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कौन बाजी मारेगा खैरागढ़ उपचुनाव में, दोनों मुख्य राजनीतिक दलों में टिकट के दावेदारों की भारी भीड़

  रायपुर असल बात न्यूज़।।     00  विशेष प्रतिनिधि   00 अशोक त्रिपाठी छत्तीसगढ़ राज्य में राजनीतिक सरगर्मी फिर बढ़ रही है। यहां खैरागढ़ विधान...

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रायपुर

असल बात न्यूज़।। 

   00  विशेष प्रतिनिधि 

 00 अशोक त्रिपाठी

छत्तीसगढ़ राज्य में राजनीतिक सरगर्मी फिर बढ़ रही है। यहां खैरागढ़ विधानसभा का उपचुनाव होने जा रहा है। जाहिर है कि प्रदेश की एक विधानसभा सीट पर उपचुनाव हो रहा है तो इस चुनाव में जीत हासिल करने के लिए मुख्य राजनीतिक दलों के द्वारा पूरी ताकत झोंक देने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जाएगी। आने वाले दो-तीन दिनों के बाद पूरे प्रदेश भर के दलों के कार्यकर्ताओं का यहां जमावड़ा देखने को मिल सकता है। पूरे प्रदेश भर के राजनीतिक कार्यकर्ता इस विधानसभा क्षेत्र में पहुंचेंगे तो इससे अनुमान लगाया जा सकता कि यहां राजनीतिक सरगर्मी कितनी तेज,सरगर्म होने जा रही है। यह भी तय है कि इस उपचुनाव के परिणाम से दूर-दूर तक कई संदेश जाने वाले हैं।इस चुनाव के परिणाम से  कहीं ना कहीं इसकी भी झलक जरूर दिखेगी  कि मतदाता प्रदेश की सरकार के पक्ष में गए हैं अथवा विरोध में। मतदाताओ को प्रदेश सरकार का कामकाज पसंद आ रहा है और प्रदेश सरकार के कामकाज के पक्ष में  मुहर लगाई गई है अथवा विरोध में। दूसरी तरफ यह उपचुनाव  पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के गृह जिले में हो रहा है तो निश्चित रूप से भाजपाई खेमे की भी यहां बड़ी प्रतिष्ठा  दांव पर लगी रहेगी। 

 अभी उत्तर प्रदेश, पंजाब सहित पांच राज्यों में चुनाव संपन्न हुए हैं। यह चुनाव दूसरे राज्य में थे लेकिन चुनाव  के एक एक पल, छोटी-छोटी खबरों पर भी यहां के लोगों की बारीक नजर थी। वहां के प्रत्येक राजनीतिक घटनाक्रमों पर इस दौरान यहां बारीक नजर रखी जा रही थी। पहली बात तो  उत्तर प्रदेश और पंजाब से यहां के लाखों की संख्या में लोग वहां से सीधे जुड़े हुए हैं और इस आबादी का व्यापार, पारिवारिक रिश्तेदारी तथा दूसरे कामकाज के चलते हैं वहां निरंतर आना जाना भी लगा रहता है । ऐसे में इस वर्ग का वहां के राजनीतिक गतिविधियों से भी सीधे जुड़ाव बना रहा है। इसी का परिणाम रहा था कि चुनाव उत्तर प्रदेश और पंजाब में हो रहे थे लेकिन वहां की एक राजनीतिक हलचलो पर छत्तीसगढ़ की गलियों में भी चर्चाएं होती नजर आ रही थी। उसके साथ मुख्य राजनीतिक दलों ने वहां के चुनाव प्रचार प्रसार में छत्तीसगढ़ के नेताओं को भी बड़ी जिम्मेदारियां दी थी, जिसके चलते भी छत्तीसगढ़ के लिए उन चुनाव का महत्व बढ़ गया था। उत्तर प्रदेश की जीत पर छत्तीसगढ़ में भी जमकर खुशियां मनाई गई और जहां हार का सामना करना पड़ा वहां निराशा भी देखने को मिली।  

