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" दुर्ग जिला' तो कतई नहीं चाहेगा राज्य में कोई " बदलाव '

  रायपुर, दुर्ग। असल बात न्यूज़। 0   अशोक त्रिपाठी  कई तरह की अटकलें लगाई जा रही है। कई तरह की खबरें आ रही है। राजनीतिक गलियारे में भी धमाचौ...

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रायपुर, दुर्ग। असल बात न्यूज़।

0  अशोक त्रिपाठी 

कई तरह की अटकलें लगाई जा रही है। कई तरह की खबरें आ रही है। राजनीतिक गलियारे में भी धमाचौकड़ी मची हुई है। पूरे प्रदेश में चारों तरफ इस सवाल पर  ज्यादा अटकलबाजिया, लगाई जाती नजर आ रही है, चर्चाएं हो रही है कि    आगामी 17 जून को प्रदेश की राजनीति में क्या कुछ नया होने जा रहा है। क्या कुछ परिवर्तन, बदलाव  हो सकता है ? बदलाव होगा तो उसका स्वरूप कैसा होगा ? और क्या जैसे की खबरें चल रही हैं वैसा ही बदलाव देखने में आ सकता है ? लोगों में इन तमाम सवालों का जवाब जानने के बारे में बहुत अधिक उत्सुकता है । दुर्ग जिले में भी लोगों में ऐसी ही खबरों के बारे में जानने को लेकर बहुत अधिक उत्सुकता, बेचैनी बनी हुई है और इस तरह की प्रत्येक खबर पर लोगों का दिल धड़कने लगता है। स्वाभाविक है कि मुख्यमंत्री दुर्ग जिले से हैं तो ऐसे में इस जिले के लोगों को उनसे बहुत अधिक उम्मीदें भी हैं तो इस तरह की प्रत्येक खबरों पर यहां के लोगों की एक बारीक नजर होना स्वाभाविक भी है।  असल में यह सब खबरें,उन अटकलो, कयासों, उन खबर से जुड़ी हुई है जिसमें प्रदेश में नई सरकार बनने के दौरान से ही कहा, बताया जा रहा है कि नई सरकार में मुख्यमंत्री ढाई- ढाई साल के होंगे। इस तरह से राज्य में 5 साल में 2 लोगों को मुख्यमंत्री बनने का मौका मिलेगा।अब वह ढाई साल 17 जून को पूरा होने होने जा रहा है। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार के ढाई साल पूरे होने जा रहे हैं। यह समय नजदीक आते जाने के साथ उस खबर पर कयासों का दौर तेज हो गया है कि उस खबर में आखिर कुछ सच्चाई है कि नहीं ? कुछ दम है कि नहीं और उस खबर के अनुरूप क्या कुछ होने जा रहा है या हो सकता है ? अथवा ऐसी खबर सिर्फ कोरे अफवाह के तौर पर उड़ा दी गई। लोगों की नजर दिल्ली की ओर लगी हुई है।लोग यह भी जानना चाहते हैं कि इस मुद्दे को लेकर क्या दिल्ली में भी कुछ सरगर्मी  है अथवा नहीं। इस विषय पर क्या वहां भी कुछ चल रहा है ? कुछ हो रहा है? ऐसी अटकलों, कयासों के बीच हमारे पास भीतर खाने से को  खबर आ रही है उसके अनुसार बदलाव की ऐसी खबरें हवा हवाई ही अधिक है। अंदर से इस तरह की खबरों में कोई अधिक दम नहीं है।

