Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Pages

Classic Header

{fbt_classic_header}

Top Ad

ब्रेकिंग :

latest

Breaking News

Automatic Slideshow


दुर्ग जिले के मर्रा गांव में कड़ी मेहनत से तैयार हो रही कृषि महाविद्यालय की भूमि

कृषि कालेज का साल पूरा, पहले बैच ने पूरी की पहले साल की पढ़ाई मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के शिक्षक ने कहा कि मुख्यमंत्री ने मर्रा में कृषि म...

Also Read


कृषि कालेज का साल पूरा, पहले बैच ने पूरी की पहले साल की पढ़ाई

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के शिक्षक ने कहा कि मुख्यमंत्री ने मर्रा में कृषि महाविद्यालय आरंभ कर गुरु दक्षिणा दे दी

 इस बार शतप्रतिशत रिजल्ट, अब 48 छात्रों को मिलेगा प्रवेश

दुर्ग । असल बात न्यूज़।

 दुर्ग जिले  केपहले सरकारी कृषि कालेज की सौगात मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने पिछले साल इसी दिन दी थी। पाटन की समृद्ध धरा में प्रगतिशील किसानों की नई पीढ़ी को आगे बढ़ाने, कृषि के क्षेत्र में हुनरमंद युवाओं को अवसर देने मुख्यमंत्री ने मर्रा में महाविद्यालय आरंभ करने का निर्णय लिया था। एक साल के भीतर महाविद्यालय की छोटी सी टीम ने इसका स्वरूप निखारने में कड़ी मेहनत की है। राज्य शासन ने यहां आधुनिक कृषि महाविद्यालय के लिए 87 एकड़ भूमि हस्तांतरित की। इसमें 72 एकड़ में भूमि अनुदेशक प्रक्षेत्र बनाने का निर्णय लिया गया। कृषि की पढ़ाई कमरों से अधिक फील्ड में होती है। इसके लिए फील्ड के आकार का चयन, फिर इसे तकनीकी जरूरतों के अनुरूप विकसित करने का जतन इस साल भर में हुआ। प्रोफेसर छात्रों के साथ अध्यापन कक्षों में रहे, फिर मर्रा के किसानों की भूमि में उन्हें ले गए। यहां उन्होंने फील्ड में पढ़ाई कराई। फिर बचे समय में वे भूमि अनुदेशक प्रक्षेत्र में आए, जिसे विकसित करना था। यहां मनरेगा मजदूरों के माध्यम से प्रक्षेत्र विकसित कराया गया। साढ़े सात सौ मजदूरों को जो मर्रा, आमालोरी और गुढ़ियारी के थे, उन्हें लाकडाउन के दौरान भी रोजगार मिला। महाविद्यालय के बुनियाद खड़ी करने में डीन डाॅ. अजय वर्मा का बड़ा योगदान रहा। उन्होंने अपनी टीम के साथ अनुदेशक प्रक्षेत्र में साल भर कड़ी मेहनत की। प्रोफेसर धूप में पूरा दिन खड़े रहकर काम का निरीक्षण करते रहे और अनुदेशक क्षेत्र की जमीन निखरती रही। जब कृषि महाविद्यालय बनता है तो अकादमिक आयोजन भी होते हैं जिसमें  विशेषज्ञ हिस्सा लेते हैं।  डाॅ. अजय वर्मा ने बताया कि यहां राज्य स्तरीय कृषि मेले का आयोजन किया गया। इसमें लगभग 500 किसानों ने हिस्सेदारी की। ऐसे आयोजन खेती को समझने, दूसरों के अनुभव का लाभ लेने और खेती में आये बदलावों को जानने-समझने के लिए बहुत उपयोगी होते हैं। लाकडाउन के दौरान भी पढ़ाई में किसी तरह की बाधा न आये, इसके लिए गूगल मीट आदि माध्यमों का उपयोग किया गया। प्रशासन ने डीएमएफ के माध्यम से 40 लाख रुपए की स्वीकृति दी ताकि अतिरिक्त कक्ष की सुविधा छात्रों को मिल सके। कृषि के आधुनिकीकरण से मशीनों का उपयोग बढ़ा है। इसके संचालन और रखरखाव में भी रोजगार की संभावनाएं बढ़ी हैं। इसके लिए राज्य शासन ने 29 लाख रुपए महाविद्यालय को प्रदान किये। मशरूम उत्पादन के लिए 35 लाख रुपए प्रदान किये। 


   पाटन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की भूमि है। उन्होंने पाटन में शिक्षा के लिए भी बड़ा काम किया था। मर्रा का स्कूल भी इन्हीं के प्रयत्नों से 73 साल पहले खुला था। उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि यही है कि क्षेत्र को शिक्षा के क्षेत्र में नवीनतम ऊंचाइयां दी जाए, इस 

दृष्टि से भारत रत्न संत विनोबा भावे कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान  केंद्र, मर्रा की स्थापना कर मुख्यमंत्री ने बड़ी पहल की है। इस साल यहाँ 48 छात्रों को एडमिशन मिल सकेगा। मुख्यमंत्री के मर्रा में शिक्षक रहे श्री हीरा सिंह ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने यहां पढ़ाई की, अब यहां उन्होंने कृषि के लिए महाविद्यालय शुरू कर दिया। यह उनकी गुरु दक्षिणा है।