नई दिल्ली। असल बात न्यूज। देश में पिछड़ा राज्य माने जाने वाले बिहार प्रदेश से पहले लीची निर्यात की गई है, उसके बाद कटहल निर्यात किया गया।...
नई दिल्ली। असल बात न्यूज।
देश में पिछड़ा राज्य माने जाने वाले बिहार प्रदेश से पहले लीची निर्यात की गई है, उसके बाद कटहल निर्यात किया गया। और अब जर्दालू आम, बड़े पैमाने पर यूनाइटेड किंगडम को निर्यात किया गया है। इन चीजों का निर्यात करने से बिहार को बड़े पैमाने पर विदेशी मुद्रा की प्राप्ति हो रही है।
अनूठी सुगंध और स्वाद के फ्लस्वरूप बिहार के भागलपुर जिले के जरदालू आमों को 2018 में जीआई प्रमाणन हासिल हुआ है।इसी के चलते ऐसे आमों की विदेशों में मांग लगातार बढ़ती जा रही है।भारत में आम को 'फलों का राजा' भी कहा जाता है और प्राचीन शास्त्रों में इसे कल्पवृक्ष (इच्छित फल देने वाला पेड़) कहा जाता है। भारत के ज्यादातर राज्यों में आम के बागान होते हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक के आमों की अपनी अलग खास महक स्वाद और गुणवत्ता होती है। इन इलाकों में आमों का उत्पादन भी बड़े पैमाने पर होता है आमों का प्रसंस्करण एपिडा पंजीकृत पैकहाउस केंद्रों में किया जाता है और फिर उन्हें मध्य-पूर्व, यूरोपीय संघ, यूएसए, जापान और दक्षिण कोरिया सहित विभिन्न क्षेत्रों व देशों को निर्यात किया जाता है।
देश के पूर्वी क्षेत्र में कृषि-उत्पादों के निर्यात की संभावनाये लगातार बढ़ती जा रही है। भागलपुर, बिहार से जिओग्राफिककल इंडिकेशन (जीआई) प्रमाणित जरदालू आमों की पहली खेप को यूनाइटेड किंगडम के लिए निर्यात किया गया।
बहरीन में भी भारतीय आमो की बहुत अधिक मांग है है जहां तीन जीआई प्रमाणित खीरसपाती और लक्ष्मणभोग (पश्चिम बंगाल) और जलदालू (बिहार) सहित आम की 16 किस्मों का आयातक अल जजीरा समूह के सुपर स्टोरों में प्रदर्शन किया गया। देश में एपिडा आम के निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए वर्चुओल खरीदार-विक्रेता बैठक और महोत्सव का आयोजन करता रहा है। एपिडा ने हाल में भारतीय दूतावासों के साथ मिलकर बर्लिन, जर्मनी के साथ ही जापान में आम महोत्सव का आयोजन किया था।
इसके पहले दक्षिण कोरिया को भी आमों का निर्यात किया गया है जिसे तिरुपति, आंध्र प्रदेश स्थित एपिडा द्वारा सहायता प्राप्त और पंजीकृत भाप आधारित ट्रीटमेंट फैसिलिटी पैकहाउस से उपचारित और साफ आपूर्ति की गई। वहीं इफ्को किसान सेज (आईकेएसईजेड) द्वारा इसका निर्यात किया गया। यह आईकेएसईजेड द्वारा निर्यात की गई पहली कन्साइनमेंट है, जो 36,000 समितियों की सदस्यता वाली कई राज्यों में सक्रिय सहकारी संस्था इफ्को की एक सहायक है।
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