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आम जनता को सरकारी गतिविधियों को जानने का मौलिक अधिकार- राज्य मुख्य सूचना आयुक्त श्री राउत

  प्रशासन को पूर्ण पारदर्शी बनाना सूचना का अधिकार का उद्देश्य- राज्य सूचना आयुक्त श्री अग्रवाल जन सूचना अधिकारियों व प्रथम अपीलीय अधिकारियों...

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 प्रशासन को पूर्ण पारदर्शी बनाना सूचना का अधिकार का उद्देश्य- राज्य सूचना आयुक्त श्री अग्रवाल

जन सूचना अधिकारियों व प्रथम अपीलीय अधिकारियों की एक दिवसीय कार्यशाला  सम्पन्न

अम्बिकापुर ।

असल बात न्यूज़।।

नागरिकों को शासकीय योजनाओं, कार्यक्रमों और कार्यों के बारे में जानकारी हासिल करने का अधिकार है। इसलिए शासकीय कार्यों और कार्यक्रमों को विभागीय वेबसाईट में प्रदर्शित की जानी चाहिए।ये बातें आज यहां राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त श्री एम.के. राउत ने कही है। उन्होंने कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम आम जनता की भलाई के लिए बनाया गया है।पारदर्शी प्रशासन के लिए कार्यालय की अधिक से अधिक जानकारियों को विभाग के वेबसाइट पर लगातार अपडेट किया जाना चाहिए , जिससे आम जनता को आवश्यक जानकारी आसानी से मिल सके।

राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त श्री एम.के. राउत ने बुधवार को जिला पंचायत सरगुजा के सभाकक्ष में सूचना का अधिकार विषय पर आयोजित जन सूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय अधिकारी की एक दिवसीय कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम आम जनता की भलाई के लिए बनाया गया है।  जन सूचना अधिकार अधिनियम के नियमों और उनकी बारीकियों को समझ सकें, इसलिए इस कार्यशाला का आयोजन किया गया है। दस्तावेज शुल्क स्पष्ट रुप से उल्लेख करते हुए आवेदक को मांग पत्र भेजें और समय-सीमा में जानकारी उपलब्ध कराने का दायित्व जन सूचना अधिकारी का है।

मुख्य सूचना आयुक्त श्री एम.के. राउत ने कहा कि आवेदक को दस्तावेज के लिए शुल्क की मांग स्पष्ट रूप से उल्लेखित करते हुए भेजें, जिससे आवेदक से राशि जमा होने पर जानकारी प्रदाय की जा सके। आवेदन विभिन्न विषय से संबंधित है तब भी एक विषयवस्तु से संबंधित जानकारी ही देना है, शेष के लिए अलग-अलग आवेदन करने के लिए कहें। उन्होंने आवेदन अपने कार्यालय से संबंधित नहीं होने पर संबंधित विभाग या कार्यालय को धारा 6(3) के तहत आवेदन को अंतरित कर आवेदक को सूचित करने के लिए कहें। जन सूचना अधिकारी यह अवश्य ध्यान रखें कि आवेदक को समय-सीमा 30 दिवस के भीतर अनिवार्य रूप से आवेदक को जानकारी उपलब्ध कराई जा सके। जन सूचना अधिकारी द्वितीय अपील की सुनवाई के लिए जवाब जरूर दें और वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से भी अपना जवाब देंना सुनिश्चित करें। जन सूचना अधिकारी के द्वारा जवाब नहीं देने पर आयोग अंततः अर्थदण्ड या क्षतिपूर्ति देने आदेश दिया जाए।

      राज्य सूचना आयुक्त श्री ए.के. अग्रवाल ने कहा कि नागरिकों को शासकीय योजनाओं, कार्यक्रमों और कार्यों के बारे में जानकारी हासिल करने का अधिकार है। इसलिए शासकीय कार्यों और कार्यक्रमों को विभागीय वेबसाईट में प्रदर्शित किया जाए, ताकि आम नागरिक को सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन लगाने की जरूरत ही ना पड़े। प्रथम अपीलीय अधिकारी जो आदेश करते हैं, उनका पालन करने का दायित्व भी प्रथम अपीलीय अधिकारी का है। उन्होंने कहा कि प्रशासन को पूर्ण पारदर्शी बनाना सूचना का अधिकार का उद्देश्य है। प्रथम अपीलीय अधिकारी नियत समय पर अपना निर्णय दें और आदेश का क्रियान्वयन करायें ।

