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श्रीमती रेणुका सिंह को विधानसभा अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी गई तो यह छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक बड़ा और बेहतर प्रयोग हो सकता है

00 चुनाव के पहले तक छत्तीसगढ़ में भाजपा की ऐसी स्थिति थी कि किसी भी "चेहरे" को आगे करना नुकसानदायक लग रहा  00 "मुख्यमंत्री&qu...

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00 चुनाव के पहले तक छत्तीसगढ़ में भाजपा की ऐसी स्थिति थी कि किसी भी "चेहरे" को आगे करना नुकसानदायक लग रहा 

00 "मुख्यमंत्री" और "मंत्री" बनने के लिए कोई भी नहीं है दावा करने की स्थिति में  

00 कार्यकर्ताओं और समर्थको की आवाज कि, अब ऐसा निर्णय लिया जाए कि आगे चलकर पार्टी नुकसान की स्थिति ना रहे 

00 अब सरकार ऐसी बनी चाहिए की जनता से उसकी दूरी ना रहे

 छत्तीसगढ़।

 असल बात न्यूज़।।    

00 विशेष संवाददाता/अशोक त्रिपाठी 

भारतीय जनता पार्टी, अब जब छत्तीसगढ़ में सरकार बनाने की और आगे बढ़ रही है तो यहां पार्टी के कार्यकर्ताओं, समर्थकों को पार्टी से अब बड़ी उम्मीदें हैं। पार्टी को छत्तीसगढ़ में सरकार बनाने का मौका मिला है तो उनके जो समर्थक हैं, जो कार्यकर्ता है वे चाहते हैं कि,पार्टी छत्तीसगढ़ में अब आगे एक बेहतर सरकार बना सके, एक बेहतर सरकार बनाने की दिशा में आगे बढ़े। ढेर सारे लोग चाहते हैं कि जो पुराने चेहरे हैं जो लंबे समय तक किसी न किसी तरह से सत्ता में बने रहे हैं,जिनका सत्ता पर  हमेशा दबाव रहा है ,ऐसे लोगों को सत्ता से कम से कम अब तो दूर रखा जाए। यह तो वास्तविकता है कि छत्तीसगढ़ में पार्टी के कतिपय बड़े नेताओं के प्रति आम लोगों के मन में ऐसी भारी नाराजगी थी कि पार्टी को चुनाव प्रचार में छत्तीसगढ़ के किसी भी चेहरे को आगे नहीं करने का निर्णय लेना पड़ा। पार्टी, छत्तीसगढ़ में चुनाव मैदान में यहां के किसी चेहरे के बिना चुनाव मैदान में उतरी, चुनाव  लड़ी,और कहा जा सकता है कि यह निर्णय भी पार्टी को काफी फायदेमंद साबित हुआ।

चुनाव परिणाम आने और बड़ी जीत मिलने के बाद भाजपाई खेमे में, बड़ी खुशियां दिख रही है, चारों तरफ खुशियों की मिठाइयां बांटी जा रही हैं, ढोल नगाड़े बज रहे हैं और नाच गाकर लोग जश्न मना रहे हैं लेकिन चुनाव के पहले पार्टी की क्या स्थिति थी  इसे भी भूल नहीं जाना चाहिए। इसे भूल जाना ही बाद में मुसीबतों को लेकर आने का कारण बन सकता है। चुनाव के पहले इस राज्य में पार्टी पूरी तरह से बैकफुट पर थी, कहीं से कोई बड़ा दावा करने की स्थिति भी नजर नहीं आ रही थी। और यह भी किसी को नहीं भूलना चाहिए की पार्टी यहां से किसी चेहरे को चुनाव प्रचार में आगे करने की स्थिति में भी नहीं थी।छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी को पूर्ण बहुमत के साथ जीत मिली है। तो पुराने हालात कुछ बदलते हुए देख सकते हैं और हो सकता है कि वह पुरानी परिस्थितियों को भूल जाने की स्थिति में भी दिखने लगे। जीत के बाद खुशियों के बीच कहीं ना कहीं निराशा खत्म होते नजर आने लगती है लेकिन ओवर कॉन्फिडेंस  नहीं बनना चाहिए। पार्टी को जब यहां पूर्ण बहुमत के साथ जीत मिली है तो सरकार बनाते समय इसमें इस बात को भी ध्यान रखना चाहिए कि यहां के ढेर सारे चेहरों से नाराजगी थी और यहां के किसी भी चेहरे को चुनाव में आगे नहीं किया गया था और जिसके कारण भी आम जनता का, आम लोगों का पार्टी के प्रति विश्वास बढ़ा और लोगों ने पार्टी को जीत दिलाई।पार्टी, की चुनाव के पहले तक ऐसी हालत थी कि वह चुनाव प्रचार में, अपने बैनर पोस्टर पर छत्तीसगढ़ में किसी भी चेहरों को आगे नहीं करने के लिए मजबूर थी। ढेर सारे चेहरों पर विवाद की स्थिति थी, और आम लोगों से उन चेहरों में नाराजगी भी थी, इसलिए पार्टी अब जब यहां सरकार बनाने जा रही है तो यह दावा करने की कि कहीं स्थिति नजर नहीं आती है कि कहीं से यह दावा किया जा सके कि किसी बड़े चेहरे को मंत्रिमंडल में अनिवार्य रूप से जगह मिलनी चाहिए। भाजपा के नए गठित होने वाले मंत्रिमंडल में दूसरी लाइन के चेहारों को प्रमुखता से जगह देने की आवाज उठ रही है।  

