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'किसान' एक तरफ',others' मुद्दे एक तरफ, पर होता दिख सकता है चुनाव

  रायपुर। असल बात न्यूज़।।     पंद्रह साल बाद छत्तीसगढ़ में नई सरकार बनने, याने कि कांग्रेस की सरकार बनने के बाद, इस सरकार ने अपने घोषणापत्र...

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 रायपुर।

असल बात न्यूज़।।   

 पंद्रह साल बाद छत्तीसगढ़ में नई सरकार बनने, याने कि कांग्रेस की सरकार बनने के बाद, इस सरकार ने अपने घोषणापत्र में किए गए वादे के अनुसार सबसे पहले किसानों का कर्ज माफ कर लोगों के दिलोंदिमाग पर खरा उतारने और अपने वाले के अनुसार काम करने वाली सरकार की छवि बनाने की कोशिश की है। करने की कोशिश की। दिल जीतने की कोशिश की है। इसके बाद से हर मंच पर किसानों की कर्ज माफी का मुद्दा छाया नजर आता रहा है। यह दावे के साथ कहा जाता रहा है कि इससे प्रदेश घर में लाखों किसानों को इससे बड़ा फायदा मिला है। अब विधानसभा चुनाव फिर से सिर पर आ रहे हैं तो मतदाताओं को आकर्षित करने मुद्दों की तलाश है। इसमें कर्ज माफी का मुद्दा निश्चित रूप से बड़ा चुनावी मुद्दा बनेगा। जब सरकार ने अपने वादे के अनुर अप एक बड़ा काम किया है तो उसके लिए इस बात पर अपनी पीठ थपथपाना है। इसके बाद इस सरकार ने गांव को आत्मनिर्भर बनाने वहां के अर्थव्यवस्था का मजबूत करने की दिशा में कई योजना पर काम शुरू किया। अब जब चुनाव आ रहे हैं तो सरकार यह जो काम किए गए हैं उन मुद्दों से फायदा जरूर उठाना चाहेगी। ऐसे में लग रहा है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में किसान और गांव वर्सेस आदर्श का मुद्दा हावी हो सकता है। सत्ताधारी लाल को जहां इस मुद्दे से फायदा मिलने की उम्मीद है वहीं विपक्षी दल यानी भाजपा आदर्श के बीच से अपने लिए सकारात्मक वोट खोजने की कोशिश करेगी। 

हम चुनावी मुद्दों की बात करते हैं तो हमें पिछले 5 वर्षों के दौरान छत्तीसगढ़ के राजनीतिक गलियारे में क्या-क्या घटित हुआ, क्या-क्या महत्वपूर्ण घटनाएं हुई, किन घटनाओं ने प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष तौर पर आम जल मानस को प्रभावित किया? इस पर नजर डालना जरूरी है। नई सरकार के लगभग 2 साल तो कोरोना संकट से निपटने में बीत गए। लेकिन इसके पहले नई सरकार ने सत्ता में आने के बाद जो किसानों की कर्जमाफी का काम किया है इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि  वह आज भी आम लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है तथा एक तथा वह लोगों को प्रभावित करने वाला एक बड़ा मुद्दा है। शायद ही कोई ऐसा मिलेगा जो कहेगा कि यह मुद्दा आज भी लोगों को प्रभावित नहीं कर रहा है। लेकिन यह सवाल उठाने कई मिल जाएंगे की कर्ज माफी का वास्तव में किसे फायदा मिला है। इसमें अलग-अलग तरह की दलील देने वालों की संख्या काफी अधिक मिल जाएगी। दावे के साथ यह करने वाले लोग तो काफी अधिक संख्या में मिल जाएंगे की कर्ज माफी का फायदा तो एक से 5 एकड़ तक की किसी भी बीमारी है आगे किसानों को ना के बराबर मिला है। लेकिन इससे इनकार करना मुश्किल है कि 'किसानों की कर्ज माफी' के मुद्दे में दम नहीं है और चुनाव में यह असरकारक मुद्दा बना रहेगा। 

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