दुर्ग जिले के लोग ताजा हालात में क्षेत्र विकास की अधिक उम्मीद कर रहे हैं । जिले के लोगों को लग रहा है कि चालू 5 वर्षों के दौरान इस पूरे जिले में विकास का एक नया इतिहास रचा जाएगा।जो समस्याएं  वर्षों से बनी हुई है उसका निराकरण होगा।पिछले चुनाव में प्रदेश में मतदाताओं ने बदलाव के लिए वोट दिया, परिवर्तन करने के लिए मतदान किया और प्रदेश में कांग्रेस को सरकार बनाने का मौका मिला है। मतदाताओं ने कांग्रेस को पूर्ण बहुमत दिया है।अब राज्य में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस की प्रदेश सरकार को ढाई साल पूर्ण होने जा रहे हैं।इस दौरान राज्य सरकार ने अपने मिशन, अपने वालों के अनुरूप ढेर सारे काम करने की कोशिश की है। प्रदेश सरकार का इस ढाई साल में बड़ा समय कोरोना संकट से जूझने में बीत गया । अभी यह त्रासदी खत्म नहीं हुई है। इस दौरान जो हाहाकार मचा है, और संकट के चलते जो विसंगतियां पैदा हुई है उससे निपटना राज्य सरकार के लिए अभी भी बड़ी चुनौती बनी हुई है। यह कहा जा रहा है कि भूपेश बघेल के सरकार ने राज्य में कई मामलों में संतुलन बनाने की कोशिश की है। मंत्रियों को अपने-अपने विभागों में फ्री हैंड काम करने का मौका दिया गया है। निगम, बोर्ड, मंडल तथा उपक्रमों में बड़े पैमाने पर नियुक्ति करते हुए वरिष्ठ पदाधिकारियों को संतुष्ट करने की कोशिश की गई है। राज्य सरकार ने अपने वादे के अनुरूप किसानों को धान पर बोनस देने तथा बिजली बिल माफ करने की योजना पर काम किया है।ये योजनाएं आम जनमानस को अत्यधिक प्रभावित करने वाली साबित हुई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नई सोच के अनुरूप ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए प्रारंभ से ही काम करना शुरू किया। नरवा गरवा घुरवा बाड़ी योजना ने इस दौरान नया आकार लिया है। प्रत्येक गांव में गौठानों का निर्माण होने से पशुओं की सुरक्षा और रखरखाव की जो समस्या थी उसका निराकरण होता नजर आ रहा है। वही जैविक खाद निर्माण की योजना को भी काफी मजबूती मिली है तथा ग्रामीण चरवाहों को काम मिला है। राज्य में हालांकि शिक्षित बेरोजगारों को रोजगार देने की समस्या अभी भी गंभीर रूप से बनी हुई है लेकिन यह माना जाता है कि ऐसी समस्याओं का एक दिन में नहीं निकल सकता।

 परिवर्तन की बात पर जो चर्चाएं हो रही है जो कयास लगाए जा रहे हैं , उस पर दुर्ग जिले में सबसे अधिक हलचल मची दिख रही है। दुर्ग जिले के लोग इस बारे में सही खबरों को जानने के लिए बैचेन हैं उत्सुक हैं। एक तरह से ऐसी प्रत्येक खबर पर यह लोग बारीकी से नजर रख रहे हैं। असल में दुर्ग जिला छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद से सर्वाधिक पिछड़ा, उपेक्षित जिला बना रहा  है। औद्योगिक नगर और एजुकेशन हब के रूप में अपनी पहचान रखने वाले इस जिले में अपनी कई सारी पहचान खो दी। अविभाजित मध्यप्रदेश के समय पूरे मध्यप्रदेश के लोग अपने बच्चों की दुर्ग जिले में ही पढ़ाई करना चाहते थे,उन्हें उनके अच्छे संस्कार विकास के लिए यही रखना चाहते थे। स्वास्थ्य सुविधा के लिए पूरे प्रदेश से लोग यही आते थे । दुर्ग जिले से धीरे-धीरे यह सब छिन गया। प्रदेश में रायगढ़ जांजगीर चांपा कोरबा जैसे शहर औद्योगिक विकास के मामले दुर्ग जिले से काफी आगे हो गए। स्वास्थ्य सुविधा के मामले में दुर्ग जिला राजधानी रायपुर बिलासपुर से काफी पिछड़ गया है। इस जिले में जो कभी स्वास्थ्य सुविधा के मामले में प्रदेश की शान था, उस जिले के तमाम शहरों में पिछले 10 वर्षों से पीलिया हैजा मलेरिया जैसी संक्रामक बीमारियों से हर साल 200-300 लोगों की मौत होने लगी है। अभी कोरोना संकट के समय में लोगों ने यहां के मरीजों को इलाज के लिए एक शहर से दूसरे शहर भटकते और दम तोड़ देखा है। इस जिले से हर साल हजारों शिक्षित  इंजीनियर, तकनीशियन, स्नातकोत्तर डिग्री धारी निकलते हैं और उन्हें रोजगार के लिए सिर्फ भटकना पड़ रहा है। दुर्ग जिले में पिछले 15 वर्षों के दौरान कोई भी नया उद्योग, व्यवसाय, प्रतिष्ठान विकसित नहीं किया गया जहां की स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार मिल सके। वे अपना स्वरोजगार स्थापित कर सकें। दुर्ग जिले से मुख्यमंत्री बन ने  से स्वाभाविक तौर पर इस जिले को विकास करने का मौका मिला है। इस जिले को उस रास्ते पर आगे बढ़ने का मौका मिला है जो वास्तव में इसकी खूबियां थी। जो इसकी पहचान थी। अभी इस दिशा में कुछ काम करने की शुरुआत हुई है। और बहुत कुछ किया जाना शेष है। इस जिले की जमीन को अतिक्रमण करियों से बचाने की भी जरूरत है। ये सब काम होने  यहां अभी शेष  हैं। ऐसे में किसी भी तरह के बदलाव पर हो रही चर्चाएं, अटकलबा जियां यहां के लोगों को विचलित कर देने  वाली हैं। उद्येलित कर देने वाली है।

