीं पहुंचता है ऐसे ही 50-60 लोगों का झुंड

छत्तीसगढ़.  असल बाद न्यूज़.         00  फील्ड रिपोर्ट        इन दिनों यहाँ रात में तापमान 15 से 20 तक डिग्री नीचे तक चला जाता है. रात 10:00 ...

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छत्तीसगढ़.

 असल बाद न्यूज़.

       00  फील्ड रिपोर्ट      

 इन दिनों यहाँ रात में तापमान 15 से 20 तक डिग्री नीचे तक चला जाता है. रात 10:00 बजे तक हर जगह सन्नाटा छाया दिखने लगता है. कोई भी मजबूरी में भी बाहर जाना नहीं जाता. लेकिन ये लोग,इस कोहरे वाली ठंड में भी खुले आसमान के नीचे रहेंगे.ऐसा नहीं है कि ये सब बहुत अधिक मजबूर हैं.और इन्हें यहां कोई मजबूरी में रात काटनी पड़ रही होगी.जब बाहर से यह लोग आते हैं, तब इस झुंड में शामिल लोगों की, कई रात और दिन ऐसे ही आसमान के नीचे कटती है .इस झुंड में महिलाएं भी शामिल हैं,छोटे-छोटे बच्चे भी शामिल हैं और युवा भी शामिल होते हैँ.यह लोग यहां कब से आए हैं इसके बारे में पूछने पर ये यही कहते हैं कि आज ही आए हैं और तुरंत वापस चले जाएंगे. पिछली सरकार के समय ऐसे लोगों के आने पर कितनी है तौबा मचती थी,सब जानते हैं.अब नई सरकार के सामने इसे रोकने की चुनौती है.

 इस झुंड को आप देखेंगे तो यह बंजारों के जैसा ही नजर आएगा.लेकिन आप सब ने देखा होगा कि बंजारे, बंजारों का परिवार,अपने साथ रहने के लिए तिरपाल के साथ-साथ जीवकोपार्जन का पूरा साथ लेकर चलते हैं और वह जहां रुकते हैं तंबू तानकर महीने महीने भर टिके रहते हैं. लेकिन यह झुंड अपने आप में कई तरह से अलग नजर आता है.

 राजधानी रायपुर का रेलवे स्टेशन के आसपास का क्षेत्र हो अथवा दुर्ग, भिलाई, भाटापारा जैसे स्थानों पर ऐसा झुंड आपको महीने 2 महीने में नजर आ जाएगा. तीन-चार दिन एक ही स्थान पर देखते हैं, लेकिन उसके बाद यह भीड़ कहां गायब हो जाती है, पता नहीं चलता.

 आप इस झुंड की तस्वीर देख रहे हैं. यह शाम ढलने के बाद की तस्वीरें हैं.चित्र में आप देखेंगे की झुंड में शामिल लोगों में से कई लोगों ने चूल्हा जला लिया है और खाना बनाने की तैयारी कर रहे हैं. इस झुंड में पूरा का पूरा परिवार शामिल है. और सरसरी तौर पर देखने से ही लग सकता है कि इसमें एक नहीं कई- कई परिवार के सदस्य शामिल है. जब खाना बनाने की तैयारी चल रही है, खाना बनाने का सामान उपलब्ध है तो यह भी समझा जा सकता है कि यह लोग कुछ तैयारी के साथ तो जरूर यहां पहुंचे हैं कि उन्हें ऐसे ही कुछ दिन और रात काटना पड़ सकता है.

 हमारी टीम में इन लोगों से बातचीत करने की कोशिश की है तो पता चला कि यह लोग हिंदी समझते हैं और बोल भी लेते हैं. इसमें से एक युवा ने हमसे बातचीत करते हुए बताया कि उनकी ट्रेन छूट गई है इसलिए वह यहां रुक गए हैं. इसमें से एक ने बताया कि वह गोंदिया के आसपास से आ रहे हैं. कल वापस चले जाएंगे. लेकिन आसपास के लोगों करने बताया है कि यह लोग तीन-चार दिनों से यहाँ ठहरे हुए हैं. ढूंढ के एक युवा ने बताया कि वे सब सालहेवारा से आ रहे हैं. यहां रुक गए हैं वापस चले जाएंगे. जिस स्थान की है तस्वीरें हैं वहां बताया जाता है कि हर दूसरे तीसरे महीने में इसी तरह से लोग आते हैं. इसी स्थान पर दिन-रात रुकते हैं फिर पता नहीं कहां चले जाते हैं और कुछ दिन बाद नया झुंड आ जाता है. अब यह नहीं मालूम है कि इन लोगों के आने जाने के बारे में स्थानीय प्रशासन को, स्थानीय पुलिस को कुछ जानकारी होती है अथवा नहीं.