वे चुनाव तो निपट गए। उन पांच राज्यों के चुनाव परिणाम जो कुछ भी रहा, उसको भूला कर,अलग कर छत्तीसगढ़ के राजनीतिक दलों के द्वारा खैरागढ़ उपचुनाव के लिए कमर कसी  जा रही है। खैरागढ़ उपचुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। अभी सबसे बड़े त्यौहार होली पर्व की वजह से राजनीतिक गलियारे में राजनीतिक सन्नाटा पसरा नजर आ रहा है लेकिन दो दिन बाद से ही यह सन्नाटा टूटकर राजनीतिक सरगर्मी में उफान आने की संभावना है। छत्तीसगढ़ में 15 वर्षों के बाद कांग्रेस की सरकार बनने के बाद इसमें तीन वर्षों में अभी तक एक उपचुनाव हुआ है। बस्तर संभाग की इस लोकसभा सीट के उपचुनाव में आम मतदाताओं ने कांग्रेस पर ही भरोसा जताया हैं और कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में दीपक बैज को जीत दिलाई। ऐसे में माना जा रहा है कि खैरागढ़ उपचुनाव में भाजपा के लिए बड़ी चुनौती बनी रहेगी।

 खैरागढ़ उपचुनाव  में अभी प्रदेश में निश्चित रूप से सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी और भारतीय जनता पार्टी की बड़ी प्रतिष्ठा दांव पर लगी रहेगी लेकिन मजे की बात है कि आम विधानसभा चुनाव में यहां इन दोनों मुख्य राजनीतिक दलों को हार का सामना करना पड़ा था। तब वहां विधानसभा चुनाव में  जोगी कांग्रेस के प्रत्याशी देवव्रत सिंह ने जीत हासिल की थी। देवव्रत सिंह  कांग्रेस से लंबे समय से जुड़े रहे थे और उन्होंने यहां से लोकसभा सीट पर भी जीत हासिल की थी लेकिन तथाकथित उपेक्षा और नाराजगी के चलते वे जोगी कांग्रेस से जुड़ गए और विधानसभा चुनाव में यहां से जनता का फिर से विश्वास प्राप्त किया और जीत हासिल की। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी है लेकिन तब उस लहर के दौर में भी यहां से कांग्रेस के  साथ भाजपा के प्रत्याशी जीत हासिल नहीं कर सके थे। कांग्रेस प्रत्याशी गिरवर जंगल को तो तब तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा था। असल में इस क्षेत्र में राज परिवार का काफी प्रभाव रहा है और पिछले दो-तीन चुनाव को छोड़कर यहां से राज परिवार के लोग ही लगातार चुनाव जीतते आए हैं। 

अभी टिकट वितरण का दौर चल रहा है। 25 मार्च तक नामांकन भरे जाने हैं। मुख्य राजनीतिक दलों ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा अभी नहीं की है। दोनों मुख्य राजनीतिक दलों कांग्रेस और भाजपा में टिकट की दावेदारी के लिए लंबी लाइन दिख रही है। कई नए चेहरे भी टिकट के लिए दावेदारी करते नजर आ रहे हैं। जनता कांग्रेस याने जोगी कांग्रेस इस चुनाव के लिए निश्चित रूप से खड़ी तैयारी कर रही हैं। यह कहा जा सकता है कि यह उपचुनाव निश्चित रूप से जोगी कांग्रेस के लिए बड़े परीक्षा की घड़ी है। इस राजनीतिक दल के प्रवर्तक और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के देहावसान के बाद यह पहला चुनाव होने जा रहा है। इस चुनाव में जोगी कांग्रेस के नेताओ और कार्यकर्ताओं की परीक्षा की घड़ी रहेगी कि वह संगठन के साथ कितने समर्पित तरीके से अभी भी जुड़े हुए हैं। आम विधानसभा चुनाव में जोगी कांग्रेस का प्रदर्शन आशाजनक ही रहा था। उसके सात से अधिक उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। राजनीतिक विश्लेषकों की नजर इस पर लगी रहेगी कि नई कठिन परिस्थितियों में यह पार्टी किस तरह का चमत्कारिक प्रदर्शन कर पाती है। इससे इस पार्टी के भविष्य का रास्ता भी तय होता नजर आ सकता है। 

प्रदेश भाजपा में भी कई अवसरों पर आपसी गुटबाजी और खींचातानी बार बार नजर आई है। कुछ बेफिजूल के मुद्दे को उठाकर पार्टी में नई लाइन खींचने की कोशिश की गई है। खैरागढ़ विधानसभा क्षेत्र पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के गृह जिले के अंतर्गत आता है। ऐसे में राजनीतिक विश्लेषकों की नजर इस ओर भी लगी रहेगी कि पार्टियां कितनी क्षमता के साथ एकजुट होकर काम कर अपना बेहतर प्रदर्शन करेगी। छत्तीसगढ़ में कुछ महीने पहले नगर निगम के बड़े चुनाव हुए हैं जिसमें भाजपा को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है।


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