राजनीतिक तौर पर भले ही विरोध होता हो या हो रहा हो या किया जाएगा लेकिन प्रदेश की सरकार का कुछ मुद्दों को छोड़कर कहीं अधिक विरोध नहीं है। अवैध शराब के जो मामले आए हैं, रेती, मुरूम के अवैध उत्खनन की बात हो, ऐसे मुद्दे को लेकर आम जनता में कुछ नाराजगी जरूर देखी  है लेकिन दूसरे कई कार्यो की सराहना भी हुई है। कोई भी राजनीतिक दल फिलहाल प्रदेश सरकार का बहुत अधिक विरोध करने के मूड में नजर नहीं नजर आया  है। व्यावहारिक  कार्य प्रणाली, सबको साथ लेकर चलने की नीति तथा सीधे संवाद से सरकार ने आम जनता के बीच अपनी अलग पहचान बनाने कोशिश की है।

प्रदेश में कांग्रेस सरकार है। Congress में सारे निर्णय हमेशा ऊपर से लिए जाते रहे हैं। दिल्ली से क्या कुछ निर्णय होगा इस बारे में छत्तीसगढ़ में बैठकर कहना उचित नहीं कहा जा सकता। लेकिन लोगों के मन में यह भावना है कि कांग्रेस को जनता ने मतदाताओं ने पूर्ण बहुमत दिया है। प्रदेश की सरकार ठीक-ठाक चलनी चाहिए। कहीं कोई बगावत विद्रोह की नौबत नहीं होनी चाहिए। सब कुछ ठीक-ठाक है तो अनावश्यक शिगुफेबाजी को अधिक हवा नहीं दी जानी चाहिए।वैसे यह हकीकत है कि सत्ता में आने के बाद कई तरह की विसंगतियां पैदा हो जाती है। सत्ता के चलते कई लोगों को मोटा काला चश्मा लगाए बिना कुछ नजर नहीं आता। यह समस्याएं,  हर काल, हर पार्टी की सरकार में नजर आती हैं।यहीं से जनता और सत्ता के बीच टकराव की नौबत आने लगती है। लेकिन समय के साथ ऐसी समस्या से निपटा जा सकता है। दुर्ग जिले को बहुत आगे बढ़ना है। दुर्ग जिला हमेशा प्रगतिशील बना रहा है।अभी तो शुरुआत हुई है, जैसे काम की उम्मीद है, जिस तरह का विकास होना चाहिए उसके लिए दुर्ग जिला  तो राज्य में फिलहाल तो कोई बदलाव अभी तो कतई नहीं चाहेगा। अथवा इसके लिए तैयार नहीं ही होगा।



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