आम जनता ने भाजपा को पूर्ण बहुमत के साथ  जीत दिलाई है। यहां राजनीतिक गलियारे में भारी उलट फिर हुआ है। अब बारी भारतीय जनता पार्टी के सरकार बनाने की है। भारतीय जनता पार्टी को कैसी सरकार बनाना है, किस रास्ते पर आगे बढ़ाना है, किस विचारधारा के साथ आगे बढ़ना है किन लोगों को सरकार में मौका देना है, इस पर अब उसे निर्णय लेने का अवसर है। जब आम जनता ने उसे पूर्ण बहुमत के साथ, सरकार बनाने का मौका दिया है तो आम जनता को भरोसा है कि पार्टी में  जो दागदार चेहरे रहे हैं, विपरीत छवि वाले चेहरे हैं, जिनके कारण पार्टी के वोट को नुकसान हो रहा था उनसे बचने की भी कोशिश की जाएगी।कहा जा रहा है कि सरकार बनाने में पार्टी इस बार पहले लाइन के नेताओं को छोड़कर दूसरी लाइन के लोगों को अधिक अवसर दे,अधिक महत्व दे, तो उसे यहां राजनीति में सफलता हासिल करने का अच्छा अवसर मिल सकता है। यहां सबसे उल्लेखनीय बात है कि भारतीय जनता पार्टी ने इस बार बिना किसी चेहरे के चुनाव लड़ा है छत्तीसगढ़ के किसी चेहरे को चुनाव में आगे नहीं किया उसके बाद पार्टी को यह बड़ी सफलता मिली है तो अब पार्टी को समझना चाहिए कि छत्तीसगढ़ के चेहरे उसके लिए अधिक महत्वपूर्ण नहीं है वरन उसकी जो विचारधारा है, उसकी जो नीतियां हैं, उसके जो काम करने का तरीका रहा है वह लोगों के द्वारा पसंद किया जा रहा है और अब उसी को आगे बढ़ते हुए सरकार बनाने पर ध्यान देना चाहिए।

पांच साल पहले भारतीय जनता पार्टी को आम जनता ने सत्ता से बेदखल कर दिया था। पंद्रह साल तक सत्ता में रहने के बाद उसके कामकाज से असंतुष्ट होकर, उसके चेहरों से असंतुष्ट होकर जनता ने सत्ता से उसे बाहर कर दिया था। अब उसे सत्ता में आगे बढ़ने का फिर से नया मौका मिला है। यहां सबसे उल्लेखनीय बात है कि  भाजपा ने जिन कई चेहरों को टिकट दे दी थी उसपर एक बड़े वर्ग की नाराजगी बनी हुई थी हालांकि उन चेहरों में भी जीत हासिल कर ली है। एक वर्ग जिन चेहरों से नाराज था, अब उनके साथ ढेर सारे लोगों के द्वारा आवाज उठाई जा रही है कि ऐसे चेहरों तक और जो जिनका 15 वर्षों तक सत्ता में दबदबा  रहा है उन चेहरों को अब मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलनी चाहिए।

भारतीय जनता पार्टी के पास मौका है इस बार सरकार बनाने के साथ कई नए प्रयोग करने का। विधानसभा अध्यक्ष पद पर इस बार किसी महिला को अवसर देने का प्रयोग किया जा सकता है। पार्टी इस बारे में निर्णय लेना चाहेगी तो इसमें सांसद रेणुका सिंह का नाम प्रमुखता से सामने आ सकता है और वह इस पद के लिए काफी उपयुक्त साबित हो सकती हैं। छत्तीसगढ़ में किसी महिला को विधानसभा अध्यक्ष बनना एक नया प्रयोग होगा और रेणुका सिंह के रूप में पार्टी के पास इस पद के लिए एक उपयुक्त चेहरा है। उन्हें एक तेजतर्रार नेता माना जाता है।वे  आदिवासी वर्ग का प्रतिनिधित्व करती हैं और काफी सक्रिय रही हैं। सांसद के तौर पर भी उनका परफॉर्मेंस बेहतर रहा है। श्रीमती रेणुका सिंह को विधानसभा अध्यक्ष बनाया जाता है तो यह  छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक बड़ा और बढ़िया प्रयोग साबित हो सकता है। श्रीमती रेणुका सिंह को विधानसभा अध्यक्ष बनाए जाने का निर्णय  लिया जाता है तो यह एक नई शुरुआत होगी और इसके बाद मंत्रिमंडल के  गठन की रणनीति बनाने की ओर आगे बढ़ा जा सकता है।

अब बात करें कि छत्तीसगढ़ से मुख्यमंत्री कौन बनेगा ? तो यहां से कोई भी दावा करने की स्थिति में तो नहीं है कि उसे ही मुख्यमंत्री बनना चाहिए। ऐसे में यहां सब पूरा का पूरा दिल्ली निश्चित पत्रिका हुआ है कि किस नेतृत्व दिया जाना चाहिए किस मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए। यही हाल मंत्रिमंडल के गठन का है। छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी ने इस बार पूरा चुनाव केंद्रीय नेतृत्व के नियंत्रण में लड़ा है ।


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