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परमात्मा के साथ योग न होने से जीवन में दु:ख और अशान्ति - स्नेहमयी दीदी

  रायपुर। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा शिवानन्द नगर के सेक्टर-तीन स्थित माँ शारदा...

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रायपुर। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा शिवानन्द नगर के सेक्टर-तीन स्थित माँ शारदा सामुदायिक भवन में सात दिवसीय श्रेष्ठ विचार सुन्दर संसार राजयोग अनुभूति शिविर का आयोजन किया गया है। राजयोग शिविर के दूसरे दिन आज परमात्म अनुभूति विषय पर बोलते हुए राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी स्नेहमयी दीदी ने कहा कि परमात्मा सुख, शान्ति, आनन्द और प्रेम के भण्डार हैं। इसलिए उनका सही परिचय जानकर उनके साथ योग लगाने से ही हमारे जीवन में पवित्रता, सुख और शान्ति आएगी।

उन्होंने कहा कि परमात्मा का यथार्थ ज्ञान न होने के कारण संसार में सबसे अधिक विवाद भगवान के परिचय को लेकर है। जब हम कहते हैं कि परमात्मा एक है तो उनका परिचय भी एक ही होना चाहिए। सभी धर्मों के अनुसार परमात्मा निराकार और ज्योर्तिबिन्दु स्वरूप हंै। निराकार का मतलब यह नहीं है कि परमात्मा का कोई रूप नहीं है। बल्कि अशरीरी होने के कारण हम शरीरधारियों की भेंट में उन्हें निराकार कहा गया है। परमात्मा को आंखों से नहीं देख सकते हैं किन्तु राजयोग मेडिटेशन के द्वारा उनके गुणों और शक्तियों का अनुभव किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि जब तक परमात्मा खुद आकर अपना परिचय न दे तब तक मनुष्य उन्हें पूरी तरह जान नहीं सकते। अतिधर्मग्लानि के समय परमात्मा इस धरा पर अवतरित होकर अपने साकार माध्यम के द्वारा ईश्वरीय ज्ञान और राजयोग की शिक्षा देकर हम मनुष्य आत्माओं को पतित से पावन बनाने का कार्य करते हैं। सदैव कल्याणकारी होने के फलस्वरूप परमात्मा का कर्तव्यवाचक नाम शिव है। परमात्मा के इस रूप को सभी धर्मों के लोगों ने स्वीकार किया है।

ब्रह्माकुमारी स्नेहमयी दीदी ने आगे परमात्मा का परिचय देते हुए कहा कि हिन्दु धर्म में परमात्मा शिव की निराकार प्रतिमा शिवलिंग के रूप में देखने को मिलती है। ज्योतिस्वरूप होने के कारण उन्हें ज्योर्तिलिंग भी कहा जाता है। मुस्लिम धर्म के अनुयायी उन्हे नूर-(अर्थात ज्योति)-ए-इलाही कहते हैं। इसाई धर्म को मानने वाले परमात्मा को दिव्य ज्योतिपुंज मानते हैं, सिख धर्म के अनुगामी उन्हे एक ओंकार निराकार कह महिमा करते हैं। ब्रह्माकुमारी स्नेहमयी दीदी नेे आगे बतलाया कि परमात्मा तीन देवताओं ब्रह्मा, विष्णु और शंकर की रचना कर उनके द्वारा नयी सतोप्रधान दुनिया की स्थापना, पालना और पुरानी तमोप्रधान दुनिया का संहार का कार्य कराते हैं। तीन देवताओं का रचयिता होने के कारण उन्हें त्रिमूर्ति कहा जाता है। इसीलिए शिवलिंग के ऊपर तीन रेखाएं खींचते तथा तीन पत्तियों वाला बेलपत्र चढ़ाते हैं। परमात्मा सुख, शान्ति, आनन्द और प्रेम के भण्डार हैं, इसलिए उनका सही परिचय जानकर उनके साथ योग लगाने से ही हमारे जीवन में पवित्रता, सुख और शान्ति आएगी।