कोविड एवं अन्य मामलों में पिछले महीने के भीतर दुर्ग जिले में 300 से अधिक किसानों की मौत हुई है। मृत किसानों के परिजनों ने  फौती उठाने के लिए आवेदन किया हैं। अभी उन्हें प्रक्रिया में देरी होने कारण भटकना पड़ रहा है।वैसे जिले के कलेक्टर ने ऐसे मामलों में प्रक्रिया अनुसार शीघ्रता शीघ्र हल निकालने को कहा है ताकि किसानों को खाद बीज लेने में किसी तरह की दिक्कत ना हो।  लॉकडाउन की वजह से तहसीलों का कार्य प्रभावित हुआ है। 

नामांतरणपट्टे तथा त्रुटि सुधार संबंधी सभी आवेदनों पर प्रमुखता से कार्य करने तथा रजिस्ट्री प्रक्रिया को स्ट्रीमलाइन करने को कहा गया है। गिरदावरी का काम अभी शुरू होग। गिरदावरी से आने वाले आंकड़े से खेती किसानी के बारे में अहम जानकारी प्रशासन को उपलब्ध होती है।  रिकॉर्ड दुरुस्ती का काम भी बेहद अहम कार्य है। 

कई बार कागजों में जो योजनाएं बनती है धरातल पर ऐसा हो नहीं पाता। छत्तीसगढ़ कृषि प्रधान राज्य है। कृषि के क्षेत्र में यहां आगे बढ़ने की बहुत अधिक संभावना है। लेकिन पिछले 10-15 वर्षों के दौरान यहां कृषि भूमि को औद्योगिक, व्यापारिक, व्यवसाय के उपयोग के लिए बेचने का सिलसिला बढ़ गया  है। किसान अपनी कृषि भूमि को  बेच दे रहे हैं। उन्हें कृषि कार्य में अधिक फायदा नजर नहीं आता। जमीन बेच देने से उन्हें तात्कालिक तौर पर मोटी रकम मिल जाती है। हालांकि कृषि जमीन कृषि भूमि उनके हाथ से छिन जाती है।छत्तीसगढ़ दलहन और तिलहन का बड़ा उत्पादक प्रदेश बन सकता है। इस दिशा में  किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए व्यावहारिक तौर पर जमीनी स्तर पर कदम उठाए जाने चाहिए। ज्यादातर योजनाएं किसानों तक पहुंच ही नहीं पाती। ऐसे ही हालात रहे तो सारी योजनाएं जहां है वहीं दम तोड़ देने वाली है।



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