राजनीतिक पार्टियों में टिकट वितरण के समय बड़े प्रतिष्ठापूर्ण चेहरों और जीते हुए चेहरों की 'टिकट' पहले घोषित करने की एक तरह से परंप...
राजनीतिक पार्टियों में टिकट वितरण के समय बड़े प्रतिष्ठापूर्ण चेहरों और जीते हुए चेहरों की 'टिकट' पहले घोषित करने की एक तरह से परंपरा रही है। भाजपा ने आने वाले विधानसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की है इसमें कई बड़े चेहरों के नाम गायब है। अविभाजित राजनांदगांव जिले में तीन विधानसभा सीटों के उम्मीदवार तय किए गए हैं लेकिन राजनांदगांव विधान सभा सीट, जहां से पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह का नाम लगभग तय माना जा रहा है का भी नाम पहली सूची में घोषित नहीं किया गया है। तो आम लोगों ही नहीं भाजपा कार्यकर्ताओं के जेहन में भी सवाल कौंध रहा हैं कि ऐसा कैसे हुआ है और क्या इस तरह से कई बड़े चेहरों की टिकट कटने जा रही है ?
छत्तीसगढ़।
असल बात न्यूज़।।
जिन विधानसभा सीटों पर वर्ष 2018 के चुनाव में जीत मिली थी उन सीटों पर भारतीय जनता पार्टी के द्वारा उम्मीदवारों,कैंडीडेट्स की घोषणा अभी नहीं की गई है। पार्टी ने वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की कुछ विधानसभा सीटों हेतु अपने उम्मीदवारों की कल घोषणा की है। इसमें कई बड़े चेहरों के नाम नदारद हैं तो तमाम आम लोगों के साथ कार्यकर्ताओं के मन में भी यह सवाल उठ रहा है कि इन सीटों के उम्मीदवारों की घोषणा पहली सूची में आखिर क्यों नहीं की गई ? जब बड़े नाम और बड़े चेहरे हैं तो ऐसे सवाल उठना स्वाभाविक है। भाजपा आगामी विधानसभा लोकसभा चुनाव को लेकर काफी गंभीर दिख रही है और टिकट वितरण से लेकर चुनाव प्रचार तक की जिम्मेदारी देने को लेकर वह ठोक- बजाकर कदम उठा रही है। जानकारी के अनुसार पार्टी ने हारने वाली, जीतने वाली, कभी नहीं जीतने वाली सीटों के आधार पर चिन्हाकित कर विधानसभा सीटों की कैटेगरी तय की है और उसके अनुसार टिकट वितरण शुरू किया गया है। पहली सूची में उसे,वर्ष 2018 के चुनाव में जहां,जीत नहीं मिली थी और जहां ज्यादातर बार पराजय का सामना करना पड़ता रहा है उन विधानसभा सीटों के उम्मीदवार तक किए गए हैं।
भाजपा ने यहां विधानसभा चुनाव के लगभग 100 दिन पहले ही अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है। छत्तीसगढ़ में संभवत ऐसा पहली बार हुआ है कि भाजपा प्रत्याशियों को तय करने में इतनी आगे आई है। राजनीतिक दलों के द्वारा ज्यादातर देखा गया है कि विरोधी पार्टी के उम्मीदवार के घोषित होने का इंतजार किया जाता है और उसके जातिगत, व्यक्तिगत आधारों को देखकर अपने प्रत्याशी घोषित किए जाते हैं। इसके चलते यह भी देखा गया है कि कई कई बार तो नामांकन दाखिले के अंतिम दिन तक भी प्रत्याशियों की घोषणा की गई है। ऐसा कांग्रेस में भी होता रहा है और बाद में भाजपा में भी ऐसा ही दिखने लगा।जिन प्रतिष्ठापूर्ण सीटों पर टिकट के लिए भारी मारामारी मची रही है और टिकट के दावेदारों की संख्या काफी अधिक रही है उनमें अक्सर ऐसे ही हालात देखने को मिलते रहे हैं। लेकिन भाजपा ने इस बार वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए,अभी ना तो चुनाव की घोषणा होने का इंतजार किया है और ना ही विरोधी खेमे के द्वारा प्रत्याशी घोषित किए जाने का, उसने अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है। पार्टी के द्वारा शायद यह मानकर चला जा रहा है कि प्रत्याशियों के नाम पहले ही घोषित कर देने से उस सीट पर उम्मीदवार को अपनी चुनावी तैयारी करने का पूरा समय मिलेगा और दूसरी बात कि एक प्रत्याशी तय हो जाने से उस सीट पर टिकट के दावेदारों की भीड़ नहीं बढ़ेगी और गुटबाजी,आपसी खींचातानी की नौबत से भी निपटा जा सकेगा। पार्टी के द्वारा इसी कड़ी में उम्मीदवारों को तय करना शुरू कर दिया गया है।
