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राज्यसभा सांसद श्रीमती फूलों देवी नेताम ने छत्तीसगढ़ी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने का मुद्दा उठाया

  संसद में शून्य काल में उठाया  मुद्दा - राज्यसभा सांसद श्रीमती फूलों देवी नेताम ने छत्तीसगढ़ी भाषा के विकास के लिए इसे संविधान मे जोड़ना अव...

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संसद में शून्य काल में उठाया  मुद्दा - राज्यसभा सांसद श्रीमती फूलों देवी नेताम ने छत्तीसगढ़ी भाषा के विकास के लिए इसे संविधान मे जोड़ना अवश्य बताया


 सांसद फूलन देवी नेताम ने सदन में बोलते हुए कहा कि वह  सवा तीन करोड छत्तीसगढी लोगों की मांग को यहां सभी के समक्ष रखना चाहती हूँ। छत्तीसगढी भाषा का इतिहास बहुत गौरवशाली रहा है। रामचरित मानस में भी छत्तीसगढ़ी के शब्द मिलते हैं जैसे बाल काण्ड में माखी, सोवत, जरहि, बिकार किष्किन्धाकाण्ड में पखवारा, लराई, बरसा सुन्दरकाण्ड में सोरह, आंगी, मुंदरी आदि छत्तीसगढ़ी शब्द हैं। इसके बाद हमारे लेखकों ने भी छत्तीसगढी भाषा में कविताऐं, नाटक, निबंध, शोध-ग्रंथ लिखकर इस भाषा को बढावा देने का प्रयास किया है। लेकिन छत्तीसगढी भाषा के विकास के लिए आवश्यक है कि इसे संविधान की आठवीं अनुसूची में जोडा जाए।



 उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ विधानसभा द्वारा छत्तीसगढी भाषा को केन्द्र की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए शासकीय संकल्प को पिछले दिनों बहुमत से पारित कर दिया गया है। हम छत्तीसगढी अस्मिता को बढा रहे हैं। छत्तीसगढ सरकार द्वारा काम-काज में छत्तीसगढी भाषा का उपयोग किया जा रहा है। हर विभाग में अधिकारियों, कर्मचारियों द्वारा।