नई दिल्ली . समान नागरिक संहिता, उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के बाद से ही इस मुद्दे ने फिर रफ्तार पकड़ ली थी। गुजरात में भारतीय जनता पार्ट...
नई दिल्ली. समान नागरिक संहिता, उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के बाद से ही इस मुद्दे ने फिर रफ्तार पकड़ ली थी। गुजरात में भारतीय जनता पार्टी ने इसे लागू करने का चुनावी वादा भी किया। पार्टी यह दावा भी करती रही है कि UCC लंबे समय से उनके वादों में शामिल रहा है। अब सवाल है कि देश की राजनीति में सत्ता के लिहाज से दो बड़े दल इसके बारे में क्या सोचते हैं।
हाल ही में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कांग्रेस को समान नागरिक संहिता को लेकर अपना पक्ष साफ करने की बात कही थी। एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने पूछा, '1950 से लेकर अब तक हमारी चुनावी घोषणापत्रों में कहा गया है कि हम समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। समान नागरिक संहिता भाजपा का बहुत पुराना वादा है और हम जो वादा करते हैं उसे पूरा करते हैं। हमने राम मंदिर, आर्टिकल 370 और ट्रिपल तलाक को लेकर जो वादे किए, उन्हें पूरा किया... लेकिन क्या कांग्रेस समान नागरिक संहिता पर अपना पक्ष साफ कर सकती है।'
क्या है समान नागरिक संहिता
UCC के तहत भारत में एक कानून तैयार करने की बात कही गई है, जो सभी धार्मिक
समुदायों में एकसमान लागू होगा। इस कोड का जिक्र संविधान के आर्टिकल 44
में भी है, जिसमें कहा गया है कि भारतीय क्षेत्र में नागरिकों के लिए UCC
सुरक्षित करने के लिए प्रयास किए जाएंगे।
क्या हैं कांग्रेस के विचार?
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने इस साल अप्रैल में ही सरकार से UCC की परिभाषा
पूछी थी। उन्होंने कहा था, 'उन्हें बताना चाहिए कि समान नागरिक संहिता क्या
है? संविधान में UCC का जिक्र है कि समान नागरिक संहिता को लागू करने का
प्रयास होगा, लेकिन साफ परिभाषा कभी स्पष्ट नहीं रही और यह कि इसका प्रभाव
क्या होगा। सरकार जब भी UCC के बारे में बात करती है, तो इसे लागू नहीं
करती। इस्लाम, ईसाई या कोई भी धर्म हो किसी भी धर्म की सबसे अच्छी बातें
पहले ही लागू हैं। उन्हें बताना चाहिए कि UCC की परिभाषा क्या है, तभी हम
प्रतिक्रिया देंगे।'
कांग्रेस नेता ने सरकार के काम करने के तरीकों पर सवाल उठाए थे। साथ ही उन्होंने आरोप लगाए थे कि सरकार ने समाज में भेदभाव फैलाया है। उन्होंने कहा था कि UCC के मामले में भी इसी तरह का रवैया सामने आने की संभावनाएं हैं।
अगस्त में वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि UCC को एक विधायी रूप में गलत नहीं समझा जाना चाहिए, जो असामान्य धार्मिक कामों को समाप्त करता है। उन्होंने कहा था, 'अग्नि मंदिर को कई लोग अजीब मान सकते हैं, लेकिन यह पारसी लोगों की जरूरी प्रथा है। अब मुझे नहीं लगता कि यूनिफॉर्म सिविल कोड में इन चीजों को दबाया जाना चाहिए।'
उन्होंने यह भी कहा था कि UCC पर आम सहमति बना पाना आसान नहीं है। सिंघवी ने कहा था, 'कोई हमें बताए कि वे इतनी आसानी से इसे कैसे कर लेंगे... इसे करना इतना आसान नहीं है।'
आम आदमी पार्टी की राय
गुजरात में एक रैली के दौरान दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा
था कि भाजपा समान नागरिक संहिता को लागू करने को लेकर झांसा दे रही है।
उन्होंने भाजपा की सरकार पर सवाल उठाए और दावा किया था कि पार्टी ने
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में भी यही वादा किया था, लेकिन जीतने के बाद
इसपर काम नहीं किा।