दुर्ग, पाटन। असल बात न्यूज़। 0 विशेष संवाददाता 0 Field Report. Covid-19 के संक्रमण से बचाव के लिए लगाए जा रहे वैक्सीनेशन टीका लगाने,...
दुर्ग, पाटन। असल बात न्यूज़।
0 विशेष संवाददाता
0 Field Report.
Covid-19 के संक्रमण से बचाव के लिए लगाए जा रहे वैक्सीनेशन टीका लगाने, भले ही व्यापक तौर पर प्रचार प्रसार किया जा रहा है और सरकारी तंत्र के द्वारा लोगों से अनिवार्य रूप से वैक्सीनेशन कराने की अपील की जा रही है लेकिन फील्ड में जो स्थिति है अभी भी लग रहा है कि वैक्सीनेशन को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति है। लोगों में हिचक बनी हुई है।लोगों के मन में अनजाना डर बना हुआ है कि वैक्सीनेशन से उन्हें नुकसान पहुंच सकता है। ऐसे हालात ग्रामीण इलाकों के साथ शहरी इलाकों में भी फील्ड में दिख रहे हैं। विभिन्न समाजसेवी संगठन, सरकारी तंत्र के लोग, लोगों से वैक्सीनेशन कराने की अपील करने उनके घर तक पहुंच रहे हैं तो उन्हें कई सारे सवालों से भी जूझना पड़ रहा है। ये सवाल ऐसे होते हैं जिनका जवाब दे पाना मुश्किल ही होता है। लोग यह भी पूछ लेते हैं कि वैक्सीनेशन कराने पर बीमार पड़ जाएंगे तो जिम्मेदारी लोगे क्या ? निश्चित रूप से यह सवाल असमंजस पूर्ण है और ऐसे सवालों का जवाब देना शायद ही किसी के लिए आसान होगा।
ज्यादातर इलाकों से ऐसी खबरें आ रही है कि 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोग स्वयं होकर वैक्सीनेशन करा ने आगे आ रहे हैं। 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में भी वैक्सीनेशन को लेकर उत्सुकता और जागरूकता दिख रही है। प्रत्येक इलाकों में इन वर्गों के लोगों का वैक्सीनेशन कराने का प्रतिशत भी बहुत अधिक दिख रहा है। लेकिन 45 से 60 वर्ष तक की आयु वर्ग के लोगों में वैक्सीनेशन को लेकर अभी भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। इस वर्ग के लोगों में वैक्सीनेशन को लेकर डर बना हुआ नजर आ रहा है। वैक्सीनेशन को लेकर लोगों को जागरूक करने में लगे विभिन्न संगठनों के लोगों ने बताया कि इस वर्ग के लोगों के द्वारा ऐसे सवाल पूछे जाते हैं जिनका जवाब हमारे पास नहीं है। इस वर्ग के लोगों को अभी भी ऐसा लगता है कि वैक्सीनेशन से उन्हें नुकसान हो सकता है। हम उन्हें बताते हैं कि वैक्सीनेशन कहीं नुकसानदायक नहीं है। यह कोरोना वायरस के संक्रमण से जिंदगी बचाने वाला है। इससे जिंदगी सुरक्षित होगी। लेकिन अभी भी लोगों को समझाने के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत है।उन में जो हिचक है उसे दूर करने के लिए अभी भी बहुत कुछ करना होगा।
असल में वास्तविकता यह है कि कोरोना की दूसरी लहर का आगमन उसी समय हुआ जब देश में 45 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लोगों के लिए वैक्सीनेशन शुरू हो रहा था। कोरोना की दूसरी लहर में हर जगह भयानक तबाही मचाई है। इसी दौरान कई लोगों ने वैक्सीनेशन कराया और उसके बाद वह बीमार भी पड़ गए। किसी को समझ में नहीं आया कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है। लेकिन लोगों में एक डर व्याप्त हो गया। कई तरह की अफवाहें फैल गई। मन में वैक्सीनेशन कराने को एक संकोच की स्थिति पैदा हो गई।लोगों के मन में यहां पर डर व्याप्त हो गया कि वैक्सीनेशन शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है। यह भी कहा जा रहा है कि यह जो असमंजस की स्थिति निर्मित हुई,जो अफवाहें फैली, जो भ्रम की स्थिति पैदा हुई, उसको दूर करने के लिए किसी तंत्र के द्वारा बहुत कुछ नहीं किया गया। और यह स्थितियां ज्यादातर इलाकों में आज भी जस की तस निर्मित है।
