दुर्ग। असल बात न्यूज़।। 00 विधि संवाददाता दुर्ग में आज एक और अभियुक्त को पोक्सो एक्ट के अपराध में दोष सिद्ध होने पर 20 साल के सश...
दुर्ग।
असल बात न्यूज़।।
00 विधि संवाददाता
दुर्ग में आज एक और अभियुक्त को पोक्सो एक्ट के अपराध में दोष सिद्ध होने पर 20 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई है। अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम फास्ट्रेक कोर्ट विशेष न्यायाधीश पोक्सो एक्ट दुर्ग श्रीमती सरिता दास के न्यायालय ने यह सजा सुनाई है। न्यायालय ने माना कि विवेचना एवं साक्षय विश्लेषण के आधार पर अभियोजन उक्त प्रकरण को युक्ति युक्त संदेश से परे प्रमाणित करने में सफल रहा है। न्यायालय ने अवयस्क बालिका पीड़िता को अपराध के फलस्वरूप हुई हानि एवं क्षति के लिए पीड़िता क्षतिपूर्ति योजना के तहत प्रतिकार अधिनिर्णीत करने की सिफारिश की है।
अभियोजन के अनुसार मामले के तथ्य इस प्रकार है कि पीडिता 16 वर्ष 5 माह की अवयस्क बालिका है। 20 जुलाई 2021 को वह घर से अपने दोस्त के घर जा रही है बता कर निकली थी जो कि घर वापस नहीं लौटी। पुलिस ने विवेचना के दौरान पीड़िता को आरोपी के कब्जे से अर्जुनी मोर गांव महाराष्ट्र से बरामद किया। आरोपी उसे बहला फुसलाकर अपने फोर व्हीलर गाड़ी से गोंदिया ले गया था।आरोपी ने पीड़िता को उसके विधिपूर्ण संरक्षक की संरक्षकता में से उनकी सहमति के बिना पहले फुसलाकर व्यपहरण कारीत किया एवं उसके साथ एक से अधिक बार गुरुत्व प्रवेशन लैंगिक हमला कारित किया। पीड़िता की माता प्रार्थयां ने मामले में आरक्षी केंद्र खुर्सीपार में रिपोर्ट दर्ज कराई।
बचाव पक्ष ने सुनवाई के दौरान न्यायालय के समक्ष पीड़िता के सहमत पक्षकार होने का तर्क लिया तथा दलील दी कि पीड़िता के साथ कोई जबरदस्ती नहीं हुई है और वह सभी फोटो में खुश नजर आ रही है। न्यायालय ने माना कि व्यपहरण तथा ब्लातसंग के मामले में अवयस्क बालिका के सहमत होने पर भी अपराध का गठन होता है और बचाव के लिए उसकी सहमति का तर्क लेना औचित्यहीन है।
न्यायालय में प्रकरण में अभियुक्त को दोष सिद्ध होने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 363 के अपराध में एक वर्ष, धारा 366 के अपराध में 3 वर्ष और धारा 42 के परिप्रेक्ष्य में लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 5(6) के अपराध में 20 वर्ष के सश्रम कारावास के सजा सुनाई है तथा ₹5000 का अर्थदंड अधिरोपित किया है। यह सभी सजाएं एक साथ चलेगी।