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105 घंटे बाद राहुल की सकुशल वापसी पर बोले सीएम बघेल पूरा छत्तीसगढ़ मना रहा है उत्सव

  रायपुर । 105 घंटों का समय, पांच सौ से अधिक लोगों का संघर्ष और करोड़ों लोगों की प्रार्थनाओं ने अंतत: रंग लाया। बालक राहुल साहू बोरबेल से ...

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रायपुर । 105 घंटों का समय, पांच सौ से अधिक लोगों का संघर्ष और करोड़ों लोगों की प्रार्थनाओं ने अंतत: रंग लाया। बालक राहुल साहू बोरबेल से बाहर निकल आया। राहुल को अभी सावधानीवश अस्पताल ले जाया गया है। इधर, पूरे प्रकरण में पल-पल की अपडेट ले रहे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राहुल को बहादुर बच्चा बताते हुए आपरेशन में शामिल पूरी टीम को बधाई देने के साथ धन्यवाद दिया है।

मुख्यमंत्री ने अपने ट्वीट में कहा कि आज पूरा छत्तीसगढ़ उत्सव मना रहा है। राहुल अस्पताल से जल्द पूरी तरह ठीक होकर लौटे, यही कामना है। मुख्यमंत्री के साथ छत्तीसगढ़ की राज्यपाल, विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत, स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव सहित शासन-पुलिस प्रशासन के अधिकारियों ने सभी को बधाईयां देते हुए बालक के स्वस्थ होने की मंगलकामना की है।

छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के अंतर्गत ग्राम पिहरीद में पिछले दिनों बोरवेल के गड्ढे में गिरे 10 साल के राहुल ने आखिरकार जिंदगी की जंग जीत ली। 105 घंटे तक लगातार चले रेस्क्यू के बाद मंगलवार की रात उसे सुरक्षित निकाल लिया गया। यह पल सभी के लिए खुशियों भरा था। बाहर आते ही उसे चिकित्सकों की निगरानी में एंबुलेंस से बिलासपुर के अपोलो अस्पताल रवाना कर दिया गया। इसके लिए दोपहर से ही ग्रीन कारिडोर बनाकर तैयारी कर ली गई थी। बोरवेल के गड्ढे में गिरे किसी बच्चे को बचाने के लिए इसे देश का सबसे बड़ा रेस्क्यू माना जा रहा है।

बता दें कि गत शुक्रवार को दोपहर करीब तीन बजे मालखरौदा ब्लाक के पिहरीद निवासी रामकुमार उर्फ लालाराम साहू का बेटा राहुल खेलते-खेलते बाड़ी में बने बोरवेल के खुले गड्ढे में गिर गया था। तब से उसे निकालने के लिए लगातार चले रेस्क्यू के बाद मंगलवार की रात 11.56 बजे उसे निकाल लिया गया। इस पूरे अभियान में राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ), गुजरात की रोबोटिक टीम, जिला प्रशासन, पुलिस के साथ ही अंत में सेना के जवानों ने निर्णायक भूमिका निभाई। राहुल को सकुशल निकालने के लिए चार पोकलेन, छह जेसीबी, तीन फायर ब्रिगेड, हाईड्रा मशीन, स्टोन ब्रेकर, 10 ट्रैक्टर, ड्रील मशीन, होरिजेंटल ट्रंक मेकर आदि लगाई गई थीं।