पार्टी ने अपनी पहली सूची में छत्तीसगढ़ में 21 उम्मीदवारों के नाम घोषित किए हैं तो लोगों के मन में और खास तौर पर भाजपा कार्यकर्ताओं के जेहन में यह सवाल कौंध रहा है कि कई प्रतिष्ठापूर्ण सीटों पर प्रत्याशी क्यों नहीं तय किया जा सका है। उदाहरण के लिए राजनांदगांव जिले की बात की जाए तो यहां से भाजपा ने तीन विधानसभा सीटों के लिए प्रत्याशी तय कर दिए हैं। यह तीन सीट है खुज्जी, खैरागढ़-छुई खदान गंडई,और मोहला- मानपुर- चौकी।इन तीनों सीटों पर भाजपा, पिछले तीन चुनाव से लगातार हार रही है। इस बार पार्टी ने खुज्जी से मौजूदा जिला पंचायत अध्यक्ष गीता घासी साहू पर भरोसा दिखाया है।खैरागढ़-छुई खदान गंडई से युवा विक्रांत सिंह को प्रत्याशी तय किया गया है। वही दूसरे नए जिले मोहला मानपुर चौकी में पूर्व विधायक संजीव शाह को एक बार फिर मौका दिया गया है। यह सीट अजजा के लिए सुरक्षित है।खुज्जी और डोंगरगांव सीट साहू बहुल मतदाताओं की सीट मानी जाती रही है जहां जातिय समीकरण हमेशा हावी होता दिखा है। खुज्जी विधानसभा सीट पर कांग्रेस की छन्नी साहू विधायक हैं जबकि खैरागढ़ विधानसभा सीट पर आम चुनाव में जोगी कांग्रेस के देवव्रत सिंह विधायक चुने गए थे लेकिन उनके आकस्मिक निधन के बाद वहां उपचुनाव हुआ जिसमें कांग्रेस की यशोदा वर्मा ने वह सीट जीत ली। एक बात यह भी उल्लेखनीय की खैरागढ़ विधानसभा सीट पर बीजेपी ने कोमल जंघेल को 5 बार चुनाव मैदान में उतारा जिसमें दो बार उन्हें जीत भी मिली थी। इस बार उनकी जगह विक्रांत सिंह पर भरोसा दिखाया गया है।
भाजपा कार्यकर्ताओं में भी यह सवाल उठ रहा है कि अविभाजित राजनांदगांव जिले में जब तीन विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार तय कर दिए गए तो राजनांदगांव विधानसभा सीट,जहां से पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह का नाम तय माना जा रहा है उस जैसी प्रतिष्ठापूर्ण सीट पर पहली सूची में उम्मीदवार का नाम क्यों नहीं तय किया गया। ऐसे ही सवाल रायपुर शहर की कुछ विधानसभा सीटों, दुर्ग जिले की कई सीटों, कुरूद विधानसभा क्षेत्र जहां से पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर विधायक हैं को लेकर भी सवाल उछल रहा है। बताया जा रहा है कि भाजपा ने जो फार्मूला तय किया है उसमें अभी सी और डी ग्रेड की सीटों पर पहले नाम तय किया गया है। इसी फार्मूले के चलते अभी कई प्रतिष्ठापूर्ण सीटों पर उम्मीदवार नहीं तय किए गए हैं। पहली सूची में नाम नहीं तय किया गया है इसका यह मतलब नहीं है कि कई बड़े चेहरों की टिकट कटने ही वाली है। दुर्ग जिले के पाटन विधानसभा क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी, पिछले दस वर्षों से चुनाव हारती आ रही है जिसके चलते इस सीट को 'सी' श्रेणी में शामिल किया गया है और वहां पहली सूची में ही उम्मीदवार तय किया गया है। पार्टी ने यहां से सांसद विजय बघेल को अपना उम्मीदवार बनाया है। माना जाता है कि श्री बघेल, प्रदेश की कांग्रेस की सरकार के खिलाफ शुरू से आक्रामक रहे हैं जिसका उन्हें टिकट मिलने में फायदा मिला है।
भारतीय जनता पार्टी ने अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है इसमें 18 नए चेहरे शामिल किए गए हैं। तो वहीं कांग्रेस में अभी चयन प्रक्रिया शुरू की गई है और टिकट के दावेदारों से आवेदन मांगे जा रहे हैं। भाजपा की पहली सूची जारी होने के बाद यह भी कहा जा रहा है कि अभी कई सीटों पर बदलाव की भी संभावना बनी हुई है। पार्टी भी कुछ उम्मीदवारों के नाम घोषित कर यह देखना चाहती होगी कि वहां घोषित उम्मीदवारों के नाम पर लोगों की किस तरह की प्रतिक्रियाये सामने आती हैं। किसी भी नंबर ज्यादा नकारात्मक प्रतिक्रियाएं आने पर पार्टी के पास ऐसे नाम वापस लेने की भी अभी गुंजाइश भी बनी रहेगी। ऐसे में टिकट में फेरबदल भी दिख सकता है। देश में जो राजनीतिक हालात बनते रहे हैं उसमें नामांकन वापसी के समय तक प्रत्याशियों को घोषित किये जाने और बदले जाने का सिलसिला दिखता रहा है। अब चुनाव के तीन महीने पहले उम्मीदवार घोषित किए गए हैं तो इसकी संभावना तो बनी ही रहेगी।
00 political reporter.