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देश के 26 प्रतिशत अदालत परिसरों में अलग महिला शौचालय नहीं, न्यायपालिका को सुविधायें दिलाने की प्राथमिक जिम्मेदारी राज्य सरकारों की

  न्यायालय परिसरों में महिलाओं के लिए सुविधाएं नई दिल्ली। असल बात न्यूज़।। कानून और न्याय मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने आज बताया है कि देश में...

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न्यायालय परिसरों में महिलाओं के लिए सुविधाएं

नई दिल्ली।
असल बात न्यूज़।।

कानून और न्याय मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने आज बताया है कि देश में न्यायपालिका में अधोसंरचना सुविधाओं को लिए एक केंद्र प्रायोजित योजना लागू  है।इसके तहत केंद्र सरकार निर्धारित फंड-शेयरिंग पैटर्न में राज्य सरकारों/संघ शासित प्रदेशों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है।मंत्री श्री रिजिजू ने यह जानकारी राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी है।

इस जवाब में उन्होंने यह भी बताया है कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रैंकिंग फ्रेमवर्क द्वारा प्रकाशित  कोई डेटा न्याय विभाग को उपलब्ध नहीं कराया गया है।  भारत के सर्वोच्च न्यायालय की रजिस्ट्री ने न्यायिक बुनियादी ढांचे और अदालती सुविधाओं की स्थिति पर डेटा संकलित किया है, जिसके अनुसार 74% अदालत परिसरों में अलग महिला शौचालय हैं जबकि 26% अदालत परिसरों में अलग महिला शौचालय नहीं हैं।

उन्होंने बताया कि न्यायपालिका के अधोसंरचना सुविधाओं के विकास की प्राथमिक जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है। राज्य सरकारों के संसाधनों को बढ़ाने के लिए, केंद्र सरकार केंद्र और राज्यों के बीच निर्धारित फंड-शेयरिंग पैटर्न में राज्य सरकारों/संघ शासित प्रदेशों को वित्तीय सहायता प्रदान करके न्यायपालिका के लिए बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए एक केंद्र प्रायोजित योजना लागू की गई है। यह योजना 1993-94 से लागू की जा रही है, और इसे केंद्रीय हिस्से 9000 करोड़ रुपए सहित 5307.00 करोड़ रुपए सहित  2021-22 से 2025-26 तक  के बजटीय परिव्यय के साथ बढ़ाया गया है।

 इससे न्यायालयों के कोर्ट हॉल और आवासीय क्वार्टरों के निर्माण के अलावा, अब जिला और अधीनस्थ अदालतों में वकीलों के हॉल, डिजिटल कंप्यूटर रूम और शौचालय परिसरों का निर्माण कार्य किया जा रहा है।