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दिनदहाड़े सब्बल मारकर सिर फोड़ देने की घटना में आरोपी को एक साल 11 महीने 28 दिन की सजा, आरोपी के वृद्ध होने से सजा में नरमी

  दुर्ग । असल बात न्यूज़।।        00  विधि संवाददाता  पाटन विकासखंड के ग्राम कुर्मीगुंडरा में दिनदहाड़े सब्बल मारकर सिर फोड़ देने की उपहति क...

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 दुर्ग ।

असल बात न्यूज़।। 

     00  विधि संवाददाता 

पाटन विकासखंड के ग्राम कुर्मीगुंडरा में दिनदहाड़े सब्बल मारकर सिर फोड़ देने की उपहति कारीत करने की घटना में आरोपी को एक साल 11 महीने 28 दिन की सजा सुनाई गई है। अष्टम अपर सत्र न्यायाधीश दुर्ग के न्यायालय ने यह सजा सुनाई है। न्यायालय ने आरोपी की 60 वर्ष की उम्र को देखते हुए सजा देने में नरमी करने को न्याय संगत माना है। न्यायालय के समक्ष आरोपी के विरुद्ध सिर्फ धारा 324 के तहत दंडनीय अपराध को प्रमाणित किया जा सका।

उक्त घटना 19 जुलाई 2021 की रानी तराई थाना क्षेत्र के अंतर्गत की है। मामले में पीड़ित की पत्नी संध्या आडिल ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। अभियोजन पक्ष के द्वारा प्रस्तुत तथ्य के अनुसार पीड़ित युगल किशोर आडिल, जब घटना के दिन एक होटल के पास बैठकर दोपहर में मनरेगा मजदूरों से खाता एवं आधार नंबर एकत्रित कर रहा था उसी समय गांव के ही शिव कुमार सारथी नामक व्यक्ति ने पुरानी रंजिश को लेकर उसके साथ मारपीट की और सिर पर सब्बल से वार कर दिया। आरोपी दो बार बार करने के बाद उसके सिर पर फिर वार करने जा रहा था कि आसपास मौजूद लोगों ने उसे पकड़ लिया। यह घटना सार्वजनिक स्थल पर 6-7 लोगों की मौजूदगी में हुई। 

मामले में स्थानीय पुलिस ने आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 294, 506 दो, 307 और 201 के तहत अपराध पंजीबद्ध किया था। पीड़ित को चिकित्सकों को दिखाया गया था वहां सीटी स्कैन कराया गया, जिसमें पीड़ित के सिर पर सामान्य चोटे आना पाया गया। 

न्यायालय ने विचारण और सुनवाई में पाया की पीड़ित और आरोपी के बीच कोई पूर्व रंजिश नहीं थी। सिर पर वार करने से आहत को साधारण उपहती कारित हुई है जो कि मृत्यु के लिए पर्याप्त नहीं थी। 

न्यायालय ने आरोपी को धारा 324 के तहत दंडनीय अपराध में 1 वर्ष 11 महीने और 28 दिन की सजा सुनाई है। न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 222, 2 के तहत किसी अपराध में ऐसे तथ्य साबित कर दिए जाते हैं जो कि अपराध को छोटा कर देते हैं तो उस छोटे अपराध के लिए दोषसिद्ध किया जा सकता है। आरोपी गिरफ्तारी के बाद से लगातार न्यायिक अभिरक्षा में रहा है और वहां 696 दिवस की सजा भुगत चुका है। 

अभियोजन पक्ष की ओर से अतिरिक्त लोक अभियोजक  प्रदीप नेमा ने पक्ष रखा।


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