फील्ड से जो रिपोर्ट आ रही है उसके अनुसार 45 से 60 वर्ष की आयु के लोगों में वैक्सीनेशन को लेकर हिचक के कई कारण हो सकते हैं।स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी मानते हैं कि इस आयु वर्ग के लोग कई तरह की बीमारियों से घिर जाते हैं। अभी शुगर, कमजोरी, ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियां इस आयु वर्ग के लोगों को बहुत अधिक घेर ले रही हैं। वही कैंसर, दमा जैसी बीमारियों से भी इस आयु वर्ग के लोग घिर जाते हैं। ऐसे में उनके मन में यह डर पैदा हो सकता है कि वैक्सीनेशन के बाद उनकी बीमारी कहीं घातक रूप ना ले ले। कोरोना की दूसरी लहर में इस आयु वर्ग के लोगों की बहुत अधिक जाने चली गई है। इनमें से ढेर सारी लोगों ने वैक्सीनेशन भी कराया था। जिसके बाद ऐसी अफवाह फैलती गई कि वैक्सीनेशन से लोगों को नुकसान पहुंच रहा है।
ऐसे हालात में सरकारी तंत्र तथा समाजसेवी संगठनों के समक्ष बड़ीचुनौती है कि वे इस आयु वर्ग के लोगों को एक सजेशन के लिए कैसे प्रेरित करें। आम लोगों को यह विश्वास दिलाना जरूरी हो गया है कि वैक्सीनेशन किसी भी तरह से सभी के लिए नुकसानदायक नहीं है। वैक्सीनेशन से उनकी जिंदगी को सुरक्षा मिलेगी।
दुर्ग जिले के पाटन विकासखंड में भी इसी तरह की रिपोर्ट आ रही हैं। यहां भी 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों ने वेरिफिकेशन कराने में दिलचस्पी दिखाई है और इस आयु वर्ग के लगभग 80 लोगों ने अब तक vaccination करा लिया है। 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के युवा भी vaccination के लिए लगातार आगे आ रहे हैं। इनके वैक्सीनेशन कराने का प्रतिशत भी काफी बढ़ गया है। लेकिन इस विकासखंड में भी 45 वर्ष से 60 वर्ष तक की आयु वर्ग के लोगों के वैक्सीनेशन कराने का प्रतिशत अभी भी काफी कम है।
ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को वैक्सीनेशन के लिए प्रेरित करने गांव गांव में घूम रहे एक कार्यकर्ता ने बताया कि हम vaccination की बात करते हैं तो लोग ऐसे सवाल पूछते हैं जिनका जवाब हमारे पास नहीं है। लोगों में यह तक पूछा- हम बीमार पड़ जाएंगे, तो उसकी जिम्मेदारी लोगे क्या। ऐसे सवालों का कौन सा दे सकता है।
अधिकृत सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार पाटन विकासखंड के कुछ गांवो से अच्छी खबर भी आ रही है। इन गांव में 45 से 60 वर्ष की आयु के लोगों ने अधिकाधिक वैक्सीनेशन करा लिया है। इनमें आंधी गांव में इस आयु वर्ग के 452 लोगों को चिन्हित किया है गया है जिसमें से सभी लोगों के vaccine लगा लेने की जानकारी मिली है। इसी तरह से तर्रा गांव में 95% लोगों ने vaccine लगा लिया है।पहला झा में 402 लोगों को चिन्हित किया गया है जिसमें से 396 लोगों ने वैक्सीन का पहला डोज लगवा लिया है।