श्री अग्रवाल ने कहा कि जन सूचना अधिकारी का दायित्व है कि संबंधित आवेदक को समय-सीमा में जानकारी उपलब्ध करायें। समय-सीमा में जानकारी उपलब्ध कराने का प्रावधान है। इस प्रावधान पर विशेष बल देते हुए कहा कि प्रथम अपीलीय अधिकारी को अपने आदेश का पालन कराने की जिम्मेदारी है। यदि आदेश का पालन नहीं होता है तब आवेदक आयोग में द्वितीय अपील कर सकता है, अपीली के प्रकरण में सुनवाई दोनों पक्ष को अवसर देकर निष्पक्ष होकर निर्णय देना है। कभी-कभी जन सूचना अधिकारी को अर्थदण्ड अधिरोपित करने या क्षतिपूर्ति की राशि देने का प्रावधान है। इसके अलावा अनुशासनात्मक कार्यवाही करने के निर्देश भी संबंधित विभाग प्रमुख को अनुशंसा की जाती है ।  
कलेक्टर श्री कुन्दन कुमार ने कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत आम जन को सूचना पाने का  अधिकार है। जन सूचना अधिकारी का दायित्व है कि सूचना उचित रीति से प्रदान करें। उन्होंने सभी जन सूचना अधिकारी व प्रथम अपीलीय अधिकारियो को कार्यशाला में बताई गई बारीकियों के अनुसार पत्र का जवाब सही रीति से तय समय पर देने कहा।
 
     
छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग के संयुक्त संचालक श्री धनंजय राठौर ने कहा कि हर नागरिक को जानने का मौलिक अधिकार है। सूचना का अधिकार अधिनियम सरकार के कार्यों को पारदर्शी होना है। इसमें पहली कड़ी जन सूचना अधिकारी की है, इसलिए जन सूचना अधिकारी अधिनियम के तहत प्राप्त आवेदनों को स्वयं पढ़े, इससे गलती की संभावना कम होगी। इसमें जानकारी देने एवं समय-सीमा में शुल्क पर विशेष ध्यान रखना है। आवेदक को समय-सीमा के भीतर जानकारी दें अन्यथा निर्धारित समय-सीमा 30 दिन के बाद आवेदक को निःशुल्क जानकारी देनी होगी। जन सूचना अधिकारी को पूर्वाग्रह से भी बचना चाहिए। श्री राठौर ने कहा कि आवेदक को जानकारी देते समय जन सूचना अधिकारी का नाम, पदनाम का भी स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए। साथ ही आवेदक को प्रथम अपीलीय अधिकारी का नाम और पदनाम की भी जानकारी दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि आवेदक द्वारा चाही गई जानकारी आपके कार्यालय से संबंधित नहीं है, तो उसे संबंधित कार्यालय को 5 दिवस के भीतर अंतरित किया जाए।

      श्री राठौर ने जन सूचना अधिकारियों से कहा कि जब आवेदक सूचना का अधिकार के तहत आवेदन प्रस्तुत करता है, तो आवेदन पत्र को ध्यान से पढ़े, आवेदन पत्र में एक से अधिक विषय की जानकारी चाही गई है, तो केवल एक विषय की जानकारी आवेदक को दी जा सकती है। इसी तरह सशुल्क जानकारी देने की स्थिति पर शुल्क की गणना भी आवेदक को दी जाए और आवेदक द्वारा शुल्क जमा करने के पश्चात् ही वांछित जानकारी की फोटो कॉपी कराई जाए।

कार्यशाला में राज्य मुख्य सूचना आयुक्त और राज्य सूचना आयुक्त, संयुक्त संचालक ने जन सूचना अधिकारियों और प्रथम अपीलीय अधिकारी के प्रश्नों और शंकाओं का समाधान किया। पावर पाइंट प्रोजेक्टर के माध्यम से सूचना का अधिकार अधिनियम की जानकारी दी गई। इस एक दिवसीय कार्यशाला में जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री विनय कुमार लंगेह, वनमंडलाधिकारी श्री पंकज कमल, अपर कलेक्टर द्वय श्री ए.एल. ध्रुव व श्रीमती तनुजा सलाम सहित सहायक जन सूचना अधिकारी, जन सूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय अधिकारी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।