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जिला सहकारी केंद्रीय बैंक दुर्ग के पूर्व अध्यक्ष की अपर सत्र न्यायालय दुर्ग से जमानत याचिका खारिज

  दुर्ग । असल बात न्यूज़।।           00  विधि संवाददाता      जिला सहकारी केंद्रीय बैंक दुर्ग के पूर्व अध्यक्ष  की भारतीय दंड संहिता की धारा ...

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 दुर्ग ।

असल बात न्यूज़।।    

      00  विधि संवाददाता    

जिला सहकारी केंद्रीय बैंक दुर्ग के पूर्व अध्यक्ष  की भारतीय दंड संहिता की धारा 409, 420, 467, 468, 471, 34 के मामले में दायर जमानत याचिका को निरस्त कर दिया गया है। अपर सत्र न्यायाधीश दुर्ग शैलेश कुमार तिवारी के न्यायालय ने आज इस मामले में फैसला सुनाया है। मामले में न्यायालय में जमानत याचिका के आवेदन को स्वीकार योग्य ना पाए जाने के कारण निरस्त कर दिया है।

प्रकरण में  धारा 409, 420, 467,  468, 471, 34 भा.द .वि. के तहत अपराध पंजीबद्ध है, जिसमें धरायें 409, 420, 467, 468 अजमानतीय प्रकृति की है। जिसमें न्यायालय के समक्ष अग्रिम जमानत के लिए आवेदन प्रस्तुत किया गया था। अग्रिम जमानत आवेदन संक्षेप में इस प्रकार है कि, उपरोक्त अपराध दर्ज होने के पश्चात् दो वर्ष से अधिक का समय व्यतीत हो जाने पर भी संबंधित पुलिस थाना व्दारा अब तक जांच नहीं की गई है जिससे यह प्रतीत होता है कि, उक्त अपराध आवेदक को परेशान करने  नीयत से दर्ज किया गया है, आवेदक व्दारा उक्त अपराध के निरसन बाब त्माननीय उच्च न्यायालय में 210/2021 प्रस्तुत किया गया है जिसमे उच्च न्यायालय व्दारा दिनांक12.05.2021 को आवेदक के पक्ष म अग्रिम जमानत स्वीकृत करने का‘ का आदेश पारित किया गया है जो कि दिनांक 09.06.2021 तक प्रभावशील है।, 

 प्रकरण में प्रथम सूचना रिपोर्ट के अनुसार आवेदक व्दारा अपने पद पर रहते हुये दिनांक 08.04.2014 से दिनांक 12.05.2020 की अवधि के मध्य बैंक के संचालक मण्डल व्दारा गोदाम निर्माण हेतु राशि का दुरूपयोग करते हुये बैंक को आर्थिक हानि पहुंचाने एवं 05.08.2016 से 12.06.2019 की अवधि म ें एकमुश्त समझौता योजना के तहत् कई प्रकरणों म ें 175.61 लख छूट प्रदान कर बैंक निधि का दुरूपयोग करते हुये बैंक को आर्थिक हानि पहुंचाने का कार्य किये जाने के कारण तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला सहकारी केन्द्रिय बैंक मर्यादित, दुर्ग की शिकायत पर जो कि कलेक्टर, दुर्ग के निर्देशपर किया गया, के तहत् आवेदक के विरूद्ध अपराध पंजीबद्ध किया गया, जिस विषय के तहत् आवेदक के विरूद्ध अपराध पंजीबद्ध किया गया है उसी विषयवस्तु के तहत् आवेदक एवं अन्य संचालक मण्डल के विरूद्ध सिविल प्रोसिडिंग, छत्तीसगढ ़ सहकारी सोसायटी अधिनियम की धारा 53 की उपधारा 2 के अधीन कारण बताओ सूचना पत्र दिनांक 11.07.2019 आरोप पत्र सहित पंजीयक, सहकारीसंस्थायें, छत्तीसगढ ़ व्दारा जारी किया गया था जिसम ें आरोप क्रं.03 एवं 04 वही विषय है जिस विषय पर आवेदक के विरूद्ध अपराध पंजीबद्ध किया गया है। उक्त आरोप का जवाब आवेदक एवं अन्य संचालकों व्दारा दिनांक 29.07.2019 को पंजीयक, सहकारी संस्थायें,छत्तीसगढ ़ को दिया गया है, उपरोक्त तथ्यों से यह दर्शित होता है कि, आवेदक/आरोपी व्दारा कोई अपराध कारित नहीं किया गया है वह पूर्णतया निर्दोष है, उसे झूठा फंसाया गया है, आवेदक/आरोपी के विरूद्ध आरक्षी केन्द्र दुर्ग कोतवाली व्दारा प्रार्थी के झूठे कथन के आधार पर पुलिस व्दारा अपराध पंजीबद्ध किया गया है जिसम ेंआवेदक/अभियुक्त को गिरफ्तार किये जाने की संभावना है,आवेदक/आरोपी के व्दारा ऐसा कोई भी कृत्य नहीं किया गया है जो अपराध की श्रेणी म ें आता हो, आवेदक/आरोपी को झूठा फंसाया गया है, आवेदक/आरोपी को जिस धारा म ें अभियोजित किया गया है उसम ें मृत्युद ंड की सजा का प्रावधान नहीं है, यदिआवेदक/आरोपी को अग्रिम जमानत का लाभ दिया जाता है तो उसके फरार होने अथवा साक्षियों को प्रभावित किये जाने की कोई संभावना नहीं है। 

राज्य की ओर से अपर लोक अभियोजक ने जमानत आवेदन का विरोध किया गया।राज्य की ओर से अपर लोक अभियोजक सत्येन्द्र सिंह ने पैरवी की। 

न्यायालय में अग्रिम जमानत के मामले में विचारणीय में सुनवाई के दौरान पाया कि  जिला सहकारी केन्द्रिय बैंक मर्यादित, दुर्ग के पूर्व अध्यक्ष  एवं निर्वाचित संचालक मंडल के सदस्यों के विरूद्ध प्राप्त शिकायतों के आधार पर जांच टीम का गठन कलेक्टर के आदेश दिनांक 27.10.2020 के माध्यम से किया गया जिसमें बिरेन्द्र बहादुर पंचभाई, अपर कलेक्टर, विनोद कुमार बुनकर उप पंजीयक सहकारी संस्थायें, अजय कुमार, अंकेक्षण अधिकारी उप पंजीयक सहकारी संस्थायें एवं ए.के￾सिंह, सहकारिता निरीक्षक, उप पंजीयक सहकारी संस्थायें के संयुक्त टीम के व्दारा जांच की गई। उक्त टीम के व्दारा जांच किये जाने पर यह तथ्य सामने आया कि, अवधि के दौरान  पंजीयक सहकारी संस्थायें छ.ग. से बिनाअनुमति के 234 प्रकरणों में 1313.50 लाख की अनुदान राशि तथा दिनांक 05.08.2016 से दिनांक 12.06.2019 तक की अवधि में एकमुश्त समझौता योजना में 186 प्रकरणों में छूट प्रदान कर 175.61 लाख की राशि, इस प्रकार कुल राशि 1489.11 लाख रूपये का अपने अधिकारक्षेत्र में न होते हुये भी बोर्ड के सदस्यों व्दारा एक राय होकर उक्त योजनाआ ें को लागू किया गया जिससे बैंक को आर्थिक क्षतिहुई।  उसके व्दारा दस्तावेजों एवं साक्षियों को प्रभावित किये जाने की संभावना होना तथा अग्रिम जमानत का लाभ दिये जाने पर उसका मनोबल बढ़ना व्यक्त करते हुये   अग्रिम जमानत आवेदन निरस्त किये जाने का आग्रह किया गया।

न्यायालय में प्रकरण में विचारण में पाया है कि आवेदक/आरोपी की संलिप्तता प्रथम दृष्टया दर्शित हो रही है।प्रकरण अभी विवेचनाधीन है,  वर्तमान प्रकरण में  पंजीबद्ध अपराध के तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए तथा प्रकरण मेंआवेदक/आरोपी को अग्रिम जमानत का लाभ दिये जाने लायक कोई अपवादिक परिस्थिति दर्शित नहीं होने एवं  स्वीकार योग्य न पाये जाने से निरस्त कर दिया गया है

उल्लेखनीय है कि इस मामले में पूर्व में उच्च न्यायालय बिलासपुर के द्वारा जमानत याचिका स्वीकृत की गई थी जो कि वर्ष 2021 तक प्रभाव शील थी।